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ख़ुशबू, चमन, बहार से आगे की चीज़ है।
जो ज़िंदगी है, प्यार से आगे की चीज़ है।
जारी है एक जंग जो ग़म और ख़ुशी के बीच,
यह जंग जीत-हार से आगे की चीज़ है।
अक्सर उफ़ुक़ को देख के आता है ये ख़याल,
कुछ है जो इस हिसार से आगे की चीज़ है।
कैसे बताऊं किस पे टिकी है मेरी निगाह,
मंज़िल से, रहगुज़ार से आगे की चीज़ है।
हद्द-ए-निगाह से भी परे है कोई वजूद,
इक वह्म ऐतबार से आगे की चीज़ है।
कैसे करेगा तब्सिरा शे'र-ओ-सुख़न पे वो
यह "जय" के इख़्तियार से आगे की चीज़ है।
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
संशोधन के बाद ख़ूब ग़ज़ल हुई है आदरणीय जयनित जी। हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए।
आदरणीय समर कबीर जी, आपके सुझाव पर गौर करते हुए मैंने शब्द को परिवर्तित कर दिया है।
उचित सलाह के लिए आपका हार्दिक आभारी हूं। सादर।
//"दिवार" शब्द को हटा के कोई दूसरा शब्द वहांं पर रखने के बारे में सोच रहा हूँ //
मेरे ख़याल से 'दिवार' की जगह "हिसार" शब्द उचित होगा, ग़ौर करें I
आदरणीय अमीरुद्दीन जी, रचना पर आपकी उपस्थिति, उत्साहवर्धन एवं उचित मार्गदर्शन हेतु बहुत आभारी हूं आपका।
आपके सुझावों के अनुसार रचना में संशोधन कर रहा हूं। सादर।
आदरणीय जयनित कुमार मेहता जी आदाब, ग़ज़ल के हर एक शे'र में एक से बढ़कर एक मोती पिरोए हैं आपने हार्दिक बधाई स्वीकार करें।
'कुछ है जो इस दिवार से आगे की चीज़ है'... इस मिसरे में 'दिवार' को 'दयार' कर सकते हैं।
'कैसे करेगा तज़्किरा शे'र-ओ-सुख़न पे वो'... इस मिसरे का वाक्य विन्यास सही नहीं है, तज़्किरा किया के साथ नहीं हुआ के साथ इस्तेमाल किया जाता है जैसे - अभी तो उस का कोई तज़्किरा हुआ भी नहीं
अभी से बज़्म में ख़ुशबू का रक़्स जारी है'
कैसे करेगा ज़िक्र'...सही विन्यास है।
वैसे आपके मक़्ते के सानी मिसरे के भाव को देखते हुए 'तज़्किरा' (ज़िक्र) के बजाय 'तब्सिरा' (review, comment, criticism) शब्द ज़ियाद: सटीक होगा। शेष गुणीजन कह चुके हैं।
जनाब जयनित कुमार मेहता जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है , बधाई स्वीकार करें I
'कुछ है जो इस दिवार से आगे की चीज़ है-- इस मिसरे में 'दिवार' को १२१ पर लेना उचित नहीं, इसे बदलने का प्रयास करें I
'हद्द-ए-निगाह से परे भी है कोई वजूद'-- इस मिसरे को अगर यूँ कहें तो रवानी बढ़ जाएगी :-
"हद्द-ए-निगाह से भी परे है कोई वजूद"
'कैसे करेगा तज़्किरा शे'र-ओ-सुख़न पे वो'--इस मिसरे को युचित लगे तो यूँ कहें :-
"कैसे करेगा तज़्किरा शे'र-ओ-सुख़न का वो"
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