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Mamta gupta
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Mamta gupta and Aazi Tamaam are now friends
Jul 30, 2021
Mamta gupta commented on Mamta gupta's blog post जो भी ज़िक्रे ख़ुदा नहीं करते
"आदरणीय अमीरुद्दीन "अमीर" जी मैं नेटवर्किंग की समस्या की वजह से आपके किसी कमेंन्ट का रिप्लाई नहीं कर पायी इसके लिए क्षमा प्रार्थी हूँ। अभी ब्लॉग का अनुभव मेरे लिए नया है जिसे धीरे धीरे समझने की कोशिश कर रही हूँ। ग़ज़ल पर आपकी बहुमूल्य…"
Jun 27, 2021
Mamta gupta commented on Mamta gupta's blog post जो भी ज़िक्रे ख़ुदा नहीं करते
"आदरणीय chetan prakash जी आपकी उपस्थिति और हौसला अफ़जाई के लिए शुक्र गुजार हूँ"
Jun 27, 2021
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Mamta gupta's blog post जो भी ज़िक्रे ख़ुदा नहीं करते
"मुहतरमा ममता गुप्ता 'नाज़' जी, आदाब, ये ओ बी ओ के मंच की परिपाटी और भारतीय तहज़ीब नहीं है कि आपकी रचना पर आई समस्त टिप्पणीकारों की टिप्पणियों का जवाब न देकर कुछेक की टिप्पणियों का ही जवाब दे दिया जाए और शेष को नज़र-अंदाज़ कर दिया जाए। ये…"
Jun 26, 2021
Mamta gupta commented on Mamta gupta's blog post जो भी ज़िक्रे ख़ुदा नहीं करते
"आदरणीय लक्ष्मन धामी 'मुसाफ़िर' जी बहुत बहुत शुक्रिया"
Jun 26, 2021
Mamta gupta commented on Mamta gupta's blog post जो भी ज़िक्रे ख़ुदा नहीं करते
"आदरणीय समर कबीर सर आपकी उपस्थिति और हौसला अफ़जाई के लिए शुक्रगुज़ार हूँ"
Jun 26, 2021
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Mamta gupta's blog post जो भी ज़िक्रे ख़ुदा नहीं करते
"आ. ममताजी, गजल केप्रयास व ओबीओ परिवार में सम्मिलित होने होने के लिए हार्दिक बधाई।"
Jun 23, 2021
Samar kabeer commented on Mamta gupta's blog post जो भी ज़िक्रे ख़ुदा नहीं करते
"मुहतरमा ममता गुप्ता 'नाज़' जी आदाब,ओबीओ पटल पर आपका स्वागत है । ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें । 'जो भी ज़िक्रे ख़ुदा नहीं करतेवो किसी के हुआ नहीं करते' मतले के ऊला में 'ज़िक्र-ए-ख़ुदा' ऐसे लिखें,और सानी उचित लगे…"
Jun 23, 2021
Aazi Tamaam commented on Mamta gupta's blog post जो भी ज़िक्रे ख़ुदा नहीं करते
"सादर प्रणाम आ ममता जी अच्छी ग़ज़ल है बाकी गुणीजनों की राय का अनुसरण करें और निखर जायेगी"
Jun 22, 2021
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Mamta gupta's blog post जो भी ज़िक्रे ख़ुदा नहीं करते
"मुहतरमा ममता गुप्ता 'नाज़' जी आदाब, बहतरीन रवानी के साथ अच्छी ग़ज़ल कही है, आपने उर्दू लफ़्ज़ों के इस्तेमाल का अच्छा मुज़ाहिरा किया है मुबारकबाद पेश करता हूँ। चन्द मशविरे पेश करने की जसारत कर रहा हूँ।  2122 - 1212 - 22 जो भी ज़िक्रे…"
Jun 22, 2021
Chetan Prakash commented on Mamta gupta's blog post जो भी ज़िक्रे ख़ुदा नहीं करते
" अच्छी साफ-सुथरी ग़ज़ल है, आदरेया, बधाई  !"
Jun 22, 2021
Mamta gupta posted a blog post

जो भी ज़िक्रे ख़ुदा नहीं करते

जो भी ज़िक्रे ख़ुदा नहीं करतेवो किसी के हुआ नहीं करतेनेमतें पा के लोग क्युं आख़िरशुक्रे ख़ालिक़ अदा नहीं करतेराहे हक़ पर जो गामज़न हैं बशरवो किसी का बुरा नहीं करतेदिल मेरा ग़मज़दा नहीं होतावो जो मुझसे दग़ा नहीं करतेजाने क्या हो गया है अब उनकोमुझसे हँस कर मिला नहीं करतेयाद आती नहीं अगर उन कीहम कभी रत-जगा नहीं करतेलाख कोशिश करो मिटाने कीनक़्शे उल्फ़त मिटा नहीं करतेज़ुल्म से 'नाज़' हक़परस्त कभीकोई शिकवा गिला नहीं करतेममता गुप्ता "नाज़"See More
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Mamta gupta commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की -ख़ुद को ऐसे सँवार कर जागा
"बेहतरीन ग़ज़ल की बधाई"
Jun 22, 2021
Mamta gupta is now a member of Open Books Online
Jun 22, 2021

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Gender
Female
City State
Balrampur
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Utraula
Profession
Self employed
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जो भी ज़िक्रे ख़ुदा नहीं करते

जो भी ज़िक्रे ख़ुदा नहीं करते

वो किसी के हुआ नहीं करते



नेमतें पा के लोग क्युं आख़िर

शुक्रे ख़ालिक़ अदा नहीं करते



राहे हक़ पर जो गामज़न हैं बशर

वो किसी का बुरा नहीं करते



दिल मेरा ग़मज़दा नहीं होता

वो जो मुझसे दग़ा नहीं करते



जाने क्या हो गया है अब उनको

मुझसे हँस कर मिला नहीं करते



याद आती नहीं अगर उन की

हम कभी रत-जगा नहीं करते



लाख कोशिश करो मिटाने की

नक़्शे उल्फ़त मिटा नहीं करते



ज़ुल्म से 'नाज़'… Continue

Posted on June 22, 2021 at 1:22pm — 10 Comments

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