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विषय – अब्दुर्रहीम खानखाना कृत ‘मदनाष्टक’ के तीन छंददिनांक – 21 मार्च 2021 ई० मुख्य अतिथि – श्री कुँवर कुसुमेशदिवस - रविवार संचालक – आलोक…Continue
Started Mar 24
स्थान- 537A /005, महाराजा अग्रसेन नगर, सीतापुर रोड. लखनऊ दिनांक – 21 मार्च 2021 ई० …Continue
Started Mar 24
(संचार माध्यम से युगपत साहित्यिक गतिविधि)दिनांक – 21 फरवरी 2021 ई० (रविवार) संचालक – सुश्री आभा खरे समय – 3 बजे अपराह्न अध्यक्ष – श्री अजय प्रकाश श्रीवास्तव…Continue
Started Mar 11
(संचार माध्यम से युगपत साहित्यिक गतिविधि)विषय – कवयित्री सुश्री निर्मला शुक्ल की कविता ‘फूल बनो‘दिनांक – 21 फरवरी 2021 ई० (रविवार) संचालक – सुश्री आभा खरे समय – 3 बजे अपराह्न …Continue
Started Mar 8
मेरा सीमित प्यार तुम्हे आयाम चाहिए
Posted on August 24, 2020 at 2:55pm — 4 Comments
तू मेरी साँसों का परिमल, मैं तेरा उच्छ्वास I
बन उपवन भौरे गुंजन सब
देते है अवसाद I
तृप्ति मुझे मिल जाती है यदि
थोड़ा मिले प्रसाद I
अनुभव के पन्नों में बिखरा, रागायित इतिहास I
जाने कहाँ तिरोहित हैं सब
मान और सम्मान I
घुल जाता है तेरे सम्मुख
पुरुषोचित अभिमान I
अग्नि-खंड यह बन जाता है, मुग्ध प्रणय का दास I
उल्काओं को धूल बनाने
की है तुममें शक्ति I
वही शक्ति…
ContinuePosted on June 15, 2020 at 7:50pm — 3 Comments
टिड्डियाँ
चीन नहीं जायेंगी
वह आयेंगी
तो सिर्फ भारत
क्योंकि वह जानती हैं
कि चीन में
बौद्ध धर्म आडंबर में है
और भारत में
आचरण है, संस्कार है
यहाँ अहिंसा
परम धर्म है
यहाँ आजादी है
अभिव्यक्ति की
भ्रमण की, निवास की
व्यवसाय की. समुदाय की
जो चीन में नहीं है
वे जानती हैं
चीन यदि जायेंगी
तो बच नहीं पाएंगी
आहार पाने की कोशिश में
आहार बन…
ContinuePosted on May 28, 2020 at 4:59pm — 4 Comments
आदरणीय डॉक्टर साहेब
आपके द्वारा रचित खंडकाव्य मेघदूत का कथानक पढ़ा .बड़ा साहसिक कदम उठाया है आपने .आपने मेरी जिज्ञासा बहुत बढ़ा दी है .पूरा मेघदूत पढ़ने के लिए मन लालायित हो उठा है . आशा करता हूँ की बहुत जल्दी आपका खंडकाव्य पढ़ने को मिलेगा .महाकवि कालिदास की रचना का हिंदी काव्यानुवाद कितना बड़ा कार्य है और इसके लिए कितनी हिम्मत चाहिए मैं समझ सकता हूँ .किन्तु आपने इस कार्य को पूर्ण करके सामान्य जनमानस को भी मेघदूत की जो सौगात भेंट की है उसके लिए हिंदी साहित्य सदैव आपका ऋणी रहेगा . आप ऐसे ही पुनीत कार्य करते रहें .हमारी शुभकामनाएं सदैव आपके साथ हैं .
स्वागत है आदरणीय !
नूतन वर्ष 2016 आपको सपरिवार मंगलमय हो। मैं प्रभु से आपकी हर मनोकामना पूर्ण करने की कामना करता हूँ।
सुशील सरना
वह अगले साल आएगा - इस वाक्य में कौन सा कारक है?
1) कर्म कारक
2) अपादान कारक
3) अधिकरण कारक
4) सम्बन्ध कारक
आदरणीय डा. गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी कृतज्ञ हूँ सर !!
आ. गोपाल नारायन सर, ये घटना मेरे सामने की है(मेरे परम मित्र के साथ घटी हुई) इसीलिए मैंने इस पर लिखने का प्रयास किया है. एक प्रयास थी इस संवेदनशील मुद्दे पर लिखने की, काफ़ी कमियाँ रह गई हैं. सुधरा हुआ रूप निकट भविष्य में पुनः आप सभी श्रेष्ठ एवं गुणीजनों के समक्ष प्रस्तुत करूँगा. कहानी पर समय देकर मार्गदर्शन के लिए आपको कोटिशः धन्यवाद. आपके द्वारा इंगित किए गए बिन्दुओं पर काम करके यह कहानी पुनः पोस्ट करूँगा.
'
यही है कविता का मर्म
नियम नहीं, धर्म नहीं
बस केवल कर्म'.....आदरणीय गोपाल भाईजी, बहुत बढ़िया, कविता कर्म प्रधान हो यह लक्ष्य होना चाहिए, सादर।
बहुत बहुत आभार! आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव सर! स्नेह बनाये रक्खे!
आ. डॉ गोपाल नारायण जी ,,,कविता के इस मंच पर ,,अपना मित्र बनाकर आपने मुझे पुरस्कार दिया ,,आपका हार्दिक आभार और आशा है ,यूँ ही हम छोटों को आशीष देते रहेंगे |
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