२१२२-१२१२-२२/११२
और कितना बता दे टालूँ मैं
क्यों न तुमको गले लगा लूँ मैं (१)
छोड़ते ही नहीं ये ग़म मुझ्को
ख़ुद को कितना बता सभालूँ मैं (२)
तू मुझे क़ैद करके मानेगा
क्यों न पिंजरे में ख़ुद को डालूँ मैं (३)
ज़िंदगी दूर है बहुत मुझसे
ज़ह्र है पास क्यों न खा लूँ मैं (४)
ज़िन्दगी लिफ्ट माँगती ही नहीं
मौत माँगे तो क्या बिठा लूँ मैं (५)
पाँव में एक दिन जगह देगा
क्यों न सर पे उसे बिठा लूँ मैं (६)
वो गला ही मेरा दबा देंगे
आखिरी गीत क्यों न गा लूँ मैं (७)
* मौलिक एवं अप्रकाशित
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