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सुरेश कुमार 'कल्याण'
  • Male
  • कैथल (हरियाणा)
  • India
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सुरेश कुमार 'कल्याण''s Discussions

दीवाली

*कुंडलियां*हर घर की मुंडेर पर,दीप जले चहुँ ओर।दीवाली की रात है,बाल मचाएं शोर।बाल मचाएं शोर,शोर ये बड़ा सुहाना।भूलचूक सब भूल,रहा लग गले जमाना।खाओ रे *'कल्याण',* मिठाई डिब्बे भर - भर।खुशियाँ मिली…Continue

Started Oct 23, 2022

 

सुरेश कुमार 'कल्याण''s Page

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' added a discussion to the group धार्मिक साहित्य
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जय श्री राम

जय श्री रामदोहे____________________पौष शुक्ल की द्वादशी,सजा अवधपुर धाम।प्राण प्रतिष्ठा हो गए,बाल रूप श्री राम।१।रामलला के साथ में, सजे दसों अवतार।युगे - युगे अवतार लें, जग के तारणहार।२।दो हजार चौबीस सन,मास प्रथम बाईस।रघुवर आए महल में,मिटी हृदय की टीस।३।कटे बरस जो पांच सौ,कटा राम वनवास।सभी वैर को त्यागकर,बनो राम के दास।४।स्वागत में श्री राम के,दीप जलें घर द्वार।लाज रखेंगे रामजी,धन्य - धन्य सरकार।५।मौलिक एवम् अप्रकाशितसुरेश कुमार 'कल्याण'See More
Jul 12
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया छंद

आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार।त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।।बरस रहे अंगार, धरा ये तपती जाए।जीव जगत पर मार, पड़ी जो सही न जाए।पेड़ लगा 'कल्याण', तुझी से यह आस जगी।हरी - हरी हो भूमि, बुझे जो यह आग लगी !सुरेश कुमार 'कल्याण' मौलिक एवम् अप्रकाशितSee More
Jun 17
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय तिलक राज जी शब्दों के अर्थ ये रहे। ये शब्द आम ही हैं।"
Jun 16
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी, प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई।"
Jun 16
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"रूख - पेड़ पटभेड़ - किवाड़/दरवाजा बंद रहना पिलखन - एक पेड़ का नाम"
Jun 16
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
" "पर्यावरण" (दोहा सप्तक) ऐसे नर हैं मूढ़ जो, रहे पेड़ को काट। प्राण वायु अनमोल है, बिके नहीं ये हाट।। दिन भर रवि को कोसते, गरमी-गरमी हाय। दूर-दूर तक रूख अब, कहीं नजर ना आय।। जंगल-जंगल ना रहे, शहर हुए आबाद। सभ्य-सभ्य का गान है, मन…"
Jun 15
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार। त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।। बरस रहे अंगार, धरा ये तपती जाए। जीव जगत पर मार, पड़ी जो सही न जाए। पेड़ लगा 'कल्याण', तुझी से यह आस जगी। हरी - हरी हो भूमि, बुझे जो यह आग लगी ! सुरेश कुमार…"
Jun 15
सुरेश कुमार 'कल्याण' joined Admin's group
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धार्मिक साहित्य

इस ग्रुप मे धार्मिक साहित्य और धर्म से सम्बंधित बाते लिखी जा सकती है,See More
Jun 15

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया छंद
"आदरणीय सुरेश कुमार जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई। क्या कुंडलियां छंद में दो दोहे हो सकते हैं? एक दोहा और एक रोला छंद के योग से कुंडलियां बनता है। आदि और अंत समान शब्द या शब्द सम्मुचय होता है। सादर।"
Jun 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया छंद
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रेरणादायी छंद हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Jun 1
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया छंद

आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार।त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।।बरस रहे अंगार, धरा ये तपती जाए।जीव जगत पर मार, पड़ी जो सही न जाए।पेड़ लगा 'कल्याण', तुझी से यह आस जगी।हरी - हरी हो भूमि, बुझे जो यह आग लगी !सुरेश कुमार 'कल्याण' मौलिक एवम् अप्रकाशितSee More
May 30
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-159
"बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय धामी साहब बहुत बहुत बधाई "
Jan 14
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-159
"          दोहे (प्रतिशोध) जला आग प्रतिशोध की, जलते क्यों दिन रैन। वयस घटे रे मूढ़ नर, घटे नींद अरु चैन।। जलते क्यों प्रतिशोध में, भली नहीं ये आग। जलकर क्या हासिल हुआ, जल्द नींद से जाग।। विष अमृत में बदल कर, मिटा हृदय का…"
Jan 14
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल दिनेश कुमार -- अंधेरा चार सू फैला दमे-सहर कैसा
"वाह दिनेश जी वाह बहुत ही सुन्दर रचना "
Dec 4, 2023
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"दिल आपणे नै डाट भाई रै ।क्यूं ठारया सिर पै खाटभाई रै । अस्त्र शस्त्र बतेरे देखे।देखी सबकी काट भाई रै । भाइयां मैं तो रल कै रै ले।क्यूं बण रया तों लाट भाई रै । बाहर कितनिए मौज मिल्ज्या।घर बरगे नी ठाठ भाई रै । बुराई जे तनै आंदी दिखै।भेड़ ले आपने…"
Nov 10, 2022
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

दीवाली

कुंडलियां*हर घर की मुंडेर पर, दीप जले चहुँ ओर। दीवाली की रात है, बाल मचाएं शोर। बाल मचाएं शोर, शोर ये बड़ा सुहाना। भूलचूक सब भूल, रहा लग गले जमाना। खाओ रे *'कल्याण',* मिठाई डिब्बे भर - भर। खुशियाँ मिली अपार, हुआ है रोशन हर घर। *दोहा*बढ़ें उजाले की तरफ, हम सबके ही पांव। इस दीवाली ना रहे, अंधेरे में गांव।।मौलिक एवम् अप्रकाशित सुरेश कुमार 'कल्याण'See More
Oct 27, 2022

Profile Information

Gender
Male
City State
हरियाणा
Native Place
कैथल
Profession
प्राध्यापक (हिन्दी)

सुरेश कुमार 'कल्याण''s Blog

कुंडलिया छंद

आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार।

त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।।

बरस रहे अंगार, धरा ये तपती जाए।

जीव जगत पर मार, पड़ी जो सही न जाए।

पेड़ लगा 'कल्याण', तुझी से यह आस जगी।

हरी - हरी हो भूमि, बुझे जो यह आग लगी !

सुरेश कुमार 'कल्याण' 

मौलिक एवम् अप्रकाशित

Posted on May 29, 2024 at 8:00pm — 2 Comments

दीवाली

कुंडलियां*

हर घर की मुंडेर पर,
दीप जले चहुँ ओर।
दीवाली की रात है,
बाल मचाएं शोर।
बाल मचाएं शोर,
शोर ये बड़ा सुहाना।
भूलचूक सब भूल,
रहा लग गले जमाना।
खाओ रे *'कल्याण',*
मिठाई डिब्बे भर - भर।
खुशियाँ मिली अपार,
हुआ है रोशन हर घर।

*दोहा*

बढ़ें उजाले की तरफ,
हम सबके ही पांव।
इस दीवाली ना रहे,
अंधेरे में गांव।।

मौलिक एवम् अप्रकाशित
सुरेश कुमार 'कल्याण'

Posted on October 27, 2022 at 8:34pm

समयानुकूल

बयालीस हैं जा चुके,बीत रहा है काल।

सुखदुख चलते साथ में,जीवन इक जंजाल।।

यारों की ये कामना,रहे सदा ही साथ।

यार सलामत हों सदा, हे नाथों के नाथ।।

उन्यासी उन्नीस सौ,माह सितंबर जान।

सोलहवीं तारीख थी, जब जन्मे 'कल्याण'।।

गुरु आभे ने लिख दई,यही जन्म तारीख।

गुरु न देते ज्ञान तो, फिरूं मांगता भीख।।

मौलिक एवम् अप्रकाशित

Posted on September 17, 2021 at 12:01pm

मातृभाषा हिंदी

हिंदी हमारी मातृभाषा, हिंदी जीवन का आधार ।

हिंदी की महिमा को गाते,करते हम इसका प्रचार ।।

हिंदी के बिना जीवन सूना,हिंदी देती सबको ज्ञान ।

मन के भाव प्रकट हों सारे, पूरे करती ये अरमान ।

मातृभाषा की महिमा देखो, सुनकर होता है अभिमान ।

कोर्ट कचहरी दफ्तर सारे, बाबू कलेक्टर चौकीदार ।

हिंदी की महिमा........................................... ।

माँस से नाखून दूर ना जाएँ, कौए चलें ना हंस की चाल ।

हिंदी के सब रंग में रंग लो, अपनी…

Continue

Posted on September 13, 2020 at 11:30am — 3 Comments

Comment Wall (4 comments)

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At 11:37pm on July 5, 2016, asha jugran said…

आद.सुरेश कुमार जी ,आपकी  कविताओं में  खूबसूरत बहाव है.सहजता है जो हर पाठक से  सहज में  जुड़  जाती  है. 

At 12:44pm on June 18, 2016,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

आदरणीय

सुरेश कुमार 'कल्याण'  जी,

सादर अभिवादन,
यह बताते हुए मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है कि ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार में विगत माह आपकी सक्रियता को देखते हुए OBO प्रबंधन ने आपको "महीने का सक्रिय सदस्य" (Active Member of the Month) घोषित किया है, बधाई स्वीकार करें | प्रशस्ति पत्र उपलब्ध कराने हेतु कृपया अपना पता एडमिन ओ बी ओ को उनके इ मेल admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध करा दें | ध्यान रहे मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई है |
हम सभी उम्मीद करते है कि आपका सहयोग इसी तरह से पूरे OBO परिवार को सदैव मिलता रहेगा |
सादर ।
आपका
गणेश जी "बागी"
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक
ओपन बुक्स ऑनलाइन

At 12:27am on May 5, 2016, स्वाति सोनी 'मानसी' said…
सादर धन्यवाद सुरेश कुमार कल्याण सर :)
At 9:17pm on April 11, 2016, सतविन्द्र कुमार राणा said…
सुस्वागतम्!
 
 
 

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