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सालिक गणवीर's Discussions (607)

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"२१२२-१२१२-२२/११२ज़ीस्त ख़ामोशी थी सदा भी थीदर्द भी थी वही दवा भी थी (१) और कितना मैं…"

सालिक गणवीर replied Sep 28, 2024 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171

176 Sep 28, 2024
Reply by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी

"भाई अमित जी, न दुआ न सलाम! ऐसे कौन टिप्पणी करता है जी.?"

सालिक गणवीर replied Sep 27, 2024 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171

176 Sep 28, 2024
Reply by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी

"२२१-१२२१-१२२१-१२२ मर जाने से पहले तो उतारा नहीं जाताये बोझ तो जीवन का सँभाला नहीं जा…"

सालिक गणवीर replied Aug 28, 2024 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-170

231 Aug 30, 2024
Reply by Abrar Ahmed

"आदरणीया  Richa Yadav जी आदाबअच्छी ग़ज़ल कही है आपने । बधाई स्वीकार करें। सुधार की गु…"

सालिक गणवीर replied Aug 28, 2024 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-170

231 Aug 30, 2024
Reply by Abrar Ahmed

"आदरणीय भाई  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' अच्छी ग़ज़ल कही है आपने । बधाई स्वीकार करें। अमित…"

सालिक गणवीर replied Aug 28, 2024 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-170

231 Aug 30, 2024
Reply by Abrar Ahmed

"आदरणीय भाई  Sanjay Shukla जीअच्छी ग़ज़ल कही है आपने । बधाई स्वीकार करें।"

सालिक गणवीर replied Aug 28, 2024 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-170

231 Aug 30, 2024
Reply by Abrar Ahmed

"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीअच्छी ग़ज़ल कही है आपने । बधाई स्वीकार करें।"

सालिक गणवीर replied Aug 28, 2024 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-170

231 Aug 30, 2024
Reply by Abrar Ahmed

"भाई अमित जी अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें।"

सालिक गणवीर replied Aug 28, 2024 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-170

231 Aug 30, 2024
Reply by Abrar Ahmed

" २२१-१२२१-१२२१-१२२ मर जाने से पहले तो उतारा नहीं जाताये बोझ तो जीवन का सँभाला नहीं ज…"

सालिक गणवीर replied Aug 28, 2024 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-165

58 Aug 28, 2024
Reply by सालिक गणवीर

"१२२-१२२-१२२-१२ तू ग़म भेज दे या ख़ुशी भेज देजो है पास तेरे वही भेज दे (१) मेरी ज़ीस्त…"

सालिक गणवीर replied Oct 27, 2023 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-160

319 Oct 29, 2023
Reply by Euphonic Amit

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Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. आज़ी तमाम भाई,मतला जैसा आ. तिलकराज सर ने बताया, हो नहीं पाया है. आपको इसे पुन: कहने का प्रयास…"
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"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। बहुत खूबसूरत गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"221 1221 1221 122**भटके हैं सभी, राह दिखाने के लिए आइन्सान को इन्सान बनाने के लिए आ।१।*धरती पे…"
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"ग़ज़ल अच्छी है, लेकिन कुछ बारीकियों पर ध्यान देना ज़रूरी है। बस उनकी बात है। ये तर्क-ए-तअल्लुक भी…"
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Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"२२१ १२२१ १२२१ १२२ ये तर्क-ए-तअल्लुक भी मिटाने के लिये आ मैं ग़ैर हूँ तो ग़ैर जताने के लिये…"
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चली आयी है मिलने फिर किधर से१२२२   १२२२    १२२जो बच्चे दूर हैं माँ –बाप – घर सेवो पत्ते गिर चुके…See More
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