बारहा साहिल की जानिब लह’र क्यूँ आती रही
सर पटकती पाँव पड़ती रोती चिल्लाती रही.
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ओस में भीगे हुए इक गुल को नज़ला हो गया
देर तक तितली लिपटकर उस को गर्माती रही.
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इक नदी की चाह में रोया समुन्दर ज़ार…
Posted on May 22, 2023 at 1:08pm — 4 Comments
कोई हुस्न-परस्त जो अपने रब की बातें करता है
तिल की बातें करता है या लब की बातें करता है.
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दिल तो फिर भी धड़कन धड़कन सब की बातें करता है
ज़ह’न है साहूकार फ़क़त मतलब की बातें करता है.
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लड़ते लड़ते दुश्मन से भी हो जाता है इश्क़ अजब
जुगनू भी अक्सर दीये से शब् की बातें करता है.
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इक मुद्दत से यार! चलन से बाहर है ये लफ़्ज़-ए-वफ़ा
दिल नादान मुअर्रिख़ जैसा; कब की बातें करता है. मुअर्रिख़- इतिहास-कार…
Posted on April 13, 2023 at 4:00pm — 6 Comments
नहीं जो था होना वो सब हो रहा है
निज़ाम-ए-ख़ुदा में ग़ज़ब हो रहा है.
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इबादत में कैसा शग़ब हो रहा है शग़ब- कोलाहल
धड़क-कर ये दिल बे-अदब हो रहा है.
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ज़रूरी नहीं कोई मक़सद हो अपना…
Posted on March 2, 2023 at 5:44pm — 12 Comments
दर्द है तो कभी दवा है ये,
इश्क़ है या कि मोजज़ा है ये.
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जो बिख़रने का सिलसिला है ये
ख़ुशबू होने ही की सज़ा है ये.
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हम जो रोते हैं कुफ़्र होता है
मज़हब-ए-इश्क़ में मना है ये.
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अपनी ताक़त को वो समझता है
हुस्न के साथ मसअला है ये.
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ख़त भला तेरा मैं जलाऊँगा?
आँसुओं से भभक गया है ये.
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हम तो फिरऔन इसको कहते हैं
ये समझता रहे ख़ुदा है ये.
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ग़म यहीं है यहीं कहीं होगा
तेरे देखे से छुप…
Posted on September 29, 2022 at 11:30am — 17 Comments
आ0 नीलेश भाई जी, आपको महीने का सकिय सदस्य चुने जाने पर आपको हार्दिक बधाई। सादर,
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