इस समूह में भारतीय छंद शास्त्रों पर चर्चा की जा सकती है | जो भी सदस्य इस ग्रुप में चर्चा करने के इच्छुक हों वह सबसे पहले इस ग्रुप को कृपया ज्वाइन कर लें !
Location: ओपन बुक्स ऑनलाइन
Members: 217
Latest Activity: Oct 6
साथियों !
इस समूह में भारतीय छंद पर व्यापक चर्चा की जायेगी, साथ में छंदों का नियम विधान आदि पर भी जानकारी साझा की जायेगी |
Started by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव. Last reply by Om Parkash Sharma Jun 27, 2021.
Started by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव. Last reply by Saurabh Pandey Jun 6, 2020.
Started by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव. Last reply by Saurabh Pandey Jun 6, 2020.
Started by Saurabh Pandey. Last reply by मिथिलेश वामनकर Jun 18.
Started by Saurabh Pandey. Last reply by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' Oct 5, 2016.
Started by Saurabh Pandey. Last reply by Saurabh Pandey Feb 20, 2015.
Started by Saurabh Pandey. Last reply by मिथिलेश वामनकर Jun 18.
Started by Saurabh Pandey. Last reply by Saurabh Pandey Feb 21, 2016.
Started by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव. Last reply by मिथिलेश वामनकर Apr 27, 2015.
Started by Saurabh Pandey. Last reply by Dr. Vijai Shanker Sep 14, 2014.
Started by Saurabh Pandey. Last reply by Dr.Prachi Singh Dec 6, 2019.
Started by Saurabh Pandey. Last reply by मिथिलेश वामनकर Jun 18.
Started by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव. Last reply by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव Apr 27, 2015.
Started by Saurabh Pandey. Last reply by Saurabh Pandey Mar 13, 2016.
Started by Saurabh Pandey. Last reply by मिथिलेश वामनकर Jun 18.
Started by Saurabh Pandey. Last reply by Samar kabeer Aug 16, 2017.
Started by Saurabh Pandey. Last reply by सतविन्द्र कुमार राणा Feb 20, 2016.
Started by Saurabh Pandey. Last reply by मिथिलेश वामनकर Jun 18.
Started by Saurabh Pandey. Last reply by मिथिलेश वामनकर Jun 18.
Started by Saurabh Pandey. Last reply by मिथिलेश वामनकर Jun 18.
Comment
आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी , नमस्कार, ओ बी ओ में आपका सन्देश पढ़ा, पता लगा आप बाहर है और वहाँ नेट की समस्या है | इसीलिए यह प्रश्न यहाँ छोड़ रहा हूँ ताकि आप लौटकर फुर्सत में मार्ग दर्शन कर सके |
संस्कृत में तीन लिंग होते हैं - स्त्री-लिंग ,पुल्लिंग और नपुंसक लिंग |हिंदी में केवल स्त्री और पुल्लिंग होते हैं | नपुंसक लिंग के सभी शब्द स्त्री लिंग और पुल्लिंग में समावेश किया गया है |उपलब्ध व्याकरण में लिंग पहचानने का नियम भी बताया है | जैसे ख, त ,ट,स वट,हट से अंत होने वाले शब्द तथा ई, ऊ तथा अनुस्वारांत सज्ञा शब्द स्त्री लिंग होते हैं |भाषा,बोली, नदी के नाम,तिथियाँ स्त्री लिंग हैं |
इसी प्रकार पुल्लिंग –आ, आव, पा, पण, न से अंत वाले पुल्लिंग|पर्वत ,मास, दिन,ग्रह, पेड़, अनाज,द्रव्य, खनिज के नाम पुल्लिंग हैं
मेरा प्रश्न है : अ ,इ,उ, क, ग, द ढ... आदि से अंत होने वाले शब्दों ( जो ऊपर लिखित नियमों के अंतर्गत नहीं हैं) का लिंग कैसे पता लगाए जाय ? जैसे सड़क,सरहद,बादल,मेघ,यति,गति,लता,जटा,झरना.नक्शा,समस्या , किताब, पुस्तक .,आदि आदि ... , कोई विशेष नियम या तरिका है जिससे सटीक पहचान हो सके ? कोई व्याकरण की किताब का नाम जिसमे ये सब नियम है,कृपया बताएं |
सादर |
आदरणीय सौरभ जी और आ रामबली गुप्ता जी , आप दोनों के स्पष्टीकरण से जो मेरे मन में शंका थी वह दूर हो गई | लय या गेयता के बारे में जो बात आपने कही वह हम जैसे नए रचनाकारों के लिये बहुत उपयोगी है |
सादर
मेरे कहे हुए के मर्म और उसके आशय को स्पष्टता और उदाहरण के साथ प्रस्तुत करने केलिए हार्दिक धन्यवाद. भाई रामबली जी.
मैं कोई विन्दु यों ही नहीं उकेरता. वस्तुतः इसी मंच ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव के मात्र एक दो अंक पूर्व एक नये किन्तु अत्यधिक मुखर सदस्य ने उनकी एक पंक्ति में लय-भंगता का इशारा किये जाने पर ऐसा कहा था, कि पंक्तियों की लय तो अवश्य बिगड़ेगी, क्यों कि उनको संगीत का ज्ञान नहीं है और साहित्य और संगीत दो क्षेत्र हैं इसलिए इन विन्दुओं पर वे अधिक ध्यान नहीं देते. यह साफ था कि उनको छन्द और छान्दसिक पंक्तियों में लय की महत्ता का अर्थ ही नहीं मालूम था.लेकिन छन्दों को लेकर उनका मुखर व्यवहार इतना आग्रही था कि उनकी समझ पर आश्चर्य भी हो रहा था.
आदरणीय कालीपद जी के शंका निवारण के क्रम में मुझे उसी बात का ध्यान हो आया. अतः आवश्यक विन्दु सोच कर यहाँ भी इशारा दे दिया कि आ० कालीपद जी अभी छन्दबद्ध रचनाओं को सीखने की पहल कर रहे हैं और अभी प्रारम्भिक दौर में हैं.
शुभ-शुभ
भाई रामबली जी ने जो कुछ कहा है वह शत-प्रतिशत सही है, आदरणीय कालीपदजी.
क्षितिज वस्तुतः छन्दों के अनुसार तीन लघु (१११ लघु-लघु-लघु) का समुच्चय ही है.
लेकिन ग़ज़ल चूँकि वाचिक परम्परा का निर्वहन करती हैं, अतः उच्चारण के अनुसार ’क्षितिज’ का उच्चारण ’क्षि+तिज’ हुआ करता है. यही ’तिज’ एक साथ उच्चारित होने के कारण एक ’गुरु’ (ग़ाफ़) की तरह व्यवहृत होता है.
छन्द शास्त्र के ऐडवांस पाठों में भी इस विधि को शब्दकल के अंतर्गत मान्य किया गया है, लेकिन छन्दों पर आजकल काम करने वाले या नये अभ्यासी लोग उस स्तर तक अकसर नहीं पहुँच पाते या जाना नहीं चाहते. और, मात्र लघु-गुरु की गणनाओं के आधार पर, या मात्रिक या वर्णिक सूत्रों के आधार पर ही रचनाकर्म करते रहने के आग्रही हो जाते हैं. यही कारण है, कि शब्दकलों का निर्वहन हो ही नहीं पाता और उनकी रचनाएँ लय सम्बन्धित दोषों से भरी होती हैं. जबकि लय या गेयता छान्दसिक रचनाओं का अभिन्न अंग है.
आदरणीय कालीपद जी, लय से या गेयता से संगीत या गाने की क्षमता से मत लीजियेगा. बल्कि, इसे वाचन-प्रवाह समझियेगा. जिसके कारण किसी रचना को पढ़ने में स्पष्टता और सहजता हुआ करती है, और पंक्तियों को पढ़ने के क्रम में कहीं स्वर-सुर नहीं टूटता. इसी कारण ’कमल’ जैसे शब्द को मात्र तीन लघु का समुच्चय नहीं समझ कर ’क+मल’ के उच्चरण के अनुरूप व्यवहृत करना चाहिए. कमल जैस शब तीन गुरु का समुच्चय तो है ही. लेकिन उसके आगे उच्चारण की महत्ता भी समझी जानी चाहिए. इस समझ की आवश्यकता दोहा जैसे मात्रिक छन्दों में हुआ करती है.
आदरणीय सौरभ जी , आज मैं आदरणीय वीनस जी के हिन्दी छन्द परिचय भाग एक पढ़कर दो शब्दों की मात्र गणना में उलझा हूँ , कृपया मेरी उलझन दूर करे |
'क्षितिज' शब्द की मात्र ग़ज़ल में १२ गिना जाता है
छन्द में १२ होगा या १११ होगा ?
दूसरा : तंत्र = तन -त्र २२ या २१ (छंद में )
सादर
आदरणीय सुरेश कल्याण जी, आप यदि इसी पोस्ट पर पहले की टिप्पणियाँ देखें तो आप देखेंगे कि इस आशय के प्रश्न पहले भी उठाये गये हैं। लेकिन वीनस भाई की ओर से कोई विन्दुवत स्पष्टीकरण नहीं आया है।
मेरी समझ यही बनी है कि उक्त पंक्ति में टंकण त्रुटि है। जिसका निराकरण भाई वीनस जी ही कर सकते हैं।
लेकिन मुख्य आशय तो शब्दों की मात्रा को गिनना समझने से है। इस विन्दु पर आप सहज होते दिख रहे हैं। ऐसा न होता तो आप भ्रम की स्थिति में ही नहीं आते।
सादर
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of भारतीय छंद विधान to add comments!