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बृजेश कुमार 'ब्रज'
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Saurabh Pandey commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल...मैं नहीं हूँ
"रोचक रदीफ लेकर निभाना चाहा है आपने बृजेश जी. कुछॆक मिसरा-ए-सानी को छोड़ दें तो आप सफल भी रहे हैं। हार्दिक बधाइयाँ  "
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Aazi Tamaam commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल...मैं नहीं हूँ
"जी बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई आ बधाई"
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बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Md. Anis arman's blog post ग़ज़ल
"उम्दा ग़ज़ल कही ज़नाब अनीस जी...बधाई"
Dec 30, 2023
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल -- क़दमों में तेरे ख़ुशियों की इक कहकशाँ रहे -- दिनेश कुमार
"आदरणीय दिनेश बढ़िया ग़ज़ल कही बधाई..."
Dec 30, 2023
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय सुशील जी सारपूर्ण दोहों के लिए बधाई"
Dec 30, 2023
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on सतविन्द्र कुमार राणा's blog post दिख रहे हैं हजार आंखों में
"ग़ज़ल अच्छी लगी राणा साहब...आदरणीय सौरभ जी की समीक्षा ज्ञान बर्धक है।"
Dec 30, 2023
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सब से हसीन ख्वाब का मंजर सँभालकर - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय धामी जी...ग़ज़ल अच्छी लगी...सादर"
Dec 30, 2023
बृजेश कुमार 'ब्रज' posted a blog post

ग़ज़ल...मैं नहीं हूँ

बहरे रमल मुसद्दस सालिमफ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन2122 2122 2122सिर्फ उसकी याद आयी मैं नहीं हूँया'नी मेरे साथ में भी मैं नहीं हूँवो जमीं पे चाँद जैसी और उसकीकू-ब-कू है रौशनाई मैं नहीं हूँगीत उसका राग उसके बज़्म उसकीवो ग़ज़ल में भी समाई मैं नहीं हूँवो नहीं तस्वीर मेरी अय मुसव्विरऔर जो तुमने बनायी मैं नहीं हूँजिस छुअन का हो रहा अहसास तुमकोवो हवा की है रवानी मैं नहीं हूँ(मौलिक एवं अप्रकाशित)बृजेश कुमार 'ब्रज'See More
Dec 27, 2023
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on SALIM RAZA REWA's blog post निछावर जिसपे मैंने ज़िंदगी की- ग़ज़ल
"अच्छी ग़ज़ल कही सलीम रजा साहिब...7वे शेर में सही शब्द "अबरू होगा या आबरू"?जानकारी के लिए?"
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"अत्यंत सारपूर्ण सृजन के लिये बधाई आदरणीया..."
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बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल
"रचना पटल पे आपका हार्दिक अभिनंदन एवं आभार आदरणीय मिथिलेश जी...टंकण त्रुटि की ओर ध्यानाकर्षण के लिए भी आपका आभार..."
May 18, 2023

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मिथिलेश वामनकर commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल
"आदरणीय बृजेश जी, बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है. शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं. सादर  टंकण भूल- //मैं उसी मोड़ पर सोचता रहा गया//"
May 15, 2023
बृजेश कुमार 'ब्रज' posted a blog post

ग़ज़ल

212 212 212 212मैं उसी मोड़ पर सोचता रह गया वो गया याद का सिलसिला रह गया उसके होंठो पे कुछ बात सी रह गयी मेरे मन में भी कुछ अनकहा रह गया देख कर सब मुझे बात करने लगे हाय क्या शख़्स था और क्या रह गया आज फिर आँखों में है नमी अज़नबी आज फिर आइना ताकता रह गया मिट गया प्यार मायूस नाकाम हो प्यार का दर्द लेकिन बचा रह गया कहकहों से भरी चाँद की महफ़िलें इक चकोरा उसे टेरता रह गया दोस्त दामन बचाकर बिछड़ते गये 'ब्रज' ठगा सा अकेला खड़ा रह गयाअजीज कैसी साहब की ग़ज़ल "आपको देखकर देखता रह गया" की जमीन पे वसीम…See More
Apr 22, 2023
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on नाथ सोनांचली's blog post ग़ज़ल (गर आपकी ज़ुबान हो तलवार की तरह)
"क्या ही खूब ग़ज़ल कही है आदरणीय सोनांचली जी..."
Mar 31, 2023
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on मनोज अहसास's blog post अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास
"वाह वाह आदरणीय मनोज जी बहुत ही खूब ग़ज़ल कही..."
Mar 31, 2023

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ग़ज़ल...मैं नहीं हूँ

बहरे रमल मुसद्दस सालिम

फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन

2122 2122 2122



सिर्फ उसकी याद आयी मैं नहीं हूँ

या'नी मेरे साथ में भी मैं नहीं हूँ



वो जमीं पे चाँद जैसी और उसकी

कू-ब-कू है रौशनाई मैं नहीं हूँ



गीत उसका राग उसके बज़्म उसकी

वो ग़ज़ल में भी समाई मैं नहीं हूँ



वो नहीं तस्वीर मेरी अय मुसव्विर

और जो तुमने बनायी मैं नहीं हूँ



जिस छुअन का हो रहा अहसास तुमको

वो हवा की है रवानी मैं नहीं हूँ

(मौलिक एवं… Continue

Posted on December 27, 2023 at 6:40pm — 2 Comments

ग़ज़ल

212 212 212 212

मैं उसी मोड़ पर सोचता रह गया

वो गया याद का सिलसिला रह गया



उसके होंठो पे कुछ बात सी रह गयी

मेरे मन में भी कुछ अनकहा रह गया



देख कर सब मुझे बात करने लगे

हाय क्या शख़्स था और क्या रह गया



आज फिर आँखों में है नमी अज़नबी

आज फिर आइना ताकता रह गया



मिट गया प्यार मायूस नाकाम हो

प्यार का दर्द लेकिन बचा रह गया



कहकहों से भरी चाँद की महफ़िलें

इक चकोरा उसे टेरता रह गया



दोस्त दामन बचाकर बिछड़ते…

Continue

Posted on April 21, 2023 at 8:00am — 2 Comments

ग़ज़ल-रफ़ूगर

121 22 121 22 121 22



सिलाई मन की उधड़ रही साँवरे रफ़ूगर

कि ज़ख्म दिल के तमाम सिल दे अरे रफ़ूगर



उदास रू पे न रंग कोई उदास टांको

करो न ऐसा मज़ाक तुम मसखरे रफ़ूगर



हज़ार ग़म पे छटाक भर की ख़ुशी मिली है

तुझे अभी कुछ पता नहीं मद भरे रफ़ूगर



कहीं पलक से टपक न जाये हरेक आँसू

भला हो तेरा न और दे मशविरे रफ़ूगर



यही भरोसा है एक दिन फिर से आ मिलेंगे

यहीं कहीं खो गये सभी आसरे रफ़ूगर



कि 'ब्रज' इसी इक उधेड़बुन में रहे हमेशा…

Continue

Posted on February 2, 2023 at 9:30pm — 5 Comments

ग़ज़ल

1222 1222 122
बड़ी दिल-जू रही सूरत हमारी
उदासी खा गई सूरत हमारी

ग़मों को एक चहरा चाहिए था
उन्हें भी भा गई सूरत हमारी

सभी हैरान होकर देखते हैं
लगे सबको नई सूरत हमारी

न जाने कौन शब भर ख़्वाब में था
किसे अच्छी लगी सूरत हमारी

हमारे लब भले चुप हो गये 'ब्रज'
कहे हर अनकही सूरत हमारी

(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बृजेश कुमार 'ब्रज'

Posted on December 15, 2022 at 6:30pm — 18 Comments

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At 6:59pm on October 24, 2017, डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव said…

स्वागत है आदरणीय ,  आपको मित्र के रूप में पाना मेरा सौभाग्य है .

At 11:43pm on November 17, 2015,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

आपका अभिनन्दन है.

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