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सतविन्द्र कुमार राणा
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सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सतविन्द्र कुमार राणा's blog post दिख रहे हैं हजार आंखों में
"ख़फ़ीफ मुसद्दस मख़बून अबतर // 2122 1212 22/112  तेरे बोलों के ख़ार आँखों मेंदिख रहे हैं हजार आंखों में  ...           वाह  मैनें देखा ख़ुमार आँखों में   ............. खुमार के ख में नुख्ता क्यों…"
Nov 17
सतविन्द्र कुमार राणा commented on सतविन्द्र कुमार राणा's blog post दिख रहे हैं हजार आंखों में
"S सादर आभार आदरणीय सुशील सरना जी"
Nov 9
Sushil Sarna commented on सतविन्द्र कुमार राणा's blog post दिख रहे हैं हजार आंखों में
"वाहहहहहह आदरणीय जी बड़े ही खूबसूरत ग़ज़ल कही है सर । हार्दिक बधाई सर ।"
Nov 5
सतविन्द्र कुमार राणा commented on सतविन्द्र कुमार राणा's blog post दिख रहे हैं हजार आंखों में
"आदरणीय धामी जी सादर आभार उत्साहवर्धन के लिए"
Nov 4
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सतविन्द्र कुमार राणा's blog post दिख रहे हैं हजार आंखों में
"आ. भाई सतविन्द्र जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 3
सतविन्द्र कुमार राणा posted a blog post

दिख रहे हैं हजार आंखों में

तेरे बोलों के ख़ार आँखों मेंदिख रहे हैं हजार आंखों मेंमैनें देखा ख़ुमार आँखों मेंइश्क़ का बेशुमार आँखों मेंइश्क है होशियार आँखों मेंइश्क़ फिर भी गवार आंखों मेंतेरी गलियों को छान कर जानाक्या-क्या होता है यार आँखों में।होठ बेशक हँसी से हैं फैलेदर्द पर बरकरार आँखों में।'बाल' नादान है समझ तेरीढूंढती बस जो प्यार आँखों में।मौलिक अप्रकाशितSee More
Nov 3

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सतविन्द्र कुमार राणा's blog post रोला छंद
"रोला छंद आधारित रचना के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय सतविन्द्र राणा जी.  एक बात, बिना पूरी जानकारी के नुख्ता का प्रयोग न करें.  बकवास के क के साथ नुख्ता नहीं लगता. जबकि हजार का ज बिना नुख्ता के नहीं होता.  वैसे भी देवनागरी लिपि में…"
Aug 19
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सतविन्द्र कुमार राणा's blog post रोला छंद
"आ. भाई सतविन्दर जी, अभिवादन। अच्छे छंद रचे हैं हार्दिक बधाई।"
Aug 16
Sushil Sarna commented on सतविन्द्र कुमार राणा's blog post रोला छंद
"वाह आदरणीय जी बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई सर"
Aug 15
सतविन्द्र कुमार राणा posted a blog post

रोला छंद

*रोला छंद*बहुत दिखाते ज्ञान, तनिक उस पर क्या चलतेबोल कर्म के साथ, मिलें तो क्यों घर जलतेकोरी है बक़वास, शास्त्र की बातें करनाअपना ही व्यवहार, परे उससे यदि धरना।रहें हजारों साथ, अकेले या वे रह लेंसच को कितना झूठ, झूठ को या सच कह लेंदुष्टों के क्या कृत्य, सही फल दे पातें हैंकुटिल सदा ही मात, सुजन से खा जातें हैं।धरती का दिल आज, देख कर जाए घटताचहुँदिक दे आवाज़, शीश मानव का कटताकुढ़ता शुद्ध विचार, शील पर चलती आरीमगर सियासत देख, सभी पर फिर भी भारी।मौलिक एवं अप्रकाशितSee More
Aug 15
सतविन्द्र कुमार राणा commented on सतविन्द्र कुमार राणा's blog post यूँ कर्म करें
"सादर आभार आदरणीय सुशील सरना जी"
Aug 14
सतविन्द्र कुमार राणा replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-152
"एक आशु प्रयास कोई घोड़ा है नहीं, गाड़ी कोसों दूर सफ़र जिन्दगी का मग़र , होता है भरपूर मरुथल के कण तापते, शीत कभी असहाय स्पर्श पवन का ही कभी, करे थकन को दूर बढ़ना आगे है सही,चाहे परबत नाप चोटी लिए ढलान है, हो मत मद में चूर कई मिलें हैं हमसफ़र, छोड़ा कुछ…"
Jun 11
Sushil Sarna commented on सतविन्द्र कुमार राणा's blog post यूँ कर्म करें
"वाह बहुत सुंदर और सार्थक प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई सर"
Feb 19
सतविन्द्र कुमार राणा replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 142 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन सर, सादर नमन! उत्तम सृजन हुआ है"
Feb 18
सतविन्द्र कुमार राणा replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 142 in the group चित्र से काव्य तक
"हर छंद जरबर्दस्त, बहुत-बहुत बधाई अजय भाई जी!"
Feb 18
सतविन्द्र कुमार राणा commented on Samar kabeer's blog post ओबीओ की बारहवीं सालगिरह का तुहफ़ा
"आदरणीय समर कबीर सर सादर वंदे! ओबीओ के प्रति हमारे जज़्बात की झलक है ये ग़ज़ल! तहेदिल मुबारकबाद!"
Feb 16

Profile Information

Gender
Male
City State
करनाल हरियाणा
Native Place
गाँव व डाक बालराजपूतान
Profession
अध्यापक
About me
I am a simple person living simply.I have interests in reading,movies and enjoy these timely.try to write somthings when there is time to do so.Believe in nationalism as an ideology.

सतविन्द्र कुमार राणा's Blog

दिख रहे हैं हजार आंखों में

तेरे बोलों के ख़ार आँखों में
दिख रहे हैं हजार आंखों में

मैनें देखा ख़ुमार आँखों में
इश्क़ का बेशुमार आँखों में

इश्क है होशियार आँखों में
इश्क़ फिर भी गवार आंखों में


तेरी गलियों को छान कर जाना
क्या-क्या होता है यार आँखों में।

होठ बेशक हँसी से हैं फैले
दर्द पर बरकरार आँखों में।


'बाल' नादान है समझ तेरी
ढूंढती बस जो प्यार आँखों में।

मौलिक अप्रकाशित

Posted on November 3, 2023 at 9:43am — 5 Comments

रोला छंद

*रोला छंद*

बहुत दिखाते ज्ञान, तनिक उस पर क्या चलते

बोल कर्म के साथ, मिलें तो क्यों घर जलते

कोरी है बक़वास, शास्त्र की बातें करना

अपना ही व्यवहार, परे उससे यदि धरना।

रहें हजारों साथ, अकेले या वे रह लें

सच को कितना झूठ, झूठ को या सच कह लें

दुष्टों के क्या कृत्य, सही फल दे पातें हैं

कुटिल सदा ही मात, सुजन से खा जातें हैं।

धरती का दिल आज, देख कर जाए घटता

चहुँदिक दे आवाज़, शीश मानव का कटता

कुढ़ता शुद्ध विचार, शील पर चलती…

Continue

Posted on August 14, 2023 at 7:41pm — 3 Comments

यूँ कर्म करें

हे जग अभियंता, सृजनहार, 

हे कृपासिंधु, हे गुणागार

हे परब्रह्म, हे पुण्य प्रकाश

हो पूरित तुम से, सही आस

हर छोटे-से छोटा जो कण,

या विश्व सकल विस्तार अनंत

तुम्हीं में समाहित सब कुछ…

Continue

Posted on February 16, 2023 at 7:00pm — 2 Comments

कालिख सना समय

जब-जब कालिख सने समय के,

पन्ने खोले जाएंगे

मानवता पर लगे ग्रहण को,

सीधा याद दिलाएंगे।

आफत को जो अवसर मानें,

लाभ कमाने बैठे हैं

अन्तस् को बस मार दिया है,

हठ में अपनी ऐंठे हैं

आज हवा और दवा सब पर,

जिनका पूरा कब्जा है

जान छीनने के कामों को,

ही करने का जज़्बा है।

उनके सारे कर्म आज के,

सदा ही मुँह चिढाएंगे।

जब-जब कालिख सने समय के,

पन्ने खोले जाएंगे।

कुर्सी का लालच कुर्सी का

मद अब जिन पर छाया है

जिनके…

Continue

Posted on May 18, 2021 at 5:00pm

Comment Wall (8 comments)

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At 6:46am on July 2, 2018, राज़ नवादवी said…

"आदरणीय सतविन्द्र कुमार राणा  साहब, तरही मुशायरे में मेरी ग़ज़ल में शिरकत का दिल से शुक्रिया. समयाभाव था, कमेंट बॉक्स बंद हो चुका है. इसलिए यहाँ से आभार प्रकट कर रहूँ हूँ.सादर "

At 7:34am on June 20, 2016, सुरेश कुमार 'कल्याण' said…
आदरणीय सतविंदर भाई ये मार्गदर्शन आपके द्वारा ही दिया गया है। हार्दिक आभार ।
At 7:41am on January 27, 2016, Omprakash Kshatriya said…
बहुतबहुत शुक्रिया आप का आदरणीय सतविंदर कुमार जी . आप ने मेरा जन्म दिन याद रख कर मुझे अमूल्य/अतुल्य शुभकामनाएं दी. इस हेतु मैं आप का आजीवन ऋणी रहूंगा .
At 8:46pm on January 11, 2016, सतविन्द्र कुमार राणा said…
धन्यवाद आदरणीय sushil Sarna जी।आपको भी सपरिवार सादर शुभकामनाएं!
At 6:59pm on January 3, 2016, Sushil Sarna said…

नूतन वर्ष 2016 आपको सपरिवार मंगलमय हो। मैं प्रभु से आपकी हर मनोकामना पूर्ण करने की कामना करता हूँ।

सुशील सरना

At 7:16pm on December 18, 2015, सतविन्द्र कुमार राणा said…
बहुत बहुत आभार आदरणीयEr Ganesh Jee Bagi सर।
At 7:54pm on December 17, 2015,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

आदरणीय

सतविंदर कुमार जी,
सादर अभिवादन,
यह बताते हुए मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है कि ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार में विगत माह आपकी सक्रियता को देखते हुए OBO प्रबंधन ने आपको "महीने का सक्रिय सदस्य" (Active Member of the Month) घोषित किया है, बधाई स्वीकार करें | प्रशस्ति पत्र उपलब्ध कराने हेतु कृपया अपना पता एडमिन ओ बी ओ को उनके इ मेल admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध करा दें | ध्यान रहे मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई है |
हम सभी उम्मीद करते है कि आपका सहयोग इसी तरह से पूरे OBO परिवार को सदैव मिलता रहेगा |
सादर ।
आपका
गणेश जी "बागी"
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक
ओपन बुक्स ऑनलाइन

At 11:59am on October 2, 2015,
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
said…

भाई सतविंदरजी, 

आपका हार्दिक धन्यवाद कि आपको मेरी विवेचना तोषकारी लगी है.

आप किसी आयोजन या इवेण्ट पर अपनी भावनाएँ उसी थ्रेड में पोस्ट किया करें. यदि आपने अपना धन्यवाद ज्ञापन संकलित लघुकथाओं के पोस्ट में ही किया होता या अब भी कर दें तो यह अधिक उचित होगा.

पुनः धन्यवाद, भाईजी

 
 
 

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