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शिज्जु "शकूर"
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शिज्जु "शकूर" commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"क्या खूब कहा आदरणीय निलेश भाई सादर बधाई,   “जो गुज़रेगा इस रचना से ‘नक्की’ पगला जाएगा दिल बोला औरों को छोड़ कि तू भी पगला जाएगा”   आपके और सौरभ सर के बीच की चर्चा, खूब भी रही, विशेष कर आदरणीय एह्तराम सर की टिप्पणी,…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. भाई शिज्जू 'शकूर' जी, सादर अभिवादन। खूबसूरत गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Tuesday

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शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय प्रतिभा पांडे जी, आपका बहुत बहुत शुक्रिया"
Sunday

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"छिपन छिपाई खेलता,सूरज मेघों संग। गर्मी के इस बार कुछ, नर्म लग रहे रंग।। -- प्रदत्त चित्र पर क्या खूब खयाल प्रस्तुत किया आपने। -- पथिक थका रवि से कहे, मत कर इतना काम। बादल को तू ओढ़कर, कर ले कुछ आराम।।... वाकई हर बार मौसम से लड़ना सही नहीं, अच्छा…"
Sunday

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"तू जो मनमौजी अगर, मैं भी मन का मोर आ रे सूरज देख लें, किसमें कितना जोर ........ वाह, सूरज को क्या खूब चुनौती दी है आपने,    मूरख मनुआ क्या तुझे इतना नहीं गुमान सूरज सम्मुख ले रहा, पानी पी-पी तान...... सामान्य सी दिख रही पंक्तियों से…"
Sunday

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"आदरणीय अजय गुप्ता 'अजेय' जी, प्रदत्त चित्र पर आपका प्रयास अच्छा है। मौसम को चुनौती देती हुए दोहों पर आपको सादर बधाई। //तुम से हीं गति ले रहीं// टंकण त्रुटि ठीक कर लीजिएगा।   एक जगह मैं आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ। इस चरण को…"
Sunday

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"आदरणीय अखिलेश श्रीवास्तव सर, नमस्कार, अर्से बाद आपकी रचना से गुज़र रहा हूँ। दिए गए चित्र पर लोगों को सचेत करते अच्छे दोहे हुए हैं। सादर बधाई आपको।"
Sunday

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"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपका बहुत बहुत शुक्रिया"
Sunday

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"आदरणीय सौरभ सर, विस्तृत टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार,  दोहा के विषय में जो भी सीखा है यहीं इसी मंच पर आप वरिष्ठजनों से ही सीखा है।"
Sunday

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"आदरणीय अशोक रक्ताले सर, हार्दिक आभार आपका"
Sunday

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"बहुत शुक्रिया आदरणीय, काम की व्यस्तता थी, इसलिए आयोजन का ध्यान नहीं रहा था। आपने हौसला बढ़ाया तो कुछ लिखने की हिम्मत कर सका। सादर"
Sunday

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शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक रक्ताले सर, बेहतरीन दोहावली हुई है सादर बधाईमौसम की तीक्ष्णता और जल की शीतलता का आपने खूब एहसास कराया है। क्षमा सहित, यहाँ आपने एक शब्द का प्रयोग किया है- 'आर्ष' इसके अर्थ तक मैं नहीं पहुँच पाया,  -^-"
Sunday

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"आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी, प्रदत्त चित्र पर खूब दोहे हुए हैं, सादर बधाई। भाव-शिल्प के साथ सुगढ़ शब्दों का प्रवाह रचना को खूबसूरत बनाते हैं, आदरणीय सौरभ सर के सुझाव से दोहे और भी निखर कर आ रहे हैं। "
Sunday

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"किसको लगता है भला, कुदरत का यह रूप। मगर छाँव का मोल क्या, जब ना होगी धूप।। ऊपर तपता सूर्य है, नीचे जलते पाँव। प्यास बुझ गई शुक्र है, काश मिले अब छाँव।। जलता सूरज जेठ का, खींचे सारा नीर। एक घूंट से क्या बुझे, तृष्णा है गंभीर।। पारा चढ़ता दिन ब…"
May 17
Ravi Shukla commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय शिज्जु भाई ग़ज़ल की उम्दा पेशकश के लिये आपको मुबारक बाद  पेश करता हूँ । ग़ज़ल पर आाई टिप्प्णियों से लाभान्वित हो रहा हूँ । "
May 15
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय भाई शिज्जु 'शकूर' जी इस खूबसूरत ग़ज़ल से रु-ब-रु करवाने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।  ​"
May 5

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Male
City State
Raipur
Native Place
Raipur
Profession
Freelance Creative writer
About me
I emotional and introvert person usually like to spend time alone, it is selfish nature because sometimes our beloved one wishing to spend time with us

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ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है

1212 1122 1212 22/112



मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है

मगर सँभल के रह-ए-ज़ीस्त से गुज़रना है



मैं देखता हूँ तुझे भी वो सब दिखाई दे

मुझे कभी न कोई ऐसा शग्ल करना है



नज़ारा कोई दिखा दे ये शब तो वक्त कटे

इसी के साथ सहर होने तक ठहरना है



न जाने कितने मराहिल हैं ज़ह'न में मेरे

कोई ये काश बता दे कहाँ उतरना है



ये…

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Posted on May 1, 2025 at 12:20pm — 15 Comments

ग़ज़ल: आईना सामने रखा

2112 1212 2112 1212

आइना सामने रखा तुमने कमाल कर दिया

हो गए ला-जवाब वो ऐसा सवाल कर दिया

उनको गुरूर था बहुत जीत पे अपनी कल तलक

ख़ौफ़-ए-शिकस्त ने उन्हें आज निढाल कर दिया

तेज़ हवा ने यक-ब-यक जिस्म से खींच ली कबा

खुल गए ज़ख्म दुनिया को वाक़िफ़-ए-हाल कर दिया

ज़ोर चला है वक़्त पर कब किसी का बताइए

शम्स को भी तो वक्त ने पल में हिलाल कर दिया

जड़ दिए एक एक कर मेरे हुरूफ़ में गुहर 

सागर-ए-इश्क़ ने मुझे…

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Posted on July 13, 2023 at 9:21am — 4 Comments

ज़िन्दगी गर मुझको तेरी आरज़ू होती नहीं(ग़ज़ल)

2122 2122 2122 212

ज़िन्दगी गर मुझको तेरी आरज़ू होती नहीं

अपनी सांसों से मेरी फिर गुफ़्तगू होती नहीं

गर तड़प होती न मेरे दिल में तुझको पाने की

मेरी आँखों में, मेरे ख्वाबों में तू होती नहीं

उम्र गुज़री है यहाँ तक के सफ़र में, दोस्तो!

पर ये वो मंज़िल है, जिसकी जुस्तजू होती नहीं

ये जहाँ गिनता है बस कुर्बानियों की दास्ताँ

जाँ लुटाये बिन मुहब्बत सुर्ख-रू होती नहीं

दोस्तों के दिल मुनव्वर जो नहीं होते 'शकूर'

रौशनी भी…

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Posted on July 13, 2020 at 1:09pm — 9 Comments

एक ग़ज़ल - शिज्जु शकूर

221 2121 1221 212

बे-ख़्वाब आँखों में दबे लम्हात से अलग
गुज़री है ज़िन्दगानी अलामात से अलग

दस्तार रह गई है रवाजों के दरमियाँ
पर इश्क़ खो गया है रिवायात से अलग

जीने की चाह में हुआ बंजारा आदमी
बस घूमता दिखे है मक़ामात से अलग

किस रिश्ते की दुहाई दूँ अहल ए जहाँ को मैं
है क्या यहाँ पे कहिये फ़सादात से अलग

वो वक़्त और ही था कि मौसम बदलते थे
मौसम रहा न अब कोई बरसात से अलग

-मौलिक व अप्रकाशित

Posted on November 12, 2018 at 1:26pm — 13 Comments

Comment Wall (31 comments)

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At 6:39am on July 2, 2018, राज़ नवादवी said…

आदरणीय शिज्जू शुकुर साहब, तरही मुशायरे में मेरी ग़ज़ल में शिरकत का दिल से शुक्रिया. समयाभाव था, कमेंट बॉक्स बंद हो चुका है. इसलिए यहाँ से आभार प्रकट कर रहूँ हूँ.सादर 

At 10:50pm on April 18, 2016, RATNA PRIYA PANDEY said…
धन्यवाद सर
At 7:06pm on January 3, 2016, Sushil Sarna said…

नूतन वर्ष 2016 आपको सपरिवार मंगलमय हो। मैं प्रभु से आपकी हर मनोकामना पूर्ण करने की कामना करता हूँ।

सुशील सरना

At 9:27pm on April 19, 2015, Mala Jha said…
सप्रेम धन्यवाद महोदय मुझे OBO जैसे प्रतिष्ठित मंच पर स्थान देने के लिए।बहुत बहुत आभार आपका।
At 9:48am on December 31, 2014, Rahul Dangi Panchal said…
आदरणीय शिज्जू "शकूर" जी आपका स्वागत है ! और धन्यवाद भी कि आपने मुझ कम बुद्धि को भी अपनी दोस्ती के काबिल समझा! सादर!
At 9:42pm on June 18, 2014, Sushil Sarna said…

aadrneey Shijju Shakoor saahib aapke margdarshan ka main aabhaaree hoon....koshish kroonga ki bataaee bahar pr aage badh skoon....tahe dil se shukriya

At 7:39pm on June 17, 2014, Sushil Sarna said…

हा हा हा …… बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय शिज्जु शकूर जी आपने हमारी रचना को कविता का दर्जा तो दिया। .... काश हमें भी ग़ज़ल लिखने का अंदाज़ आ जाए ? सर मेरी कोशिश तो ग़ज़ल लिखने की थी मगर बह्र में उलझता चला गया कभी ११२ कभी ११२१ करता फिर जब उलझन से छुटकारा न मिला तो रचना बना कर डाल दिया। आप की ज़र्रा नवाज़ी होगी अगर मेहरबानी करके इसी की नीचे लिखी चंद पंक्तियों की बह्र बना कर मुझ नौसिखिये को ग़ज़ल का हुनर सिखाएंगे। तकलीफ के लिए मुआफ़ी चाहता हूँ। शुक्रिया

अपनी हर सांस में...तुझे करीब पाता हूँ
तुझे हर ख्याल में अपना हबीब पाता हूँ
बिन तेरे ज़िंदगी की हर मसर्रत है झूठी
राहे वफ़ा में तुझे अपना नसीब पाता हूँ

At 3:39pm on June 3, 2014, Sushil Sarna said…

aadrbeey Shajju jee, namaskaar-kya apko aik takleef de sakta hoon ? aapkee kripa hogee yadi mujhe thoda sa trhee gazal kya hotee hai, btaayenge. gazal to samajh rhaa hoon pr trhee gazal smajh naheen aa rhee.aapke amuly smay men se kuch smay maang rhaa hoon, please dont mind. 

sushil sarna

At 10:59am on June 3, 2014, RACHNA JAIN said…

आपकी सभी रचनाएँ बहुत खूब हैं सर .... फिर भी, आपकी सलाह पर अमल करेंगे ... शुक्रिया !!

At 10:25am on June 3, 2014, RACHNA JAIN said…

बहुत खूब लिखा सर आपने... बधाई ...!!

 
 
 

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