फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन
ज़िन्दगी में सिर्फ़ ग़म हैं और तुम हो
आज फिर से आँखें नम हैं और तुम हो
लग रहा है अब मिलन मुमकिन नहीं है
वक़्त से लाचार हम हैं और तुम हो
रात चुप, है चाँद तन्हा, साँस मद्धम
इश्क़ में लाखों सितम हैं और तुम हो
दिल की बस्ती में अकेला तो नहीं हूँ
नींद से बोझिल क़दम हैं और तुम हो
क्या बताऊँ किसलिये है 'ब्रज' परेशां
वस्ल के आसार कम हैं और तुम हो
(मौलिक एवं अप्रकाशित)…
Posted on February 18, 2021 at 9:30pm — 11 Comments
विधान – 27 मात्रा, 16,11 पर यति, चरणान्त में 21 लगा अनिवार्य l कुल चार चरण, क्रमागत दो-दो चरण तुकांत l
ह्रदय बसाये देवी सीता
वन वन भटकें राम
लोचन लोचन अश्रु बावरे
बहते हैं अविराम
सुन चन्दा तू नीलगगन से
देख रहा संसार
किस नगरी में किस कानन में
खोया जीवन सार
हे नदिया हे गगन,समीरा
ओ दिनकर ओ धूप
तृण तृण से यूँ हाथ जोड़कर
पूछ रहे…
Posted on December 10, 2020 at 7:00pm — 8 Comments
2122 2122 2122 2
चुप रहीं आँखें सजल ने कुछ नहीं बोला
इसलिए मनवा विकल ने कुछ नहीं बोला
भाव जितने हैं सभी को लिख दिया हमदम
क्या कहूँ! तुमसे ग़ज़ल ने कुछ नहीं बोला?
जिस किनारे बैठ के पहरों तुम्हें सोचूँ
उस जलाशय के कमल ने कुछ नहीं बोला?
एक पत्थर झील में फेंका कि जुम्बिश हो
झील के खामोश जल ने कुछ नहीं बोला
साथ 'ब्रज' के रात भर पल पल रहे जलते
जुगनुओं के नेक दल ने…
Posted on November 19, 2020 at 9:00pm — 6 Comments
मुफाईलुन*4
खरीदूँ कौन सी सब्जी बड़े लगते झमेले हैं
कहीं लौकी कहीं कद्दू कहीं कटहल के ठेले हैं
इधर भिन्डी बड़ी शर्मो हया से मुस्कुराती है
अजब नखरे टमाटर के पड़ोसी कच्चे केले हैं
तुनक में मिर्च बोली आ तुझे जलवा दिखाती हूँ
कहे धनिया हमें भी साथ ले लो हम अकेले हैं
शकरकंदी,चुकंदर ने सजाई नाज से महफ़िल
सुनाया राग आलू ने मगन बैगन,करेले हैं
घड़ी भर को जरा पहलु में लहसुन,प्याज आ बैठो
जुदाई में तुम्हारी 'ब्रज' ने…
Posted on November 1, 2020 at 8:00pm — 7 Comments
स्वागत है आदरणीय , आपको मित्र के रूप में पाना मेरा सौभाग्य है .
आपका अभिनन्दन है.
ग़ज़ल सीखने एवं जानकारी के लिए |
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