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जब उमड़ते भाव अविरल अश्रु का संसार लेकर
तब कहीं कविता उपजती शब्द का आकार लेकर
पीर के परिमाप से करके स्वयं का 'नाथ' तर्पण
रात दिन पीड़ा दबाए आत्म का करके समर्पण
दर्द की अभिव्यंजना से कुछ नई गढ़ कल्पनाएँ
चित्र छपते जब हृदय पर कुछ नए किरदार लेकर
तब कहीं कविता उपजती शब्द का आकार लेकर
तप्त धरती बादलों की जिस घड़ी करती प्रतीक्षा
दर्द में डूबे हृदय की वास्तविक होती परीक्षा
याचना करता पपीहा और बिछुड़न के हृदय से
छेड़ती है राग विरहन जब…
Posted on January 14, 2025 at 2:14pm — 2 Comments
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ये न्यूज़ वाले कहानी को मोड़ देते हैं
यहाँ की बात वहाँ ला के जोड़ देते हैं
ख़राब आज को करते नहीं हैं उसके लिए
जो कल की बात है कल पे ही छोड़ देते हैं
बड़े ही प्यार से माँ बाप पालते जिनको
उमीद उनकी वो बच्चे ही तोड़ देते हैं
दिखाते फिरते नहीं ज़ख़्म अपने दुनिया को
हम अपना दर्द ग़ज़ल में निचोड़ देते हैं
जो आइना तुझे घूरे अधिक समय तक तो
उस आइने की भी आँखों को फोड़ देते हैं
उठा के …
ContinuePosted on April 4, 2023 at 1:56pm — 4 Comments
माना नज़र है तेरी ख़रीदार की तरह
लेकिन न लूट तू मुझे बाज़ार की तरह
रिश्ते बिगड़ते देर तनिक भी नहीं लगे
गर आपकी ज़ुबान हो तलवार की तरह
वो तो चुनाव जीत के परधान बन गया
जो घूमता था गाँव में बेकार की तरह
वादा तो कीजिये नहीं और कर दिए अगर
वादा खिलाफी हो नहीं सरकार की तरह
देते हैं भाव नेता चुनावों के वक़्त पर
और फेंक देते बाद में अख़बार की तरह
शाइर …
ContinuePosted on March 21, 2023 at 7:49pm — 6 Comments
भाल जिसका है हिमालय औ तिरंगा शान है
देश प्यारा वह हमारा नाम हिन्दुस्तान है
हर सुबह जिसकी सुहानी सुरमई औ' शाम है
स्वर्ग सा यह देश अपना मोक्ष का यह धाम है
खेत गिरि मैदान जंगल लहकतीं हरियालियाँ
भोर की आहट मिले तो स्वर्ग सी हो वादियाँ।
पूर्व में आसाम मेघालय मिजोरम ख़ास है
साथ में बंगाल सिक्किम का अमर इतिहास है
गन्ध फूलों की बिखरती है हवाओं में वहाँ
गीत गाते खग ख़ुशी के …
Posted on January 2, 2023 at 7:42am
आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी.
सादर अभिवादन !
मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी ग़ज़ल "हाथ से सारे फिसल गए" को "महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना" सम्मान के रूप मे सम्मानित किया गया है | इस शानदार उपलब्धि पर बधाई स्वीकार करे |
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शुभकामनाओं सहित
आपका
गणेश जी "बागी
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