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ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २

चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

हो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल के

हर पल अपना जिगर जलाना पड़ता है

तब जाके अल्फाज़ महकते हैं दिल के

नफ़रत बो कर लोगों के ज़ह्न–ओ–दिल में

ख़्वाब दिखाते हैं साहिब मुस्तक़बिल के

कश्ती की हस्ती है बीच भँवर लेकिन

लोग सफ़र में दीवाने हैं साहिल के

जिसने लाचारों के ऊपर ज़ुल्म किया

चोर सुनाते हैं किस्से उस बुझदिल के

सब कुछ धीरे धीरे यूँ ही गँवा दिया

बेहोशी में गुज़र गये दिन ग़ाफ़िल के

वक़्त की ऐसी मेह्र हुई बे-अक़्लों पर

ताज सजाया सर पे सब ने जाहिल के

अपना रस्ता ख़ुद तय करना पड़ता है

इतना जाना है आज़ी ख़ुद से मिल के

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Aazi Tamaam 1 hour ago

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय निलेश सर ग़ज़ल पर इस्लाह करने के लिए

सहृदय धन्यवाद

और बेहतर हो गये अशआर आपकी इस्लाह से

इसीलिए एक ग़ज़ल तब तक मुकम्मल नहीं होती जब तक गुणीजनों की नज़रों के सामने से नहीं गुजरे

Comment by Nilesh Shevgaonkar 2 hours ago

आ. आज़ी भाई 

मतले के सानी को लयभंग नहीं कहूँगा लेकिन थोडा अटकाव है .

चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

हो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल के
फिर हो जाएं आसाँ रस्ते मंज़िल के 
.
हर पल अपना खून  जलाना पड़ता है..
.
ख़्वाब दिखाते हैं साहिब मुस्तक़बिल के


साहिब ख़्वाब दिखाते हैं मुस्तक़बिल के.. ज़ोर कर्ता पर दीजिये ..
.

उस ने  लाचारों के ऊपर ज़ुल्म किया

चोर सुनाते हैं किस्से उस बुझदिल के  यहाँ चोर का रेफरेंस  क्लियर नहीं है. 
किसे  सुनाते हो क़िस्से उस बुज़दिल के 
.
ताज सजाया सब ने  सर पे   जाहिल के  ..अब दुरुस्त है ..
.
आज़ी ने ये जाना है ख़ुद से मिल के

बहुत बहुत बधाई 
 





सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी 3 hours ago

आदरणीय आजी भाई , ख़ूबसूरत ग़ज़ल हुई है , दिली बधाई स्वीकार करें 

Comment by Aazi Tamaam on Tuesday

आदरणीय सुधार कर दिया गया है 

Comment by Aazi Tamaam on August 15, 2025 at 5:38pm

शुक्रिया आदरणीय चेतन जी इस हौसला अफ़ज़ाई के लिए

तीसरे का सानी स्पष्ट करने की कोशिश जारी है

ताज में नुक़्ता नहीं लगता है आदरणीय सादर

Comment by Chetan Prakash on August 14, 2025 at 9:26pm

अच्छी ग़ज़ल हुई, भाई  आज़ी तमाम! लेकिन तीसरे शे'र के सानी का भाव  स्पष्ट  नहीं हो  सका ! और, " ताज" पर नुक़्ता लाज़िम था !

कृपया ध्यान दे...

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