For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

harivallabh sharma
Share on Facebook MySpace

Harivallabh sharma's Friends

  • Hari Prakash Dubey
  • Neeles Sharma
  • Ketan Kamaal
  • Jain Anshu D Aanshu
  • DILIP KUMAR JHA "MANOHAR"
  • seemahari sharma
  • विनय कुमार
  • पं. प्रेम नारायण दीक्षित "प्रेम"
  • पवन प्रताप सिंह राजपूत 'पवन'
  • maneesh dixit
  • आदित्य श्रीराधेकृष्ण सोऽहं
  • Dr. Vijai Shanker
  • JAGDISH PRASAD JEND PANKAJ
  • Mukesh Verma "Chiragh"
  • amit kumar dubey
 

harivallabh sharma's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
Hoshangabad MP
Native Place
Hoshangabad
Profession
retied police officer
About me
having passion of read & write

Harivallabh sharma's Blog

ग़ज़ल : वक़्त भी लाचार है.

** ग़ज़ल : वक़्त भी लाचार है.

2122,2122,212

आदमी क्या वक़्त भी लाचार है.

हर फ़रिश्ता लग रहा बेजार है.

आज फिर विस्फोट से कांपा शहर.

भूख पर बारूद का अधिकार है.

क्यों हुआ मजबूर फटने के लिए.

लानतें उस जन्म को धिक्कार है.

औरतों की आबरू खतरे पड़ी,

मारता मासूम को मक्कार है.

कर रहे हैं क़त्ल जिसके नाम पर,

क्या यही अल्लाह को स्वीकार है.

कौम में पैदा हुआ शैतान जो,

बन…

Continue

Posted on January 10, 2015 at 3:47pm — 21 Comments

नवगीत : सूरज रे जलते रहना.

**सूरज रे जलते रहना.

भीषण हों कितनी पीढायें,

अंतस में दहते रहना.

सूरज रे जलते रहना.

 

घिरते घोर घटा तम बादल,

रोक नहीं तुमको पाते,

सतरंगी घोड़ों के रथ पर,

सरपट तुम बढ़ते जाते.

दिग दिगंत तक फैले नभ पर,

समय चक्र लिखते रहना.

सूरज रे जलते रहना.

 

छीन रहे हैं स्वर्ण चंदोवा,

मल्टी वाले मुस्टंडे.

सीलन ठिठुरन शीत नमी सब,

झुग्गी वाले हैं ठन्डे.

फैले बरगद के नीचे…

Continue

Posted on January 7, 2015 at 3:30pm — 22 Comments

ग़ज़ल : आजमाते पंख के फैलाव को.

2122,2122,212

सह सके ना फूल के टकराव को.

हैं मुकाबिल झेलने सैलाव को.

थामना पतवार सीखा है नहीं.

हैं चले खेने बिफरती नाव को.

हौसला उनका झुकाता आसमां.

आजमाते पंख के फैलाव को.

हर सफलता चूमती उनके कदम,

आजमाते वक़्त पर जो दाव को.

भाव उनके भी गिरेंगे एक दिन,

भूल जाते हैं सरे सद्भाव को.

.

हरिवल्लभ शर्मा दि. 04.01.2015

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Posted on January 4, 2015 at 6:30pm — 15 Comments

नवगीत : दिन में दिखते तारे

नवगीत : दिन में दिखते तारे.

तिल सी खुशियों की राहों में,

खड़े ताड़ अंगारे.

कैसे कटें विपत्ति के दिन,

दिन में दिखते तारे.

 

आशा बन बेताल उड़ गयीं,

उलझे प्रश्न थमाकर.

मुश्किल का हल खोजे विक्रम,

अपना चैन गवाँकर.

मीन जी रही क्या बिन जल के.

खाली पड़े पिटारे.

कैसे कटें विपत्ति के दिन..

दिन में दिखते तारे.

 

दर्पण हमको रोज दिखाता,

एक फिल्म आँखों से,

पत्तों जैसे दिवस झर…

Continue

Posted on January 1, 2015 at 3:00pm — 24 Comments

Comment Wall (10 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 7:02pm on January 3, 2016, Sushil Sarna said…

नूतन वर्ष 2016 आपको सपरिवार मंगलमय हो। मैं प्रभु से आपकी हर मनोकामना पूर्ण करने की कामना करता हूँ।

सुशील सरना

At 8:13pm on January 7, 2015, Hari Prakash Dubey said…

आदरणीय सर , बहुत आभार आपका ,सादर !

At 3:28am on September 11, 2014, vijay nikore said…

मित्रता का हाथ बढ़ाने के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय हरिवल्लभ जी। मैं हर्षित हूँ।

At 9:44pm on September 6, 2014, अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव said…

आदरणीय हरिवल्लभ जी............

आपने इस योग्य समझा , हृदय से धन्यवाद 

At 1:44pm on August 3, 2014, Dr Ashutosh Mishra said…

आदनीय हरिवल्लभ जी ..आप से मित्रता मेरे लिए सुखद अहसास है ..आपके दोस्तों की सूची में शामिल होना मेरे लिए गर्व की बात है 

At 1:51pm on July 30, 2014, PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA said…

सादर आभार सर जी मित्रता हेतु 

सदैव मार्ग दर्शन अपेक्षित है. स्नेह बनाये रखिये . 

At 6:44pm on July 7, 2014, Sushil Sarna said…

आप जैसे मित्रों का होना मेरे लिए गर्व की बात है। 

At 9:36am on July 7, 2014, Dr. Vijai Shanker said…
Welcome
At 10:16pm on July 6, 2014, कल्पना रामानी said…

आदरणीय हरिवल्लभ जी, आपकी मित्रता पाकर  मन बहुत हर्षित हुआ। आपका इस परिवार में हार्दिक स्वागत

At 10:00pm on July 6, 2014, डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव said…

आदरनीय

आपकी मित्रता मेरा गौरव i धन्यवाद i

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 172 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
14 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 160

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
14 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-167
"जितनी भी कोशिश करो, रहता नहीं अखण्ड। रावण  हो  या  राम का, टिकता नहीं…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-167
"हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-167
"हार्दिक आभार आदरणीय दिनेश कुमार जी"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-167
"हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-167
"सारगर्भित मुक्तकों के लिए बधाई प्रेषित है आदरणीय..सादर"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-167
"आदरणीय दिनेशकुमार विश्वकर्मा जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-167
"आदरणीया, प्रतिभा पाण्हे जी,बहुत सरल, सार-गर्भित कुण्डलिया छंद हुआ, बधाई, आपको"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-167
"आप, भगवान के बिकने के पीछे आशय स्पष्ट करें तो कोई विकल्प सुझाया जाय, बंधु"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-167
"आपके जानकारी के किए, पँचकल से विषम चरण प्रारम्भ होता है, प्रमाणः सुनि भुसुंडि के वचन सुभ देख राम पद…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-167
"आपके जानकारी के किए, पँचकल से विषम चरण प्रारम्भ होता है, प्रमाणः सुनि भुसुंडि के वचन सुभ देख राम पद…"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service