** ग़ज़ल : वक़्त भी लाचार है.
2122,2122,212
आदमी क्या वक़्त भी लाचार है.
हर फ़रिश्ता लग रहा बेजार है.
आज फिर विस्फोट से कांपा शहर.
भूख पर बारूद का अधिकार है.
क्यों हुआ मजबूर फटने के लिए.
लानतें उस जन्म को धिक्कार है.
औरतों की आबरू खतरे पड़ी,
मारता मासूम को मक्कार है.
कर रहे हैं क़त्ल जिसके नाम पर,
क्या यही अल्लाह को स्वीकार है.
कौम में पैदा हुआ शैतान जो,
बन मसीहा आ गया गद्दार है.
नेकियाँ हर धर्म के उपदेश में,
बदनुमा किस धर्म में किरदार है.
पाक दामन साफ़ हो अपना जिगर,
छूत रोगी घर घुसे बेकार है.
**हरिवल्लभ शर्मा.
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
Comment
आदरणीय मोहन बेगोवाल जी आपकी सुन्दर समीक्षा एवं हौसला अफजाई हेतु हार्दिक शुक्रिया..सादर.
आदरणीय Madan Mohan saxena जी ग़ज़ल पर स्नेहिल प्रतिक्रिया देकर हौसला अफजाई हेतु हार्दिक आभार आपका.
आज के माहौल को पेश करते सभी अश'आर लाजवाब -बधाई हो
कर रहे हैं क़त्ल जिसके नाम पर,
क्या यही अल्लाह को स्वीकार है.
कौम में पैदा हुआ शैतान जो,
बन मसीहा आ गया गद्दार है.
बेहद उम्दा ग़ज़ल ,वाह वाह ! क्या बात है
आदरणीय khursheed khairadi साहब आपका स्नेह ग़ज़ल को मिला आपका हार्दिक आभार, कृपया मार्गदर्शन देते रहें, सादर.
आदरणीय ajay sharma जी आपने पोस्ट पर ध्यान देकर उत्साह वर्धन किया आपके मार्गदर्शन का हार्दिक स्वागत एवं आभार ..सादर .
आदरणीय बागी साहब तीसरे शेर ..
क्यों हुआ मजबूर फटने के लिए.
लानतें उस जन्म को धिक्कार है.....को परिवर्तित कर
बन गया इंसान से बम किस लिए,
लानतें उस शख्स को धिक्कार है...करना चाहता हूँ...आप सुधिजन की कृपया देख लें.
नेकियाँ हर धर्म के उपदेश में,
बदनुमा किस धर्म में किरदार है.
आदरणीय हरिवल्लभ सर ,उम्दा ग़ज़ल हुई है |बहुत बहुत बधाई |सादर अभिनन्दन |
sabhi sher saaf aur dhardaar lage .....jaha tak dusre aur tisre sher ka arth .....hai ...to apki tippadi se vo bhi saaf saaf ho gaya ......चन्द रुपयों की लालच में ये कार्य करने को मजबूर हैं..उनकी जान के बदले उनके परिजन को पैसे भेज दिए जाते हैं...पेट भरने के लिए निकले लोग ही इसके शिकार होते हैं..विस्फोट में खाने कमाने निकले लोग ही अक्सर मरते हैं..... sahi kaha apne .....yahi hallat hai mulq aur dusre desho me bhi .....pata nahi kyo ..............hame hal dhoondna chahiye ..
आदरणीय सोमेश कुमार जी आदरणीय बागी जी की बात से सहमत हूँ..शेर परिवर्तित कर शीघ्र पुनः हाजिर होता हूँ..सादर
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