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सालिक गणवीर
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  • Chhattisgarh
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सालिक गणवीर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"२१२२-१२१२-२२/११२ज़ीस्त ख़ामोशी थी सदा भी थीदर्द भी थी वही दवा भी थी (१) और कितना मैं झेलता उसकोबेहया थी वो बेवफ़ा भी थी (२) इक झिझक-सी थी उसके चहरे पर"कुछ मेरी आँख में हया भी थी"(३) कोई तुमसा नहीं था महफ़िल मेंथी वहाँ हूर अप्सरा भी थी…"
Sep 28
सालिक गणवीर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"भाई साहब, न दुआ न सलाम! ऐसे कौन टिप्पणी करता है जी.?"
Sep 27
सालिक गणवीर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-170
"२२१-१२२१-१२२१-१२२ मर जाने से पहले तो उतारा नहीं जाताये बोझ तो जीवन का सँभाला नहीं जाता (१) तुम तोड़ तो सकते हो कली शाख से लेकिनख़ूशबू को कभी फूल से छीना नहीं जाता (२) हर चीज तो मिल जाती है बाज़ार में लेकिन"इज्जत को दुकानों में खरीदा नहीं…"
Aug 28
सालिक गणवीर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-170
"आदरणीया  Richa Yadav जी आदाबअच्छी ग़ज़ल कही है आपने । बधाई स्वीकार करें। सुधार की गुंजाईश बरक़रार है"
Aug 28
सालिक गणवीर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-170
"आदरणीय भाई  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' अच्छी ग़ज़ल कही है आपने । बधाई स्वीकार करें। अमित जी से सहमत"
Aug 28
सालिक गणवीर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-170
"आदरणीय भाई  Sanjay Shukla जीअच्छी ग़ज़ल कही है आपने । बधाई स्वीकार करें।"
Aug 28
सालिक गणवीर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-170
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीअच्छी ग़ज़ल कही है आपने । बधाई स्वीकार करें।"
Aug 28
सालिक गणवीर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-170
"भाई अमित जी अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें।"
Aug 28
सालिक गणवीर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-165
" २२१-१२२१-१२२१-१२२ मर जाने से पहले तो उतारा नहीं जाताये बोझ तो जीवन का सँभाला नहीं जाता (१) तुम तोड़ तो सकते हो कली शाख से लेकिनख़ूशबू को कभी फूल से छीना नहीं जाता (२) हर चीज तो मिल जाती है बाज़ार में लेकिन"इज्जत को दुकानों में खरीदा नहीं…"
Aug 28
सालिक गणवीर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-160
"१२२-१२२-१२२-१२ तू ग़म भेज दे या ख़ुशी भेज देजो है पास तेरे वही भेज दे (१) मेरी ज़ीस्त में है अँधेरा बहुतज़रा सी इधर रौशनी भेज दे (२) हूँ सहरा में पानी पिला दे ज़रानहीं कह रहा मैं नदी भेज दे (३) था वादा किया आएँगे अच्छे दिनहै कल किसने देखा अभी भेज दे…"
Oct 27, 2023
सालिक गणवीर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-158
"भाई नादिर ख़ान जी सादर अभिवादन उम्दः तरही ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद क़ुबूल करें।"
Aug 25, 2023
सालिक गणवीर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-158
"१२२-१२२-१२२-१२ ये क्या कह दिया क्या नई-बात कीहै चर्चा तुम्हारे बयानात की (१) चलें आंधियाँ जब ख़यालात कीउड़ाती हैं नींदें मेरी रात की (२) सितम उनका देखो बुलाकर हमेंजगह ही बदल दी मुलाक़ात की (३) खड़ा रह गया मैं हुआ तर-ब-तरझड़ी जब लगा दी सवालात की…"
Aug 25, 2023
सालिक गणवीर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-157
"आदरणीय भाई  surender insan जी सादर अभिवादन बढ़िया तरही ग़ज़ल के लिए बधाईयाँ स्वीकार करें। उस्ताद जी और अमित भाई के सुझावों पर अमल करें।"
Jul 29, 2023
सालिक गणवीर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-157
"आदरणीय भाई  अजय गुप्ता 'अजेय जी सादर अभिवादन बढ़िया तरही ग़ज़ल के लिए बधाईयाँ स्वीकार करें। गुणीजनों के सुझावों पर अमल करें।"
Jul 29, 2023
सालिक गणवीर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-157
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'  जी सादर अभिवादन हौसला अफ़जाई के लिए बहुत शुक्रियः।नवाज़िशें।"
Jul 29, 2023
सालिक गणवीर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-157
"आदरणीय  dandpani nahak जी सादर अभिवादन हौसला अफ़जाई के लिए बहुत शुक्रियः।नवाज़िशें।"
Jul 29, 2023

Profile Information

Gender
Male
City State
Bhilai, Chhattisgarh
Native Place
Bhilai
Profession
Retired from SAIL,as a Senior Electrical engineer
About me
Reading,writing and photography were my hobbies and after retirement I am totally indulged to fulfill my dreams.

सालिक गणवीर's Blog

ग़ज़ल : लड़ते झगड़ते रहते हैं यारो सभी से हम....

२२१-२१२१-१२२१-२१२

लड़ते झगड़ते रहते हैं यारो सभी से हम

मिलते हैं दुश्मनों से बड़ी सादगी से हम(१)

चक्कर लगाता रहता है दुनिया का एक शख़्स

आगे निकल न पाए तुम्हारी गली से हम (२)

कैसे बिताएँ वक़्त ज़रा सा भी उनके साथ

वो हैं नये समय के पुरानी घड़ी से हम (३)

मिलना है जिसका हक़ उसे धेला नहीं मिला

बाँटे गए हैं मुफ़्त में ही रेवड़ी से हम (४)

जब भी छुपाई हमने कहीं पर तुम्हारी बेंत

पीटे गए हमेशा हमारी छड़ी से हम…

Continue

Posted on July 5, 2023 at 5:23pm — 2 Comments

झूठ बोले हैं न जाने कितने.......ग़ज़ल- सालिक गणवीर

2122-1122-22/112

झूठ बोले हैं न जाने कितने

उसको आते हैं बहाने कितने (1)

मैं किसी से भी तो नाराज नहीं

आ गए लोग मनाने कितने (2)

अब भी लोगों के नई दुनिया में

हैं ख़यालात पुराने कितने (3)

एक भी लफ़्ज मुझे याद नहीं

याद आते हैं वो गाने कितने (4)

घर जला कोई बुझाने न गया

आ गए आग लगाने कितने (5)

साथ आया न निभाने कोई

रस्म आएंँगे निभाने कितने (6)

अब कहीं पर तू ठहर जा…

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Posted on February 3, 2022 at 9:33am — 4 Comments

यही है शिकायत यही तो गिला है....ग़ज़ल ( सालिक गणवीर)

122-122-122-122

यही है शिकायत यही तो गिला है

चराग़ों तले क्यों अँधेरा हुआ है (1)

लुटाया है सब कुछ कहा जा रहा है

मैं ये सोचता हूँ मुझे क्या मिला है (2)

कभी सामने जो अकड़ता बहुत था

वही उसके क़दमों के नीचे पड़ा है (3)

न आगे कोई है न है कोई पीछे

बयाँ दे रहा बीच सबके खड़ा है (4)

बड़ी मुश्किलों से कटी ज़िंदगी ये

न जाने मुक़द्दर में क्या क्या लिखा है (5)

ख़ुशी के दो पल हाथ आते नहीं पर

ये ग़म है कि…

Continue

Posted on December 24, 2021 at 11:00pm — 4 Comments

अब तो इंसाफ भी करें साहिब.......ग़ज़ल सालिक गणवीर

2122-1212-22/112

अब तो इंसाफ भी करें साहिब

हक़ मिरा मुझको दे भी दें साहिब (1)

ऊँचे पेड़ों ने फिर से की साजिश

लोग सब धूप में रहें साहिब (2)

आप सब क्यों उड़े हवाओं में

हम ज़मीं पर ही क्यों चलें साहिब (3)

काग़ज़ों पर लिखा तो पढ़ते हैं

पीठ पर भी कभी लिखें साहिब (4)

न ज़मीं है न आसमाँ अपना

ये बता दो कहाँ रहें साहिब (5)

इतना अफ़सोस है अगर फिर तो

शर्म से डूब कर मरें साहिब (6)

आप सुनते नहीं…

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Posted on November 13, 2021 at 9:54pm — 10 Comments

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"आदाब।‌ बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब तेजवीर सिंह साहिब।"
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TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"हार्दिक बधाई आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी।"
Sep 30
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"हार्दिक आभार आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी। आपकी सार गर्भित टिप्पणी मेरे लेखन को उत्साहित करती…"
Sep 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"नमस्कार। अधूरे ख़्वाब को एक अहम कोण से लेते हुए समय-चक्र की विडम्बना पिरोती 'टॉफी से सिगरेट तक…"
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TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"काल चक्र - लघुकथा -  "आइये रमेश बाबू, आज कैसे हमारी दुकान का रास्ता भूल गये? बचपन में तो…"
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