तेरे बोलों के ख़ार आँखों में
दिख रहे हैं हजार आंखों में
मैनें देखा खुमार आँखों में
इश्क का बेशुमार आँखों में
इश्क है होशियार आँखों में
इश्क फिर भी गवार आँखों में
तेरी गलियों को छान कर जाना
होता क्या-क्या है यार आँखों में?
होठ बेशक हँसी से फैले हैं
दर्द पर बरकरार आँखों में।
'बाल' नादान है समझ तेरी
ढूंढती बस जो प्यार आँखों में।
मौलिक अप्रकाशित
Comment
ग़ज़ल अच्छी लगी राणा साहब...आदरणीय सौरभ जी की समीक्षा ज्ञान बर्धक है।
आदरणीय सौरभ सर सादर नमन, मार्गदर्शन के लिए सादर आभार।
नुक्ता कहीं भी प्रयासपूर्वक नहीं लगाया है। सच कहूँ तो मुझे नुक्ते का रत्ती भर भी ज्ञान नहीं है। मैं गूगल इंडिक से टाइप करता हूँ। यह जैसे उठा लेता है टाइपो हो जाता है। कागज पर लिखते हुए मुझे ध्यान नहीं कि मैंने कभी नुक्ते का प्रयोग किया हो।
ख़फ़ीफ मुसद्दस मख़बून अबतर // 2122 1212 22/112
तेरे बोलों के ख़ार आँखों में
दिख रहे हैं हजार आंखों में ... वाह
मैनें देखा ख़ुमार आँखों में ............. खुमार के ख में नुख्ता क्यों है ?
इश्क़ का बेशुमार आँखों में .. वाह
इश्क है होशियार आँखों में .. इश्क़ के क में नुख्ता क्यों नहीं है ?
इश्क़ फिर भी गवार आंखों में
तेरी गलियों को छान कर जाना
क्या-क्या होता है यार आँखों में ....... क्या की मात्रा नहीं गिरायी जाती. यह गुरु या गाफ़ में ही होता है.
होठ बेशक हँसी से हैं फैले ... फैले हैं कर देने कोई समस्या नहीं थी.
दर्द पर बरकरार आँखों में।
'बाल' नादान है समझ तेरी
ढूंढती बस जो प्यार आँखों में। .. सही .. बढ़िया ..
नुख्ते का या तो उचित ढंग से प्रयोग करें, या न करें। सर्वोपरि, किसी वर्ण के साथ इसका अपने हिसाब से प्रयोग न करें, आदरणीय।
गजल कहने के क्रम में शब्दों का उर्दू वर्णॊं वाला स्वरूप तनिक आवश्यक नहीं है। उर्दू शब्दों का अनायास प्रयोग किसी प्रस्तुति की सुन्दरता हो सकती है। लेकिन उनकी मान्य बुनावट ही प्रयुक्त हो।
शुभातिशुभ
S
सादर आभार आदरणीय सुशील सरना जी
वाहहहहहह आदरणीय जी बड़े ही खूबसूरत ग़ज़ल कही है सर ।
हार्दिक बधाई सर ।
आदरणीय धामी जी सादर आभार उत्साहवर्धन के लिए
आ. भाई सतविन्द्र जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online