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Rajan Sharma
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i am a man of emotions

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भाई (कविता)

भावना के वेग से प्रेम के वाशीभूत हो
नैनो को करके सजल वो रात की रानी सी बहना ।
राम की मूरत निहारे कहे चाहिए भाई सा गहना
मन निकले कुछ स्वर तो बोले खुद ही बोल
मेरे आज से बस राम तेरे उन्ही को तू भाई कहना ।
मांगती हूँ एक वचन बांधकर रेशम की डोरउ
शाम हो या हो सवेरा जेठ की तपती दोपहरी
या शर्द रात्री का हो पहरा
जाऊ जिस भी मोड़ से में जिंदगी के हर मोड़
पर भाई मेरे संग संग ही रहना ।


मौलिक एवम् अप्रकाशित ।

Posted on August 28, 2015 at 5:00pm — 2 Comments

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At 1:13am on June 8, 2015,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

स्वागत अभिनन्दन 

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 ग़ज़ल की कक्षा 

 ग़ज़ल की बातें 

 

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At 10:22pm on June 7, 2015, मनोज अहसास said…
आपका स्वागत है राजन शर्मा जी
आपकी रचनाये पढ़ने को हम बेताब है
सादर
 
 
 

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