For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जयनित कुमार मेहता
  • Male
  • Araria,Bihar
  • India
Share on Facebook MySpace

जयनित कुमार मेहता's Friends

  • Abhishek kumar singh
  • मंजूषा 'मन'
  • सतविन्द्र कुमार राणा
  • amod shrivastav (bindouri)
  • jyotsna Kapil
  • rajesh kumari
  • Abhinav Arun
  • Saurabh Pandey

जयनित कुमार मेहता's Groups

 

जयनित कुमार मेहता's Page

Latest Activity

जयनित कुमार मेहता commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल : मिज़ाज़-ए-दश्त पता है न नक़्श-ए-पा मालूम
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, सादर नमस्कार! बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल कही है आपने। इसके लिए आपको हार्दिक बधाई प्रेषित करता हूँ। शायद आख़िरी शेर के दूसरे मिसरे में "मुकर्रर" की बजाय "मुकर्र" टाइप हो गया है।"
Jul 18
जयनित कुमार मेहता commented on जयनित कुमार मेहता's blog post अपना इक मेयार बना (ग़ज़ल)
"आदरणीय समर कबीर जी, आपका बहुत बहुत धन्यवाद!"
Jul 14
Samar kabeer commented on जयनित कुमार मेहता's blog post अपना इक मेयार बना (ग़ज़ल)
"आपके पास मेरा नम्बर हो तो कृपया फ़ोन कर लें, इतने विस्तार से लिखना मेरे लिए सम्भव नहीं है, आँखें ख़राब हैं । मेरा नम्बर ये है:- 9753845522"
Jul 14
जयनित कुमार मेहता commented on जयनित कुमार मेहता's blog post अपना इक मेयार बना (ग़ज़ल)
"आदरणीय समर कबीर जी, सादर प्रणाम! ग़ज़ल तक पहुँच कर उचित मार्गदर्शन करने हेतु आपका हार्दिक आभारी हूँ। मतले के सन्दर्भ में आपके द्वारा प्रस्तावित मिसरे से सहमत हूँ। चौथे शेर का पहला मिसरा बेबह्र होने की बात मैं समझ नहीं पा रहा हूँ। आपसे निवेदन है कि…"
Jul 14
Samar kabeer commented on जयनित कुमार मेहता's blog post अपना इक मेयार बना (ग़ज़ल)
"जनाब जयनित कुमार मेहता जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें । 'फिर उसमें तू धार बना' इस मिसरे को उचित लगे तो यूँ कहें:- 'फिर उनकी तू धार बना' 'बेवकूफ़ियाँ बढ़ती गयीं' ये मिसरा बह्र में नहीं है, देखिएगा…"
Jul 13
जयनित कुमार मेहता posted a blog post

अपना इक मेयार बना (ग़ज़ल)

लफ़्ज़ों को हथियार बना फिर उसमें तू धार बनाछोड़ तवज़्ज़ो का रोना अपना इक मेयार बनालंबा वृक्ष बना ख़ुद को लेकिन छायादार बनाबेवकूफ़ियाँ बढ़ती गयीं जितना बशर हुश्यार बनाशिकवा गुलों से है न तुझे? तो कांटों को यार बनाजिसने दिखाई राह नई वो दुनिया का शिकार बना(मौलिक एवं अप्रकाशित)See More
Jul 12
जयनित कुमार मेहता commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय मिथिलेश जी, सादर नमस्कार! अच्छी ग़ज़ल हुई है। ख़ूब मुबारकबाद आपको। एक जिज्ञासा है - क्या ज़ेहन का वज़न 122 लिया जा सकता है?"
Jul 11
जयनित कुमार मेहता replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीया ऋचा जी, सादर नमस्कार! तरही मिसरे पर बहुत अच्छी ग़ज़ल कही आपने। मुशायरे में सहभागिता हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। 5वें शेर पर आदरणीय अमित जी का सुझाव भी बहुत ख़ूबसूरत है। सादर।"
May 25
जयनित कुमार मेहता replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, सादर नमस्कार! तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल हुई है। हार्दिक बधाई स्वीकार करें। आदरणीय अमित जी के सुझावों पर ग़ौर कीजियेगा। सादर।"
May 25
जयनित कुमार मेहता replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी, सादर अभिवादन! उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभारी हूँ।"
May 25
जयनित कुमार मेहता replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, सादर नमस्कार! तरही मिसरे पर बढ़िया ग़ज़ल कही आपने। हार्दिक बधाई स्वीकार करें। आदरणीय अमित जी के सुझाव क़ाबिल -ए -ग़ौर हैं। सादर।"
May 25
जयनित कुमार मेहता replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी, सादर नमस्कार! तरही मिसरे पर ग़ज़ल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई स्वीकार करें। आदरणीय अमित जी ने उपयोगी सुझाव प्रस्तुत किये हैं। 8वें शेर को थोड़ा और असरदार बनाने की कोशिश में मेरे मन में एक सुझाव आया, जो पेश कर…"
May 25
जयनित कुमार मेहता replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी, सादर अभिवादन! ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा हुआ है। मुशायरे के सहभागिता के लिए हार्दिक बधाई आपको।"
May 25
जयनित कुमार मेहता replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय लक्ष्मण जी, सादर अभिवादन! ग़ज़ल तक आने एवं उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभारी हूँ।"
May 25
जयनित कुमार मेहता replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, सादर अभिवादन! ग़ज़ल तक आपकी पहुंच और हौसला अफजाई के लिए बेहद शुक्रगुजार हूं।"
May 25
जयनित कुमार मेहता replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, सादर अभिवादन! ग़ज़ल तक पहुंचकर उत्साहवर्धन करने हेतु आपका हार्दिक आभारी हूं।"
May 25

Profile Information

Gender
Male
City State
Araria,Bihar
Native Place
Araria,Bihar
Profession
Student
About me
I'm simple..!

जयनित कुमार मेहता's Blog

अपना इक मेयार बना (ग़ज़ल)

लफ़्ज़ों को हथियार बना
फिर उसमें तू धार बना

छोड़ तवज़्ज़ो का रोना
अपना इक मेयार बना

लंबा वृक्ष बना ख़ुद को
लेकिन छायादार बना

बेवकूफ़ियाँ बढ़ती गयीं
जितना बशर हुश्यार बना

शिकवा गुलों से है न तुझे?
तो कांटों को यार बना

जिसने दिखाई राह नई
वो दुनिया का शिकार बना

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Posted on July 9, 2024 at 7:53pm — 4 Comments

इक वह्म ऐतबार से आगे की चीज़ है (ग़ज़ल)

 221  2121  1221  212

ख़ुशबू, चमन, बहार से आगे की चीज़ है।

जो ज़िंदगी है, प्यार से आगे की चीज़ है।

जारी है एक जंग जो ग़म और ख़ुशी के बीच,

यह जंग जीत-हार से आगे की चीज़ है।

अक्सर उफ़ुक़ को देख के आता है ये ख़याल,

कुछ है जो इस हिसार से आगे की चीज़ है।

कैसे बताऊं किस पे टिकी है मेरी निगाह,

मंज़िल से, रहगुज़ार से आगे की चीज़ है।

हद्द-ए-निगाह से भी परे है कोई वजूद,

इक वह्म ऐतबार से आगे की चीज़…

Continue

Posted on September 15, 2022 at 10:30am — 7 Comments

साज-श्रृंगार व्यर्थ है तेरा (ग़ज़ल)

2122   1212   22

जितना बढ़ते गए गगन की ओर
उतना उन्मुख हुए पतन की ओर

साज-श्रृंगार व्यर्थ है तेरा
दृष्टि मेरी है तेरे मन की ओर

फल परिश्रम का तब मधुर होगा
देखना छोड़िए थकन की ओर

मन को वैराग्य चाहिए, लेकिन
तन खिंचा जाता है भुवन की ओर

"जय" भी एकांतवास-प्रेमी है
इसलिए आ गया सुख़न की ओर

(मौलिक व अप्रकाशित)

Posted on September 4, 2022 at 1:25am — 7 Comments

निकलेगा आफ़ताब इसी आसमान से (ग़ज़ल)

221   2121  1221  212

क़ीमत ज़बान की है जहाँ बढ़के जान से

है वास्ता हमारा उसी ख़ानदान से

चढ़ना है गर शिखर पे, रखो पाँव ध्यान से

खाई में जा गिरोगे जो फिसले ढलान से

पल - पल झुलस रही है ज़मीं तापमान से

मुकरे हैं सारे अब्र अब अपनी ज़बान से

काली घटाएँ रास्ता रोकेंगी कब तलक?

निकलेगा आफ़ताब इसी आसमान से

ये दौलतों के ढेर मुबारक तुम्हीं को हों

हम जी रहे हैं अपनी फ़क़ीरी में शान से

क्या-क्या न हमसे छीन…

Continue

Posted on August 25, 2018 at 11:03am — 8 Comments

Comment Wall (6 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 11:19am on November 6, 2017,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

आदरणीय जयनित जी जन्‍म दिन की बहुत बहुत शुभकामनाएं

At 12:59pm on January 27, 2016, kanta roy said…

बेहद गर्व का पल  ! बहुत -बहुत बधाई आपको आदरणीय जयनित  जी  "महीने का सक्रिय सदस्य"  बनने हेतु। 

At 8:17pm on January 16, 2016, जयनित कुमार मेहता said…
आदरणीय गणेश जी,
इस सम्मान के लिए मैं OBO परिवार के प्रति हार्दिक आभार प्रकट करता हूँ।
At 8:13pm on January 16, 2016, जयनित कुमार मेहता said…
जन्मदिवस की शुभकामनाओं के लिए आपका बहुत-बहुत आभारी हूँ,आदरणीय रवि शुक्ला जी..

(विलम्ब से प्रत्युत्तर के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ)
At 4:28pm on January 16, 2016,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

आदरणीय

जयनित कुमार मेहता जी,
सादर अभिवादन,
यह बताते हुए मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है कि ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार में विगत माह आपकी सक्रियता को देखते हुए OBO प्रबंधन ने आपको "महीने का सक्रिय सदस्य" (Active Member of the Month) घोषित किया है, बधाई स्वीकार करें | प्रशस्ति पत्र उपलब्ध कराने हेतु कृपया अपना पता एडमिन ओ बी ओ को उनके इ मेल admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध करा दें | ध्यान रहे मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई है |
हम सभी उम्मीद करते है कि आपका सहयोग इसी तरह से पूरे OBO परिवार को सदैव मिलता रहेगा |
सादर ।
आपका
गणेश जी "बागी"
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक
ओपन बुक्स ऑनलाइन

At 1:26pm on November 6, 2015, Ravi Shukla said…

जयनित जी जन्‍म दिन की बहुत बहुत शुभकामनाएं

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service