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ग़ज़ल( यहाँ की बात वहाँ ला के जोड़ देते हैं)

1212 1122 1212 22

ये न्यूज़ वाले कहानी को मोड़ देते हैं
यहाँ की बात वहाँ ला के जोड़ देते हैं

ख़राब आज को करते नहीं हैं उसके लिए
जो कल की बात है कल पे ही छोड़ देते हैं

बड़े ही प्यार से माँ बाप पालते जिनको
उमीद उनकी वो  बच्चे  ही  तोड़ देते हैं

दिखाते फिरते नहीं ज़ख़्म अपने दुनिया को
हम  अपना  दर्द  ग़ज़ल  में  निचोड़  देते  हैं

जो आइना तुझे घूरे अधिक समय तक तो
उस आइने की  भी आँखों को फोड़ देते हैं

उठा के  बोझ  ग़रीबी  का  फूल  से  बच्चे
समय से पहले ही बचपन  को छोड़ देते हैं

यही ज़माने  का  दस्तूर है  कि  दुनिया में
कली  जो  फूल   बने  लोग  तोड़   देते हैं

भरोसा  मत  करो बच्चो  प गुप्त बातों में
ग़लत समय प  वो  भांडा भी फोड़ देते हैं

हमें  क़ुबूल  नहीं  हारना  किसी से 'नाथ'
रिकॉर्ड  ख़ुद  ही  बनाते  हैं  तोड़  देते  हैं

 

(मौलिक व अप्रकाशित)

नाथ सोनांचली

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Comment

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Comment by नाथ सोनांचली on May 7, 2023 at 8:21am

प्रिय अजय जी सादर अभिवादन। आपका आत्मीय प्रतिक्रिया के लिए हृदयतल से आभार

Comment by नाथ सोनांचली on May 7, 2023 at 8:20am

आद0 समर कबीर साहब सादर प्रणाम। आपकी ग़ज़ल पर उपस्थिति और आशीर्वाद का हृदयतल से आभार। आशीष बनाये रखें

Comment by Ajay Kumar on April 4, 2023 at 8:56pm

आदरणीय,,,,, बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल हुई

मतला तो एकदन  लाजवाब हुआ

बधाई स्वीकार कीजिये 

Comment by Samar kabeer on April 4, 2023 at 2:36pm

जनाब नाथ सोनांचली जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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