393 members
376 members
217 members
थी यही फूल की किस्मत कि बिखर जाना था,
ये कहाँ तय था कि जुल्फों में ठहर जाना था।
मौज ने चाहा जिधर मोड़ दिया कश्ती को,
"मुझको ये भी न था मालूम किधर जाना था"।
जो थे साहिल पे तमाशाई यही कहते थे,
डूबने वाले को अब तक तो उभर जाना था।
बज़्मे अग्यार में है जलवा नुमाई तेरी ,
इस तग़ाफ़ुल पे तेरे मुझको तो मर जाना था।
गर्द हालात की चहरे पे है,लेकिन तुझको,
आईना बन के मैं आया तो सँवर जाना था।
सुब्ह का भूला…
ContinuePosted on March 1, 2019 at 4:30pm — 8 Comments
सिस्टम से अब और निभाना मुश्किल है,
आँसू पीकर हँसते जाना मुश्किल है।।
लंबे चौड़े दफ्तर हैं पर छोटी सोच लिए।
भाँग कुएँ में मिली हुई है पानी कौन पिए।
कागज के रेगिस्तानों में भटक रहा,
मृग तृष्णा से प्यास बुझाना मुश्किल है।
भावुकता में मैदां छोड़ूँ क्या होगा।
कोई और यहाँ आकर रुसवा होगा।।
अजगर बन कर पड़ा रहूँ कैसे संभव,
जोंकों को भी खून पिलाना मुश्किल है।
लानत और मलामत का है भार बहुत।
न्याय नहीं निर्णय का शिष्टाचार…
Posted on November 16, 2018 at 9:48pm — 5 Comments
2122 1122 1122 22/112
कोई पूछे तो मेरा हाल बताते भी नहीं,
आशनाई का सबब सबसे छुपाते भी नहीं।
शेर कहते हैं बहुत हुस्न की तारीफ़ में हम
पर कभी अपनी ज़बाँ पर उन्हें लाते भी नहीं।
जब भी देते हैं किसी फूल को हँसने की दुआ,
शाख़ से ओस की बूंदों को गिराते भी नहीं।
ये तुम्हारी है अदा या है कोई मजबूरी,
प्यार भी करते हो और उसको जताते भी नहीं।
सिर्फ़ अल्फ़ाज़ से पहचान…
ContinuePosted on August 29, 2018 at 4:00pm — 17 Comments
एक भारत श्रेष्ठ भारत आइये मिलकर बनाएं
देश का सम्मान गौरव लक्ष्य हासिल कर बढ़ाएं
शांति के हम पथ प्रदर्शक ध्वज अहिंसा ले चलेंगे
विश्व गुरु बन कर पुन: संस्थापना सच की करेंगे
दें नहीं उपदेश अपने आचरण से कर दिखाएं
धर्म पूजा, जाति भाषा, वेश भूषा, बोलियाँ सब
एकता के सूत्र में बंध कर चली है टोलियाँ सब
संगठन में शक्ति है, ऐसी लिखें फिर से कथाएं
रेल का हमको दिखाई दे रहा है पथ समांतर
मूल में इसके छिपा है साथ…
ContinuePosted on July 25, 2017 at 11:00am — 8 Comments
सादर प्रणाम स्वीकारें आदरणीय, सादर स्नेह बनाये रखें, अच्छा लगा आपकी मित्रता रिक्वेस्ट देख करमैं भी रेल परिवार से ही हूँ
वर्तमान में उप मुख्य सतर्कता अधिकारी के पद कार्य कर रहा हूँ.
जबलपुर पश्चिम मध्य रेल
मोहतरम जनाब रविरवि शुक्ला जी आदाब
मुझे अपने फ्रेंड्स लिस्ट में जोड़ने के लिए शुक्रिया
आपसे बहुत कुछ सीखने का अवसर मिलेगा।
आदरणीय रवि जी,
आपकी मैत्री हासिल करना किसका सौभाग्य नहीं होगा. और मुझे ख़ुशी है कि ये सौभाग्य अब मुझे भी प्राप्त है. हार्दिक आभार.
आदरणीय रवि शुक्ला जी आपसे बहुत अच्छी चैटिंग हो रही थी... लेकिन ऐन वक़्त पर मेरे नेट ने धोखा दे दिया ( ये अक्सर मेरे साथ ऐसा ही करता है ) और आप से बात चीत बीच में ही कट गई ,,, खैर फिर मौका मिला तो बात आगे बढ़ांएंगे,,, संपर्क करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
आदरणीय रवि शुक्ल जी.
सादर अभिवादन !
मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी ग़ज़ल - व्यापार होना चाहिए को "महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना" सम्मान के रूप मे सम्मानित किया गया है | इस शानदार उपलब्धि पर बधाई स्वीकार करे |
आपको प्रसस्ति पत्र यथा शीघ्र उपलब्ध करा दिया जायेगा, इस निमित कृपया आप अपना पत्राचार का पता व फ़ोन नंबर admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध कराना चाहेंगे | मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई हो |
शुभकामनाओं सहित
आपका
गणेश जी "बागी
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक
ओपन बुक्स ऑनलाइन
क्षमा कीजियेगा आ० रवि शुक्ल जी आज ही आपका कमेंट देखा...
करवाचौथ पर लिखा गया मेरा गीत मात्रिक गीत नहीं है... इसे फायलुन X 4 की आवृति पर लिखा गया है..
मात्रिक गीतों में मात्रा को गिराकर पढने का कोई विधान नहीं होता ..
मात्रिक गीत (गीतिका छंद पर आधारित) के कुछ उदाहरण देखिये
http://www.openbooksonline.com/profiles/blogs/5170231:BlogPost:557225
http://www.openbooksonline.com/profiles/blogs/5170231:BlogPost:518431
मंच पर गीत नवगीत पर एक आलेख देखिये
आदरणीय
रवि शुक्ला जी,
सादर अभिवादन,
यह बताते हुए मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है कि ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार में विगत माह आपकी सक्रियता को देखते हुए OBO प्रबंधन ने आपको "महीने का सक्रिय सदस्य" (Active Member of the Month) घोषित किया है, बधाई स्वीकार करें | प्रशस्ति पत्र उपलब्ध कराने हेतु कृपया अपना पता एडमिन ओ बी ओ को उनके इ मेल admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध करा दें | ध्यान रहे मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई है |
हम सभी उम्मीद करते है कि आपका सहयोग इसी तरह से पूरे OBO परिवार को सदैव मिलता रहेगा |
सादर ।
आपका
गणेश जी "बागी"
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक
ओपन बुक्स ऑनलाइन
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |