For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कलयुग में ऋण के बिना, सरे न कोई काम।

बड़ी बड़ी जो हस्तियाँ , ऋण ले बनी तमाम ॥ 

टाँक पैबंद वस्त्र  में, तब ढकते थे लाज।

लोग प्रदर्शन कर रहे, उन्हें फाड़कर आज॥

मूर्ति मात्र साधन सदा, ध्यान लगाएँ नित्य।

निराकार ईश्वर सदा, देखता सबके कृत्य॥ 

मान पुरुष को दे भले, सामाजिक परिवेश।

घर पर तो चलता सदा, पत्नी का आदेश॥  

कर विवेचना विविध विधि, रचते दोहा गीत।

मात्रिक गण क्यों खो गए, समझ न आए मीत॥

ओम प्रकाश शर्मा 

परीमहल, शिमला -9

Views: 595

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Om Parkash Sharma on August 5, 2021 at 7:35pm

Saurabh Pandey जी उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार ।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 1, 2021 at 12:02am

आदरणीय ओमप्रकाश शर्मा जी, आपके रचना-प्रयास से संभवत: पहली बार दो-चार हो रहा हूँ क्या ? 

तनिक सचेत रहें, तो दोहे छंद पर आपकी पकड़ बेहतर हो सकेगी. 

इस मंच पर उपलब्ध दोहा छंद के विधान को पढ़ कर कृपया मनन करें. यह ही उचित होगा. 

शुभ-शुभ 

Comment by Om Parkash Sharma on July 21, 2021 at 7:42pm

 आदरणीय Samar kabeer जी उत्साहवर्धन  और सही मार्ग दर्शन के लिए आपका हार्दिक आभार । 

Comment by Samar kabeer on July 21, 2021 at 3:23pm

जनाब ओमप्रकाश जी आदाब,दोहों का अच्छा प्रयास है,लेकिन अभी आपको इसके विधान का अध्यन करना होगा, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 21, 2021 at 10:53am

आ. भाई ओम प्रकाश जी, सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई । 

दूसरे दोहे में वसन को वस्त्र करने से विन्यास अच्छा लगेगा। देखिएगा

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"बच्चों का ये जोश, सँभालो हे बजरंगी भीत चढ़े सब साथ, बात माने ना संगी तोड़ रहे सब आम, पहन कपड़े…"
2 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"रोला छंद ++++++   आँगन में है पेड़, मौसमी आम फले…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . .तकदीर
"आदरणीय अच्छे सार्थक दोहे हुए हैं , हार्दिक बधाई  आख़िरी दोहे की मात्रा फिर से गिन लीजिये …"
18 hours ago
सालिक गणवीर shared Admin's page on Facebook
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर   होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर । उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service