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ये न्यूज़ वाले कहानी को मोड़ देते हैं
यहाँ की बात वहाँ ला के जोड़ देते हैं
ख़राब आज को करते नहीं हैं उसके लिए
जो कल की बात है कल पे ही छोड़ देते हैं
बड़े ही प्यार से माँ बाप पालते जिनको
उमीद उनकी वो बच्चे ही तोड़ देते हैं
दिखाते फिरते नहीं ज़ख़्म अपने दुनिया को
हम अपना दर्द ग़ज़ल में निचोड़ देते हैं
जो आइना तुझे घूरे अधिक समय तक तो
उस आइने की भी आँखों को फोड़ देते हैं
उठा के बोझ ग़रीबी का फूल से बच्चे
समय से पहले ही बचपन को छोड़ देते हैं
यही ज़माने का दस्तूर है कि दुनिया में
कली जो फूल बने लोग तोड़ देते हैं
भरोसा मत करो बच्चो प गुप्त बातों में
ग़लत समय प वो भांडा भी फोड़ देते हैं
हमें क़ुबूल नहीं हारना किसी से 'नाथ'
रिकॉर्ड ख़ुद ही बनाते हैं तोड़ देते हैं
(मौलिक व अप्रकाशित)
नाथ सोनांचली
Comment
प्रिय अजय जी सादर अभिवादन। आपका आत्मीय प्रतिक्रिया के लिए हृदयतल से आभार
आद0 समर कबीर साहब सादर प्रणाम। आपकी ग़ज़ल पर उपस्थिति और आशीर्वाद का हृदयतल से आभार। आशीष बनाये रखें
आदरणीय,,,,, बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल हुई
मतला तो एकदन लाजवाब हुआ
बधाई स्वीकार कीजिये
जनाब नाथ सोनांचली जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।
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