For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

shree suneel
Share on Facebook MySpace

Shree suneel's Friends

  • Krish mishra 'jaan' gorakhpuri
  • Hari Prakash Dubey
  • vijay nikore
  • sujeet kumar yadav
 

shree suneel's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
bihar
Native Place
barh
Profession
Teacher
About me
Like simplicity

Shree suneel's Blog

त़रह़ी ग़ज़ल..

1222 1222 1222 1222



तेरे औ' मेरे नामों पर सियासत और हो जाती

निहाँ होता नहीं सब कुछ तो आफ़त और हो जाती.



ह़दों से आगे जा कर ये ग़मे फ़ुर्क़त असर करता

अगर मुझको तेरी स़ुह़्बत की आ़दत और हो जाती.



ये रोने धोने का आ़लम, फ़िराक़े यार का मौसम

ए क़िस्मत! हैं अभी ये कम, अज़ीयत और हो जाती!



ख़िरद पर ग़र यकीं करते नहीं फिर जाने क्या होता

जो सुनते दिल की, दुनिया से अ़दावत और हो जाती.



चलो अच्छा हुआ दो टूक तुमने कह दिया… Continue

Posted on October 3, 2016 at 11:45am — 3 Comments

तज़मींन बर तजमींन

मफ़ाईलुन मफ़ाईलुन मफ़ाईलुन मफ़ाईलुन



"तज़मीन बर तजमीन समर कबीर साहिब बर ग़ज़ल हज़रत सय्यद रफ़ीक़ अहमद "क़मर" उज्जैनी साहिब"







कोई पूछे ज़रा हमसे कि क्या क्या हमने देखा है

सुलगता शह्र औ' बिखरा वो कुनबा हमने देखा है

नया तुम दौर ये देखो पुराना हमने देखा है

"ख़ज़ाँ देखी कभी मौसम सुहाना हमने देखा है

अँधेरा हमने देखा है,उजाला हमने देखा है

फ़सुर्दा गुल कली का मुस्कुराना हमने देखा है"

"ग़मों की रात ख़ुशियों का सवेरा हमने देखा है

हमें… Continue

Posted on July 18, 2016 at 2:00am — 9 Comments

तज़मींन

तज़मींन बर ग़ज़ल फ़िराक़ गोरखपुरी

2122 2122 2122 212



उसके लब औ' जाँफ़िजा़ आवाज़ की बातें करो

फिर उसी दमसाज़ के ऐजाज़ की बातें करो

सोगे इश्क़ आबाद है अब साज़ की बातें करो

"शामे ग़म कुछ उस निगाहें नाज़ की बातें करो

बेख़ुदी बढ़ती चली है राज़ की बातें करो."



ज़िंदगी में जाविदाँ हैं अाहो दर्दो रंजो ग़म

जिक्र से उस शोख़ के देखे गए होते ये कम

उसके ढब,उसकी हँसी,हर शौक़ उसका हर सितम

"नक्हते ज़ुल्फ़े परीशां दास्ताने शामे ग़म

सुब्ह़ होने तक… Continue

Posted on July 4, 2016 at 8:36pm — 4 Comments

तजमींन..

1212 1122 1212 22

तज़़्मीन बर ग़ज़ल जाँ निसार अख्तर



वो होंगे कैसे, सितम जिनपे मैंने ढाया था

कि मैं रुका न मुझे कोई रोक पाया था

थे अपने लोग मगर उनसे यूँ निभाया था

"ज़रा सी बात पे हर रस्म तोड़ आया था

दिल-ए-तबाह ने भी क्या मिज़ाज पाया था "



जमूद हूँ कि रवाँ हूँ मैं रहगुज़र की तरह

रुका कभी तो लगा वो भी इक सफ़र की तरह

दयारे गै़र में उभरा कुछ उस दहर की तरह

" गुज़र गया है कोई लम्हा-ए-शरर की तरह

अभी तो मैं उसे पहचान भी न पाया था… Continue

Posted on June 6, 2016 at 3:39am — 7 Comments

Comment Wall (2 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 6:34pm on September 17, 2015, pratibha pande said…

आदरणीय ,उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार 

At 4:39pm on July 20, 2015, kanta roy said…
आभार आपको आदरणीय श्री सुनील जी तहे दिल से ।
 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी छंद ++++++++++++++++++   देवों की है कर्म भूमि, भारत है धर्म भूमि, शिक्षा अपनी…"
8 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय जी सृजन पर आपके मार्गदर्शन का दिल से आभार । सर आपसे अनुरोध है कि जिन भरती शब्दों का आपने…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने एवं समीक्षा का दिल से आभार । मार्गदर्शन का दिल से…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Tuesday
Admin posted discussions
Monday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"बंधुवर सुशील सरना, नमस्कार! 'श्याम' के दोहराव से बचा सकता था, शेष कहूँ तो भाव-प्रकाशन की…"
Monday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"बंधुवर, नमस्कार ! क्षमा करें, आप ओ बी ओ पर वरिष्ठ रचनाकार हैं, किंतु मेरी व्यक्तिगत रूप से आपसे…"
Monday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"बंधु, लघु कविता सूक्ष्म काव्य विवरण नहीं, सूत्र काव्य होता है, उदाहरण दूँ तो कह सकता हूँ, रचनाकार…"
Monday
Chetan Prakash commented on Dharmendra Kumar Yadav's blog post ममता का मर्म
"बंधु, नमस्कार, रचना का स्वरूप जान कर ही काव्य का मूल्यांकन , भाव-शिल्प की दृष्टिकोण से सम्भव है,…"
Monday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service