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Sushil Sarna
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Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा मुक्तक .....
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
May 19
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post पाँच दोहे - संगत
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी ऊर्जावान प्रतिक्रिया का दिल से आभार"
May 19

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post पाँच दोहे - संगत
"आदरणीय सुशील सरना जी, बढ़िया नीति के दोहे. हार्दिक बधाई. सादर "
May 16

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा मुक्तक .....
"आदरणीय सुशील सरना जी, बहुत बढ़िया दोहा मुक्तक हुए हैं. इस प्रस्तुति हेतु  हार्दिक बधाई. सादर "
May 15
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post पाँच दोहे - संगत
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
May 10
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post पाँच दोहे - संगत
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
May 8
Sushil Sarna posted a blog post

पाँच दोहे - संगत

दोहा पंचक विषय : संगत संगत सच्चे मित्र की, उन्नत करे चरित्र ।ऐसे मित्रों के सदा, पूजे जाते चित्र ।।ओछी संगत के  सदा, ओछे होते रंग ।कटे सदा फिर जिंदगी, बदनामी के संग ।।अच्छे बुरे हर कर्म का, संगत है आधार ।संगत के अनुरूप ही, जीव करे व्यवहार ।।कहाँ निभा है  आज तक, केर बेर का संग ।संगत सज्जन की सदा, मन में भरे उमंग ।।भला बुरा हर आचरण , संगत के आधीन ।जैसी संगत जीव की, वैसी बजती  बीन ।।सुशील सरना / 4-5-23मौलिक एवं अप्रकाशित See More
May 7
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा मुक्तक .....

दोहा मुक्तक मन को जब मन में मिली , मन चाही पहचान ।मन  में   जागे   प्यार   के, अनजाने    तूफान ।मन  की  मोहक  कल्पना, मन के  सुन्दर तीर -मन ही मन मुस्का रहे, मन  के  सब  अरमान ।                      * * * पागल  इच्छा  सो   गई,  स्वप्न  हुए  साकार ।चातक  नैनों  को  मिला, तृष्णा  का  उपहार ।शापित अभिलाषा हुई, मन को मिला न मीत -क्षीण  बिम्ब  सब हो  गए, धधक  पड़े शृंगार ।सुशील सरना / 22-4-23मौलिक एवं अप्रकाशित See More
Apr 22
KALPANA BHATT ('रौनक़') commented on Sushil Sarna's blog post तो रो दिया .......
"बहुत सुन्दर ढंग से एहसासों को शब्दों में पिरोया है | बधाई स्वीकारें आदरणीय सुशिल सरना जी| "
Apr 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा मुक्तक .....
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Apr 7
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा मुक्तक .....
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर दोहा मुक्तक हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Apr 5
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा मुक्तक .....

दोहा मुक्तक नाम बदलने से कहाँ , खुलें भाग्य के द्वार ।बिना  कर्म  संसार  में, कब  होता  उद्धार ।जब तक चलती जिन्दगी, चले जीव संग्राम -जीवन के हर मोड़ का, हार  जीत  शृंगार ।                         ***काहे  अपने  रूप  पर, करता  जीव गुमान ।कहते   हैं   रहती  नहीं, उम्र  ढले  पहचान ।बुझ कर भी बुझती नहीं, अरमानों की आँच -मुट्ठी   भर    की   जिंदगी, तेरी  है   इंसान ।सुशील सरना /मौलिक एवं अप्रकाशित See More
Apr 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post ममता ......(लघुकथा )
"आदरणीया रचना भाटिया जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीया जी "
Mar 10
Rachna Bhatia commented on Sushil Sarna's blog post ममता ......(लघुकथा )
"आदरणीय सुशील सरना जी,आज के ज्वलंत विषय पर अच्छी लघुकथा हुई। बधाई स्वीकारें।"
Mar 9
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post ममता ......(लघुकथा )
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
Mar 2
Sushil Sarna commented on Er. Ganesh Jee "Bagi"'s blog post लघुकथा : पीठ का दाग (गणेश बाग़ी)
"वाह आदरणीय गणेश बागी जी बहुत सुंदर और सार्थक प्रस्तुति सर "
Mar 2

Profile Information

Gender
Male
City State
Jaipur-Rajasthan
Native Place
New Delhi
Profession
Retired from Central Govt.Service as Superintending Officer
About me
I am a simple,sentimental and transparent person.Poetry is my hobby and passion

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पाँच दोहे - संगत

दोहा पंचक

विषय : संगत



संगत सच्चे मित्र की, उन्नत करे चरित्र ।

ऐसे मित्रों के सदा, पूजे जाते चित्र ।।

ओछी संगत के  सदा, ओछे होते रंग ।

कटे सदा फिर जिंदगी, बदनामी के संग ।।

अच्छे बुरे हर कर्म का, संगत है आधार ।

संगत के अनुरूप ही, जीव करे व्यवहार ।।

कहाँ निभा है  आज तक, केर बेर का संग ।

संगत सज्जन की सदा, मन में भरे उमंग ।।

भला बुरा हर आचरण , संगत के आधीन ।

जैसी संगत जीव की, वैसी बजती  बीन…

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Posted on May 4, 2023 at 1:51pm — 4 Comments

दोहा मुक्तक .....

दोहा मुक्तक 

मन को जब मन में मिली , मन चाही पहचान ।
मन  में   जागे   प्यार   के, अनजाने    तूफान ।
मन  की  मोहक  कल्पना, मन के  सुन्दर तीर -
मन ही मन मुस्का रहे, मन  के  सब  अरमान ।
                      * * *
पागल  इच्छा  सो   गई,  स्वप्न  हुए  साकार ।
चातक  नैनों  को  मिला, तृष्णा  का  उपहार ।
शापित अभिलाषा हुई, मन को मिला न मीत -
क्षीण  बिम्ब  सब हो  गए, धधक  पड़े शृंगार ।

सुशील सरना / 22-4-23

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Posted on April 22, 2023 at 2:54pm — 2 Comments

दोहा मुक्तक .....

दोहा मुक्तक 

नाम बदलने से कहाँ , खुलें भाग्य के द्वार ।

बिना  कर्म  संसार  में, कब  होता  उद्धार ।

जब तक चलती जिन्दगी, चले जीव संग्राम -

जीवन के हर मोड़ का, हार  जीत  शृंगार ।

                         ***

काहे  अपने  रूप  पर, करता  जीव गुमान ।

कहते   हैं   रहती  नहीं, उम्र  ढले  पहचान ।

बुझ कर भी बुझती नहीं, अरमानों की आँच -

मुट्ठी   भर    की   जिंदगी, तेरी  है   इंसान ।

सुशील सरना /

मौलिक एवं…

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Posted on April 5, 2023 at 1:01pm — 2 Comments

ममता ......(लघुकथा )

ममता ....

"सुनिए,  मैं ये कह रही थी कि 5 दिन के बाद अपनी पोती नीलू का जन्म दिन है । नीलू पूरे चार साल की हो जाएगी" पार्वती ने लेटे-लेटे अपने  पति राघव से कहा।

"हाँ वो तो है ।" राघव ने जम्हाई लेते हुए कहा ।

"मैं ये सोच रही थी क्यों न हम  इस मौके पर हम  अपनी तरफ से ग्यारह हजार रुपये का चेक अपने आशीर्वाद के रूप में भेज दें क्योंकि शारीरिक व्याधियों की हम दिल्ली तो जा नहीं सकते ।" पार्वती ने कहा ।

"तेरा विचार सही है । मैं कल ही  बैंक में चेक डाल दूँगा ।…

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Posted on February 28, 2023 at 9:46pm — 4 Comments

Comment Wall (35 comments)

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At 9:12pm on August 13, 2021, Om Parkash Sharma said…

आदरणीय सुशील सरना जी ,

सादर अभिवादन , आपके नाम और सावन पर लिखे सभी दोहे मन मोह गए । दोनों कविताएं 'मौसम को' व प्रश्न गंभीर भावों को लिए हुए है। साधुवाद । 

At 11:15pm on September 17, 2016,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

आदरणीय सुशील सरना जी.
सादर अभिवादन !
मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी "कविता : कितना अच्छा होता" को "महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना" सम्मान के रूप मे सम्मानित किया गया है | इस शानदार उपलब्धि पर बधाई स्वीकार करे |
आपको प्रसस्ति पत्र यथा शीघ्र उपलब्ध करा दिया जायेगा, इस निमित कृपया आप अपना पत्राचार का पता व फ़ोन नंबर admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध कराना चाहेंगे | मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई हो |
शुभकामनाओं सहित
आपका
गणेश जी "बागी
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक
ओपन बुक्स ऑनलाइन

At 1:35am on May 6, 2016,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

आपका मेल बॉक्स ब्लॉक होने के कारण मेल सेंड नहीं हो रहा है. 

At 1:29am on May 6, 2016,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

आदरणीय सुशील सरना सर, विलम्ब से प्रत्युत्तर हेतु क्षमा. आपको मेल कर दिया है. सादर 

At 10:17pm on April 7, 2016, केवल प्रसाद 'सत्यम' said…

आ० सरना भाई जी, सादर  प्रणाम!

आपका हार्दिक स्वागत है.  मित्रता से भाग्योदय होता है ,  मैं धन्य हुआ. सादर

At 9:46am on April 1, 2016, Dr Ashutosh Mishra said…

आदरणीय सुशील जी ..महीने का सक्रिय सदस्य चुने जाने पर मेरी तरफ से हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर 

At 6:02am on March 20, 2016, केवल प्रसाद 'सत्यम' said…

आ०  सुशील सरना भाई जी, सादर प्रणाम!  आपको "महीने का सक्रिय सदस्य" चुने जाने पर बहुत-बहुत बधाई. सादर

At 4:22pm on March 16, 2016,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

आदरणीय

सुशील सरना जी,
सादर अभिवादन,
यह बताते हुए मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है कि ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार में विगत माह आपकी सक्रियता को देखते हुए OBO प्रबंधन ने आपको "महीने का सक्रिय सदस्य" (Active Member of the Month) घोषित किया है, बधाई स्वीकार करें | प्रशस्ति पत्र उपलब्ध कराने हेतु कृपया अपना पता एडमिन ओ बी ओ को उनके इ मेल admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध करा दें | ध्यान रहे मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई है |
हम सभी उम्मीद करते है कि आपका सहयोग इसी तरह से पूरे OBO परिवार को सदैव मिलता रहेगा |
सादर ।
आपका
गणेश जी "बागी"
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक
ओपन बुक्स ऑनलाइन

At 9:00pm on February 17, 2016, Tasdiq Ahmed Khan said…

मोहतरम जनाब सुशील सरना  साहिब ,  यह  आप सब की हौसला अफ़ज़ाई का नतीजा है  , जिसके लिए   आप का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी

At 8:47pm on January 11, 2016, सतविन्द्र कुमार राणा said…
धन्यवाद आदरणीय sushil Sarna जी।आपको भी सपरिवार सादर हार्दिक शुभकामनाएं!
 
 
 

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