For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Om Parkash Sharma
Share on Facebook MySpace

Om Parkash Sharma's Friends

  • बृजेश कुमार 'ब्रज'
  • डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव
  • लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
  • Sushil Sarna

Om Parkash Sharma's Groups

 

Om Parkash Sharma's Page

Latest Activity

डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव and Om Parkash Sharma are now friends
Oct 30, 2021
Om Parkash Sharma posted a blog post

दोहे

1 सांसारिक कर्मों संग, याद रहे प्रभु नाम। ईश कृपा बनी रहे, बन जाएँ सब काम॥2.जैसा जैसा समय हो, वैसे होते काम।चिंता काहे हम करें, मदद करें श्री राम॥ 3.कोमल तन कटि क्षीण सी, सुंदर मोहक रूप।वेणी नागिन सी बनी, चंचल नयन अनूप ॥4.कर्म कमाई आपकी, बदले सब संस्कार।अनुचित अर्जित संपदा, हो दुख का आधार॥ 5.दुर्योधन ने कब  किया, मित्रोचित व्यवहार।दिया स्वार्थवश कर्ण को, अंग राज्य उपहार॥6बेटी विवाहित मत करें,प्रतिदिन सीख सलाह।बसते घर अब उजड़ते, बढ़े कलह अरु ढाह ॥7.मोबाइल पर दे रही ,माँ जब सीख सलाह ।मुश्किल घर तब…See More
Sep 8, 2021
Chetan Prakash commented on Om Parkash Sharma's blog post दोहे
"नमस्कार, शर्मा जी, 'सुन्दर उज्ज्वल रूप' तीसरे दोहे का सम चरण है, किन्तु मात्रा एं बारह हैं! ' बदले यहाँ संस्कार' चौथे दोहे का द्वितीय चरण, मात्राओं की संख्या तेरह है! 'मित्रोचित व्यवहार' पांचवा दोहा, द्वितीय चरण,…"
Sep 4, 2021
Samar kabeer commented on Om Parkash Sharma's blog post दोहे
"जनाब ओमप्रकाश जी आदाब, आपके दोहे अभी बहुत समय चाहते हैं, लिखना चाहते हैं, पहले भी आपकी बताया था,अगर आप दोहे लिखना चाहते हैं तो आपको इसका विधान पढ़ना होगा ।"
Sep 3, 2021
मनोज अहसास commented on Om Parkash Sharma's blog post दोहे
"आपने बहुत अच्छे दोहे लिखे आदरणीय सादर बधाई"
Sep 2, 2021
Om Parkash Sharma posted a blog post

दोहे

1 सांसारिक कर्मों संग, याद रहे प्रभु नाम। ईश कृपा बनी रहे, बन जाएँ सब काम॥2.जैसा जैसा समय हो, वैसे होते काम।चिंता काहे हम करें, मदद करें श्री राम॥ 3.कोमल तन कटि क्षीण सी, सुंदर मोहक रूप।वेणी नागिन सी बनी, चंचल नयन अनूप ॥4.कर्म कमाई आपकी, बदले सब संस्कार।अनुचित अर्जित संपदा, हो दुख का आधार॥ 5.दुर्योधन ने कब  किया, मित्रोचित व्यवहार।दिया स्वार्थवश कर्ण को, अंग राज्य उपहार॥6बेटी विवाहित मत करें,प्रतिदिन सीख सलाह।बसते घर अब उजड़ते, बढ़े कलह अरु ढाह ॥7.मोबाइल पर दे रही ,माँ जब सीख सलाह ।मुश्किल घर तब…See More
Sep 2, 2021
Om Parkash Sharma commented on Om Parkash Sharma's blog post चुनकर संसद भेजते, उठें उचित सवाल।
"आदरणीय  Saurabh Pandey जी नमस्कार व उत्साहवर्धन तथा मार्गदर्शन के लिए आभार ।"
Sep 2, 2021
Om Parkash Sharma commented on Om Parkash Sharma's blog post चुनकर संसद भेजते, उठें उचित सवाल।
"बृजेश कुमार 'ब्रज' जी दोहे पढ़ने और उस पर प्रतिक्रिया  देने के लिए धन्यवाद। 'बिन बोले दे सैन'  से अभिप्राय कुछ भी कहे बिना इशारे से समझाना। नायिका नाक के निकट आ  मुस्कुराई, नेत्र मटका कर इशारा किया, मुँह से एक…"
Sep 2, 2021
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Om Parkash Sharma's blog post चुनकर संसद भेजते, उठें उचित सवाल।
"बढ़िया दोहे लगे आदरणीय शर्मा जी...कुछ दोहे समझ नहीं आये जैसे "बिन बोले दो सैन" का क्या अर्थ हुआ?"
Aug 26, 2021

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Om Parkash Sharma's blog post चुनकर संसद भेजते, उठें उचित सवाल।
"आपके प्रयास हेतु हार्दिक शुभकामनाएँ, आदरणीय.  दोहा छंद पर आप सार्थक प्रयास करें, आपके दोहे विधानसम्मत हो जाएँगे.  शुभातिशुभ"
Aug 23, 2021
Om Parkash Sharma posted a blog post

चुनकर संसद भेजते, उठें उचित सवाल।

चुनकर संसद भेजते, उठें उचित सवाल।साँसद संसद रोक के, करते वहाँ धमाल॥निज कर्मों के साथ ही, याद रहे प्रभु  नाम। ईश कृपा जब तो मिले, बनते सारे काम॥करे कमाई जिस तरह, वैसा रहे प्रभाव ।अर्जित धन अनुचित सदा, देता रहता घाव॥  न व्यक्तित्व हो एक सा,  अंतर होता मीत।विचार जिससे जब मिले, जग जाती तब प्रीत॥दो छोटों की बात पर, आप हमेशा ध्यान।उनके कथनो में मिले, कभी अनूठा ज्ञान॥छूट लूट का लाभ तो, सभी उठाते लोग।­­­­­ऐसी ही हालत रही, बढ़ सकता है रोग॥­­­­­­­ मुस्काई जाकर निकट, मटका दोनों नैन।समझा प्रियतम को गई, बिन…See More
Aug 17, 2021
Samar kabeer commented on Om Parkash Sharma's blog post नकर संसद भेजते, उठें उचित सवाल।
"जनाब ओमप्रकाश जी आदाब, दोहों पर आपका प्रयास अच्छा है,लेकिन अभी आपको इसके विधान का अध्यन करने की ज़रूरत है, ओबीओ पर इस पर आलेख मौजूद हैं,उनका लाभ लें, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।"
Aug 16, 2021
Om Parkash Sharma posted a blog post

चुनकर संसद भेजते, उठें उचित सवाल।

चुनकर संसद भेजते, उठें उचित सवाल।साँसद संसद रोक के, करते वहाँ धमाल॥निज कर्मों के साथ ही, याद रहे प्रभु  नाम। ईश कृपा जब तो मिले, बनते सारे काम॥करे कमाई जिस तरह, वैसा रहे प्रभाव ।अर्जित धन अनुचित सदा, देता रहता घाव॥  न व्यक्तित्व हो एक सा,  अंतर होता मीत।विचार जिससे जब मिले, जग जाती तब प्रीत॥दो छोटों की बात पर, आप हमेशा ध्यान।उनके कथनो में मिले, कभी अनूठा ज्ञान॥छूट लूट का लाभ तो, सभी उठाते लोग।­­­­­ऐसी ही हालत रही, बढ़ सकता है रोग॥­­­­­­­ मुस्काई जाकर निकट, मटका दोनों नैन।समझा प्रियतम को गई, बिन…See More
Aug 14, 2021
Om Parkash Sharma left a comment for Sushil Sarna
"आदरणीय सुशील सरना जी , सादर अभिवादन , आपके नाम और सावन पर लिखे सभी दोहे मन मोह गए । दोनों कविताएं 'मौसम को' व प्रश्न गंभीर भावों को लिए हुए है। साधुवाद । "
Aug 13, 2021
Om Parkash Sharma commented on Om Parkash Sharma's blog post दोहे
"Saurabh Pandey जी उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार ।"
Aug 5, 2021

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Om Parkash Sharma's blog post दोहे
"आदरणीय ओमप्रकाश शर्मा जी, आपके रचना-प्रयास से संभवत: पहली बार दो-चार हो रहा हूँ क्या ?  तनिक सचेत रहें, तो दोहे छंद पर आपकी पकड़ बेहतर हो सकेगी.  इस मंच पर उपलब्ध दोहा छंद के विधान को पढ़ कर कृपया मनन करें. यह ही उचित…"
Aug 1, 2021

Profile Information

Gender
Male
City State
shimla
Native Place
shimla

Om Parkash Sharma's Blog

दोहे

सांसारिक कर्मों संग, याद रहे प्रभु नाम। 

ईश कृपा बनी रहे, बन जाएँ सब काम॥

2.

जैसा जैसा समय हो, वैसे होते काम।

चिंता काहे हम करें, मदद करें श्री राम॥ 

3.

कोमल तन कटि क्षीण सी, सुंदर मोहक रूप।

वेणी नागिन सी बनी, चंचल नयन अनूप ॥

4.

कर्म कमाई आपकी, बदले सब संस्कार।

अनुचित अर्जित संपदा, हो दुख का आधार॥ 

5.

दुर्योधन ने कब  किया,…

Continue

Posted on September 2, 2021 at 2:30pm — 3 Comments

चुनकर संसद भेजते, उठें उचित सवाल।

चुनकर संसद भेजते, उठें उचित सवाल।

साँसद संसद रोक के, करते वहाँ धमाल॥

निज कर्मों के साथ ही, याद रहे प्रभु  नाम। 

ईश कृपा जब तो मिले, बनते सारे काम॥

करे कमाई जिस तरह, वैसा रहे प्रभाव ।

अर्जित धन अनुचित सदा, देता रहता घाव॥  

न व्यक्तित्व हो एक सा,  अंतर होता मीत।

विचार जिससे जब मिले, जग जाती तब प्रीत॥

दो छोटों की बात पर, आप हमेशा…

Continue

Posted on August 13, 2021 at 8:30pm — 5 Comments

दोहे

कलयुग में ऋण के बिना, सरे न कोई काम।

बड़ी बड़ी जो हस्तियाँ , ऋण ले बनी तमाम ॥ 

टाँक पैबंद वस्त्र  में, तब ढकते थे लाज।

लोग प्रदर्शन कर रहे, उन्हें फाड़कर आज॥

मूर्ति मात्र साधन सदा, ध्यान लगाएँ नित्य।

निराकार ईश्वर सदा, देखता सबके कृत्य॥ 

मान पुरुष को दे भले, सामाजिक परिवेश।

घर पर तो चलता सदा, पत्नी का आदेश॥  

कर…

Continue

Posted on July 21, 2021 at 12:00am — 5 Comments

दोहे

सासु यहाँ घर पर करे, अब बाई का काम।

बहू सुबह है निकलती, आती है फिर शाम॥

.

शिक्षा सारी व्यर्थ है, व्यर्थ समझ सब ज्ञान।

पदवी पा करता नही, मात पिता सम्मान।।

.

शिक्षा जिसमें सीख हो, और श्रेष्ठ संस्कार।

जीवन को उज्ज्वल करे, सिखलाए व्यवहार॥

.

मेघ छटे अब खिल गई, यहाँ सुनहली धूप।

धुली धुली सी लग रही। मोहक प्रकृति अनूप॥

 .

हम चिंता निज की…

Continue

Posted on July 14, 2021 at 11:00pm

Comment Wall (1 comment)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 10:39am on April 9, 2024, Erica Woodward said…

I need to have a word privately, please get back to me on ( mrs.ericaw1@gmail.com) Thanks.

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक स्वागत आपका और आपकी इस प्रेरक रचना का आदरणीय सुशील सरना जी। बहुत दिनों बाद आप गोष्ठी में…"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"शुक्रिया आदरणीय तेजवीर सिंह जी। रचना पर कोई टिप्पणी नहीं की। मार्गदर्शन प्रदान कीजिएगा न।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"सीख ...... "पापा ! फिर क्या हुआ" ।  सुशील ने रात को सोने से पहले पापा  की…"
Saturday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आभार आदरणीय तेजवीर जी।"
Saturday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।बेहतर शीर्षक के बारे में मैं भी सोचता हूं। हां,पुर्जा लिखते हैं।"
Saturday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।"
Saturday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक आभार आदरणीय शेख़ शहज़ाद साहब जी।"
Saturday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक बधाई आदरणीय शेख़ शहज़ाद साहब जी।"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। चेताती हुई बढ़िया रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब। लगता है कि इस बार तात्कालिक…"
Saturday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
" लापरवाही ' आपने कैसी रिपोर्ट निकाली है?डॉक्टर बहुत नाराज हैं।'  ' क्या…"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। उम्दा विषय, कथानक व कथ्य पर उम्दा रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब। बस आरंभ…"
Friday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service