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Euphonic Amit
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Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"वाहह वाह "
Thursday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीय Chetan Prakash जी आदाब  देखा जो ध्यान से उसे वो भा गई मुझे चलना था साथ- साथ ही जतला गई मुझे सुझाव -  बस एक ही नज़र में वो तो भा गई मुझे चलना है साथ- साथ ये जतला गई मुझे  थी ख़ानदानी जन्म से समझा गई मुझे आसान था निभाना भी बतला…"
Thursday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीय दिनेश कुमार जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें। "
Thursday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी आदाब, ग़ज़ल के उम्द: प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। स्पैलिंगस की ग़लतियाँ बोल्ड फ़ोन्ट में दर्शाई गई हैं। उस को ख़ुशी है ख़ूब कि वो पा गई मुझे लेकिन सितम कि जाल सा उलझा गई मुझे।१। * बहती नदी था यार…"
Thursday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीय Dayaram Methani जी आदाब। ग़ज़ल अभी वक़्त और मश्क़ चाहती है। मस्ती भरी कहानियांँ बहका गई मुझे बदनामियाँ थकान दे बिखरा गई मुझे कहानियाँ और बदनामियाँ के साथ रदीफ़ बहुवचन हो जाएगी। "गई मुझे" की जगह "गईं मुझे" जो ग़ज़ल की…"
Thursday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"जी ये भी पहले जैसा ही है सिर्फ़ क्रिया बदल गई है। आप किसी और भाव पर मतला कहने का प्रयास करें।"
Thursday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"जी ठीक है //नर्मी से आ के फिर हवा सहला गई मुझे// "फिर" शब्द के बिना सानी कहने का प्रयास करें "
Thursday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीय  dandpani nahak  जी, मैं तो सेवक हूँ बस आप सब की सेवा करने चला आता हूँ। जब मैं अपने शागिर्दों को बताता हूँ कि उनके सुर नहीं लगते तब वो समझ नहीं पाते परंतु पाँच साल बाद के अभ्यास के बाद उन्हें मेरी बात समझ आती है और सही…"
Thursday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आपका मतलब ये है कि जो व्यक्ति आपकी ग़ज़ल को ढेर सारा वक़्त देकर हर बारीक पहलू आपके सामने ला रहा है वो गुणी जन नहीं है। अगर उन कुछ लोगों की इस्लाह काफ़ी है तो आप को इस मंच की क्या ज़रूरत है। अगर आप इस मंच पर सिर्फ़ तारीफ़ सुनना चाहते हैं तो मैं आगे…"
Wednesday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"जी पहले से बिहतर है पर प्रभावशाली नहीं है"
Wednesday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"जी परंतु आपका राधा गई वाक्य बहुत उलझा हुआ है और उसका कोई सेंस नहीं बन रहा  "पर श्याम श्याम धुन मुझे राधा बना/ किए गई" इसका सैंस बन रहा है पर ये इस ज़मीन पर नहीं कह सकते  वैसा ही कुछ हाल शबाब वाले मिसरे का है वो भी बहुत उलझा हुआ…"
Wednesday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"जी ज़रूर। कुछ समय दें। आप भी आयोजन में सक्रियता बनाए रक्खें आदरणीय "
Wednesday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीय अजय गुप्ता 'अजेय' भाई आदाबग़ज़ल के उम्दा प्रयास पर बधाई स्वीकार करें ------- जाने की जानाँ वज्ह ये बतला गई मुझेतेरी शरीर नज़रों से लाज आ गई मुझे सौ साल उम्र में थे जवानी के चार दिनइक झुनझुना सा ज़िंदगी पकड़ा गई मुझेसुझाव…"
Wednesday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीय Rachna Bhatia जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है मतले को छोड़कर सभी शे'र अच्छे हैं ख़ासतौर पर पाँचवाँ। 1 वो अपने दिल का ज़ाविया दिखला गई मुझे कंठी तिलस्मी इश्क़ की पहना गई मुझे।। दिल का ज़ाविया दिखलाना और कंठी पहनाना दो अलग-अलग क्रियाएँ…"
Wednesday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीय Richa Yadav जी आदाब तरही मिसरे पर ग़ज़ल के उम्द: प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। छोटी सी एक बात समझ आ गई मुझे सच्चाई ज़िन्दगी की वो समझा गई मुझे 1 छोटी सी जो बात आप समझी हैं कृपया हमें भी समझाएँ। छोटी सी बात क्या है उसे सानी में बताया…"
Wednesday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीय ज़ैफ़ जी आदाब ग़ज़ल के उम्द: प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें "
Wednesday

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Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शिवजी जैसा किसने माथे साधा होगा चाँद -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"वाह आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत ही खूबसूरत सृजन हुआ है सर । हार्दिक बधाई"
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Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .राजनीति
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।सहमत देखता हूँ"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for Radheshyam Sahu 'Sham'
"आ. भाई राधेश्याम जी, आपका ओबीओ परिवार में हार्दिक स्वागत है।"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शिवजी जैसा किसने माथे साधा होगा चाँद -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२२२ २२२२ २२२२ २**पर्वत पीछे गाँव पहाड़ी निकला होगा चाँद हमें न पा यूँ कितने दुख से गुजरा होगा…See More
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Radheshyam Sahu 'Sham' is now a member of Open Books Online
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दो चार रंग छाँव के हमने बचा लिए - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई आशीष जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति व स्नेह के लिए आभार।"
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