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Nilesh Shevgaonkar
  • Male
  • Indore
  • India
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Dayaram Methani commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो
"आदरणीय निलेश जी, आपकी पूरी ग़ज़ल तो मैं समझ नहीं सका पर मुखड़ा अर्थात मतला समझ में भी आया और बहुत अच्छा लगा। इस हेतु बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें।"
Oct 8
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"धन्यवाद आ. चेतन जी"
Sep 28
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आभार आ. संजय जी "
Sep 28
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आ. दयाराम जी ,आप ग़ज़ल पर आए और सराहना की तो बहुत अच्छा लगा ... औकात जैसा शब्द इस मंच पर कोई  स्थान नहीं रखता अत: आप निश्चिंत होकर टिप्पणी करें...पहली पंक्ति में था कर देता तो दूसरी पंक्ति में ज़िन्दगी को जस्टिफाई नहीं कर पाता... ज़िन्दगी दर्द…"
Sep 28
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आ. दयाराम जी ,अमित जी ने विस्तृत चर्चा की है..अत: मैं आपको सहभागिता हेतु बधाई प्रेषित करता हूँ..साथ ही यह आग्रह भी करूंगा कि अन्य रचनाकार भी अपनी ग़ज़लों पर आपकी और सभी रचनाकारों की टिप्पणी चाहते हैं.. उत्साहवर्धन हेतु आपको टिप्पणी करनी…"
Sep 28
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आ. आज़ी भाई, मतला कमज़ोर लग रहा है ..यूँ कर के देखें .... नींद आँखों में थी निशा भी थी कुछ नशा भी था इक बला भी थी ..शेष अमित जी और अमीर साहब कह चुके हैं..ग़ज़ल के लिए दाद और शुभकामनाएं सादर "
Sep 28
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आ. इंसान जी,.ज़िन्दगी थी वो दिलरुबा भी थी।कि ग़ज़ल मेरा हौसला भी थी।।... मतले में कि से शुरुआत होने से मतला कमज़ोर लग रहा है .. ज़िन्दगी थी वो दिलरुबा भी थी।इक  ग़ज़ल मेरा हौसला भी थी।।.. ये देखिएगा ..हुस्न मतला में अमित जी का सुझाव बेहतर है..काम…"
Sep 28
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आ. चेतन प्रकाश जी,आ. अमित जी ने विस्तृत इस्लाह कर दी है और मैं उन से सहमत हूँ . मिसरा दिए जाने के बाद आप फोन अथवा डायरी में ग़ज़ल कहने का प्रयास करें .. और उसका फाइनल स्वरूप फोन में सेव कर के आयोजन के दिन पोस्ट किया करें.. इससे आपको अपने साहित्य को…"
Sep 28
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"बहुत धन्यवाद आदरणीय अमीर साहब "
Sep 28
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"बहुत बहुत आभार आ. ऋचा जी "
Sep 28
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"धन्यवाद आ. आज़ी तमाम साहब "
Sep 28
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय मनोज जी,आप अभिलाषी हैं कि लोग आपकी रचना पर टिप्पणी करें।आपने कितनी ग़ज़लों पर टिप्पणी की आज?अपनी पोस्ट दागना और गायब हो जाना किस तरह से साहित्यिक है?आप को अपनी रचना पर हर टिप्पणी पढ़ने का वक्त है लेकिन आपके बाद की गई किसी ग़ज़ल पर आप न…"
Sep 27
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आभार आ. शिज्जू भाई "
Sep 27
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आभार आ. अमित जी "
Sep 27
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आ. अजय जी,इस मंच पर आने से पहले मुझे एक मिश्रा भी बहर में कहना नहीं आता था .. इसी प्रकार की चर्चाएँ सब को समृद्ध करती हैं.सोचते हैं कुछ और उदाहरण... आप भी सोचिये :) "
Sep 27
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आ. संजय जी , आइना टूट कर पशेमाँ हुआ हक़ बयानी की ये सज़ा भी थी....सच बोलने वाला लज्जित या पशेमाँ क्यूँ होगा? ... यह आईने की फिलोसोफी से मेल नहीं खाता ... आइना टूट कर भी हँसता रहा  हक़ बयानी की ये सज़ा भी थी.... ऐसा कुछ सोचिये जो और कनेक्टिंग…"
Sep 27
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"बहुत बहुत आभार आदरणीय अजय जी "
Sep 27
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय अजय जी,//मेरी माँ ही मेरा  पिता हैं//.... ऐसे होना चाहिए आपके लॉजिक को मानें तो यहाँ मेरे नहीं आएगा माँ ही मेरी पिता भी है ..यह सही वाक्य विन्यास है ..बाकी जैसा आप उचित समझें सादर "
Sep 27
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
".दर्द तो थी मगर दवा भी थी, ज़िन्दगी लुत्फ़ भी सज़ा भी थी. . ख़ुद का ख़ुद ही से फ़ासला भी थी यानी मन्ज़िल ही रास्ता भी थी. . मुझ से लड़की जो आश्ना भी थी   वो ही हल थी औ मस’अला भी थी. . अब जो दुश्मन मेरे मुक़ाबिल हैं कल तलक उन से मित्रता भी थी. .…"
Sep 27
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आ. अजय जी,बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है... इक सिलाई मशीन उस के घर   विधवा के बच्चों का पिता भी थी ... ये शे'र एक नया आयाम जोड़ता है लेकिन इसमें एक भाषाई त्रुटी भी है.. बच्चों की पिता कर लें क्यूँ कि रिफरेन्स स्त्रीलिंगी मशीन का है ..अच्छी ग़ज़ल के…"
Sep 27

Profile Information

Gender
Male
City State
Indore-MP
Native Place
Indore-MP
Profession
Civil Engineer

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ग़ज़ल नूर की - तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो

.

तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो

जो मुझ में नुमायाँ फ़क़त तू ही तू हो.

.

ये रौशन ज़मीरी अमल एक माँगे

नदामत के अश्कों से दिल का वुज़ू हो.

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जो तख़लीक़ सब की सभी से जुदा है

भला राह मुक्ति की क्यूँ  हू-ब-हू हो.

.

कभी हो ख़यालात से ज़ह’न ख़ाली

ख़लाओं से भी तो कभी गुफ़्तगू हो.

.

वो मुल्हिद नहीं हो मगर ये है मुमकिन

उसे बस सवालात करने की ख़ू हो.

(मुल्हिद--नास्तिक) (ख़ू -आदत)

.

निलेश "नूर"

मौलिक/…

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Posted on September 18, 2024 at 4:51pm — 4 Comments

ग़ज़ल नूर की -कुछ थे अधूरे काम सो आना पड़ा हमें.

.

कुछ थे अधूरे काम सो आना पड़ा हमें.

फ़ानी बदन में ख़ुद को समाना पड़ा हमें

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जश्न-ए-जहान था ही नहीं अपने वास्ते

आ ही गए तो जश्न मनाना पड़ा हमें.

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फिर जब पहेली मौत…

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Posted on January 11, 2024 at 11:53am — 6 Comments

ग़ज़ल नूर की - दफ़्तर में तू पहला दिख

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दफ़्तर में तू पहला दिख

काम न कर पर करता दिख.

.

ये बाज़ार का मंतर है

सस्ता बिक पर महँगा दिख.

.

कर व्यवहार परायों सा…

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Posted on July 31, 2023 at 11:05am — 8 Comments

ग़ज़ल नूर की - नशे में लाख रहूँ पर बहक नहीं सकता

१२१२ ११२२ १२१२ २२ (११२)

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नशे में लाख रहूँ पर बहक नहीं सकता

लबों से तल्ख़ियाँ दिल की मैं बक नहीं सकता.

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मुझे ये डर है बयाबान में न खो जाऊं

मैं अपने आप में ज़्यादा भटक नहीं सकता.

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कभी लगे है…

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Posted on July 19, 2023 at 3:22pm — 4 Comments

Comment Wall (7 comments)

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At 2:21pm on September 16, 2017, Afroz 'sahr' said…
आदरणीय निलेश जी आपने ख़ाकसार की बात की ताईद की बहुत आभार प्रकट करता हूँ !सादर
At 9:50pm on March 3, 2017, Hemant kumar said…
आदरणीय सर प्रणम ! मै ओ बी ओ मे काफीया पढ़ रहा हूं पर पल्ले कुछ भी नही पड़ रहा है ।
सर आपसे विनम्र आग्रह है काफीया निर्धारण पर पुनः प्रकाश डालने की अनुकंपा करें ।सादर..
At 2:37am on June 29, 2014, Adesh Tyagi said…
जनाबे-मोहतरम निलेश शेव्गाँवकर साहब, अल्फ़ाज़े-तहसीन का तहे-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ।
At 4:47am on November 11, 2013, Abhinav Arun said…

महीने का सक्रिय सदस्य (Active Member of the Month)चुने जाने पर आ. नीलेश जी आपको दिली मुबारकबाद !

At 1:45pm on November 7, 2013, केवल प्रसाद 'सत्यम' said…

आ0 नीलेश भाई जी, आपको महीने का सकिय सदस्य चुने जाने पर आपको हार्दिक बधाई।  सादर,

At 1:14pm on November 6, 2013,
सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी
said…

आदरणीय नीलेश भाई , सक्रिय सदस्य चुने जाने के लिये आपको हार्दिक बधाईयाँ  !!!!!!

At 12:32pm on November 6, 2013,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

आदरणीय Nilesh Shevgaonkar जी
सादर अभिवादन,
यह बताते हुए मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है कि ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार में आपकी सक्रियता को देखते हुए OBO प्रबंधन ने आपको "महीने का सक्रिय सदस्य" (Active Member of the Month) घोषित किया है, बधाई स्वीकार करे | कृपया अपना पता और नाम (जिस नाम से ड्राफ्ट/चेक निर्गत होगा), बैंक खता विवरणी एडमिन ओ बी ओ को उनके इ मेल admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध करा दें | ध्यान रहे मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई है |
हम सभी उम्मीद करते है कि आपका सहयोग इसी तरह से पूरे OBO परिवार को सदैव मिलता रहेगा |

सादर । 


आपका
गणेश जी "बागी"
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक
ओपन बुक्स ऑनलाइन

 
 
 

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"आ. रचना बहन, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आ. भाई संजय जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
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Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आदरणीया रचना जी, 8 सुधार बहर में नहीं है। यूँ कर सकते हैं.....  "बदल दो तुम नज़रीये ख़याल…"
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अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"1212 1122 1212 22 "बदल दो तुम नज़रिये ख़्यालात अपने सभी".... ये मिसरा बेबह्र…"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा है। सुझाव के बाद यह और अच्छी हुई है। हार्दिक बधाई।"
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अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और दाद-ओ-तहसीन से नवाज़ने के लिए तह-ए-दिल से…"
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अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
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