For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सिस्टम से अब और निभाना मुश्किल है,
आँसू पीकर हँसते जाना मुश्किल है।।

लंबे चौड़े दफ्तर हैं पर छोटी सोच लिए।
भाँग कुएँ में मिली हुई है पानी कौन पिए।
कागज के रेगिस्तानों में भटक रहा,
मृग तृष्णा से प्यास बुझाना मुश्किल है।

भावुकता में मैदां छोड़ूँ क्या होगा।
कोई और यहाँ आकर रुसवा होगा।।
अजगर बन कर पड़ा रहूँ कैसे संभव,
जोंकों को भी खून पिलाना मुश्किल है।

लानत और मलामत का है भार बहुत।
न्याय नहीं निर्णय का शिष्टाचार बहुत।।
और शराफत को कायरता समझें जो,
उनके आगे शोर मचाना मुश्किल है।

नरभक्षी माहौल चेतना चाट रहा।
जैसे तैसे बाकी सेवा काट रहा।।
काश कर्म में उत्सव जैसी ख़ुशी मिले,
जैसे तैसे जीते जाना मुश्किल है।

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 522

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by दिगंबर नासवा on January 26, 2019 at 11:07pm

बहुत अच्छी व्यंग धार है इस गीत में ... प्रभावी विश्लेषण ...

बधाई हो इस गीत की ...

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 20, 2018 at 4:49pm

आ. भाई रवि जी, प्रभावी गीत हुआ है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Ajay Tiwari on November 18, 2018 at 6:05pm

आदरणीय रवि जी, दफ़्तरी संत्रास पर इस प्रभावी गीत-प्रस्तुति के लिए, हार्दिक बधाई.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 18, 2018 at 2:55pm

एक विवश कर्मचारी की ऊबी हुई छटपटाती सोच को जिस संवेदनशीलता के साथ शाब्दिक किया गया है कि प्रस्तुत रचना आजके दौर के हरेक कर्मठ, ईमानदार और उत्तरदायी कर्मचारी की आवाज़ बन कर सामने आयी है. इस अत्यंत सार्थक रचना के लिए हार्दिक धन्यवाद एवं शुभकामनाएँ 

आदरणीय समर साहब की सलाह उचित है. कृपया एकबार अपनी सुधी दृष्टि डाल कर उपयुक्त सुधार कीजिएगा, आदरणीय रवि शुक्ल जी. 

सादर

Comment by Samar kabeer on November 17, 2018 at 2:44pm

जनाब रवि शुक्ला साहिब आदाब,गीत का प्रयास अच्छा है बधाई स्वीकार करें ।

लंबे चौड़े दफ्तर हैं पर छोटी सोच लिए।
भाँग कुएँ में मिली हुई है पानी कौन पिए'

ये पंक्तियां गीत की दूसरी पंक्तियों के हिसाब से बह्र से भटक गई हैं,देखिये ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Jul 29
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service