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Posted on May 6, 2021 at 4:00pm — 4 Comments
Posted on November 19, 2019 at 11:00pm — 4 Comments
ललालाला ललालाला ललालाला ललालाला
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न मंदिर में मिले ईश्वर, गुफाओं में न जाने से .
न भूखे पेट रहने से, न गंगा ही नहाने से .
उसे पाना अगर सच में, हृदय में झाँक कर देखो ,
मिले रैदास, मीरा - प्रेम की बगिया खिलाने से .
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कभी है धूप जीवन में, कभी मिलते यहाँ साए.
सहारे को नहीं ढूँढ़ो, मिले या फिर न मिल पाए.
गिराती शाख कैसे फल, धरा पर सीख लो…
Posted on August 3, 2019 at 2:00pm — 2 Comments
शून्य आकांक्षी जी जोरदार दोहों के लिए मेरी बधाई स्वीकार करे
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