121 22 121 22 121 22 121 22
हज़ार लोगों से दोस्ती की हज़ार शिकवे गिले निभाये।
किसी ने लेकिन हमें न समझा सभी से हमने फरेब खाये।
हमारे जीवन में अब तुम्हारी जगह तो कोई नहीं है लेकिन,
दुआ में होठों से फिर ये निकला खुदा तुम्हारे दरस दिखाये।
किसी के दिल में बसे रहो तुम,हमारे दिल को मसलने वाले,
यही तकाज़ा है दोस्ती का फरेब खाकर करे दुआये।
हमारी आँखें फ़टी रही पर पलट के तुमने कभी न देखा,
अजीब उलझन है जिंदगी की न याद आये न भूल…
Posted on February 2, 2024 at 8:40pm
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हमारा जिक्र छोड़ो आप कुछ अपनी कहो, बोलो ।
बहुत दिन बाद आये ख़्वाब में कहदो उठो,बोलो।
फिसलते वक़्त की गिनती ने हमको कर दिया गंभीर,
मगर माँ बाप कहते हैं कि बच्चे हो हँसो, बोलो।
कहीं पर सामना हो जाए तेरा मैं रहूँ खामोश,
तेरी आँखे बहे,मुझसे कहें,तुम भी…
ContinuePosted on January 28, 2024 at 11:07pm — 3 Comments
1222 1222 122
1
मुझे महसूस करते थे खुशी से
मगर ये अब न कहना तुम किसी से
2
मुझे चाहत नहीं है अब किसी की
मुझे चाहत रही है पर सभी से
3
तुम्हारा नाम ही था कॉल में पर
मैं बातें कर रहा था अजनबी से
4
तनाफुर दिखता होगा शेर में अब
मैं शायद थक चुका हूँ शाइरी से
5
मैं अपने ग़म में ही मदहोश हूँ पर
हमें काफिर रिझाते मयकशी से
6
शुतुरगर्बा जबां पर आ गया है
बिठायें संतुलन कैसे सभी से
7
ये ज़ख़्मी शब्द हैं खामोश,रीते
तुझे…
Posted on January 28, 2024 at 10:05pm
2×15
कोशिश इतनी भी मत कीजे यादों को झुठलाने में ।
आँखों मे आँसू भर जायेगे ज्यादा मुस्काने में।
और भी कोई चीज़ बची है क्या तेरे मैखाने में,
सारे ग़म तो मिला दिए तूने मेरे पैमाने में।
बरस हज़ारों बीत गए हो जैसे तुझको देखे बिना,
बीस साल की गिनती तो मैं गिनता हूँ अनजाने में।
कोई फैसला लिखने बैठेगा तो उससे पूछूगा,
सारी गवाही पूरी हैं या देर है उनके आने में।
इतना पता मिल जाता बस वो सही सलामत रहते हैं,
अब तो…
Posted on July 12, 2023 at 12:02am
शुक्रिया मनोज जी |
आपका हार्दिक आभार :)
आभार
आ० मनोज जी
सर्वश्रेष्ठ लेखन कभी भी आसान नहीं होता . आपको इस सम्मान के लिये मेरी और से बधाई . सादर .
आदरणीय मनोज कुमार एहसास जी.
सादर अभिवादन !
मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी रचना "मेरी बेटी" को "महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना" सम्मान के रूप मे सम्मानित किया गया है, तथा आप की छाया चित्र को ओ बी ओ मुख्य पृष्ठ पर स्थान दिया गया है | इस शानदार उपलब्धि पर बधाई स्वीकार करे |
आपको प्रसस्ति पत्र शीघ्र उपलब्ध करा दिया जायेगा, इस निमित कृपया आप अपना पत्राचार का पता व फ़ोन नंबर admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध कराना चाहेंगे | मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई हो |
शुभकामनाओं सहित
आपका
गणेश जी "बागी
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक
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आपकी मित्रता का ह्रदय से स्वागत है आदरणीय मनोज जी
सादर!
जिंदगी की कशमकश व्यक्त करती अच्छी गजल। प्रयास अच्छा है
जय श्री राधे
भ्रमर ५
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