For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राजेश 'मृदु'
  • Male
  • kolkata
  • India
Share on Facebook MySpace

राजेश 'मृदु''s Friends

  • atul kushwah
  • Abhishek Kumar Jha Abhi
  • Sumit Naithani
  • Priyanka singh
  • कल्पना रामानी
  • Kedia Chhirag
  • अशोक कत्याल   "अश्क"
  • ASHISH KUMAAR TRIVEDI
  • केवल प्रसाद 'सत्यम'
  • sharadindu mukerji
  • वेदिका
  • anwar suhail
  • Sarita Bhatia
  • Anwesha Anjushree
 

राजेश 'मृदु''s Page

Profile Information

Gender
Male
City State
Kolkata
Native Place
Kolkata
Profession
Working as Translator in Govt of India
About me
Nothing specific

राजेश 'मृदु''s Blog

तुमसे

तुम ही कहो अब

क्या मैं सुनाऊँ

सरगम के सुर

ताल हैं तुम से

सारी घटाएँ

बहकी हवाएँ

फागुन की हर

डाल है तुमसे

तुम ही कहो .......

तुम बिन अँखियन

सरसों फूलें

रीते सावन

साल हैं तुमसे

तेरी छुअन से

फूली चमेली

शारद की हर

चाल है तुमसे

तुम ही कहो .......

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Posted on December 17, 2013 at 4:11pm — 14 Comments

हाथी हाथ से नहीं ठेला जाता (लघुकथा)

''मिश्रा जी, बेटी का बाप दुनिया का सबसे लाचार इंसान होता है. आपको कोई कमी नहीं, थोड़ी कृपा करें, मेरा उद्धार कर दें. बेटी सबकी होती है.' कहते-कहते दिवाकर जी रूआंसे हो गए । मिश्रा जी का दिल पसीज गया ।

अगले वर्ष घटक द्वार पर आए तो दिवाकर जी कह रहे थे

''अजी लड़के में क्‍या गुण नहीं है, सरकारी नौकर है. ठीक है हमें कुछ नहीं चाहिए, पर स्‍टेटस भी तो मेनटेन करना है. हाथी हाथ से थोड़े ना ठेला जाता है. चलिए 18 लाख में आपके लिए कनसिडर कर देते हैं और बरात का खर्चा-पानी दे दीजिएगा,…

Continue

Posted on December 16, 2013 at 1:30pm — 24 Comments

वृद्धाश्रम

भाव की हर बांसुरी में

भर गया है कौन पारा ?

देखता हूं

दर-बदर जब

सांझ की

उस धूप को

कुछ मचलती

कामना हित

हेय घोषित

रूप को

सोचता हूं क्‍या नहीं था

वह इन्‍हीं का चांद-तारा ?

बौखती इन

पीढि़यों के

इस घुटे

संसार पर

मोद करता

नामवर वह

कौन अपनी

हार पर

शील शारद के अरों को

ऐंठती यह कौन धारा ?

इक जरा सी

आह…

Continue

Posted on November 30, 2013 at 1:30pm — 34 Comments

गीत (राजेश 'मृदु)

सारथी, अब रुको

ये जुए खोल दो

बस इसी ठांव तक

था नाता तेरा

पथ यहां से अगम

विघ्‍न होंगे चरम

बस इसी गांव तक

था अहाता तेरा

कर्म तरणी सखे

पार ले चल मुझे

सत्‍य साथी मेरे

धर्म त्राता मेरा

होम होना नियम

टूटने दे भरम

नीर नीरव धरा

क्षीर दाता मेरा

जा तुझे है शपथ

कर न मुझको विपथ

फिर मिलूंगा तुझे

है वादा मेरा

(मौलिक एवं…

Continue

Posted on November 27, 2013 at 12:33pm — 19 Comments

Comment Wall (1 comment)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 7:05pm on December 17, 2013, NEERAJ KHARE said…
RAJESH JI AAPKO LGHU KTHA PASAND AAYE....DHANYAWAD
 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"यह लघु कविता नहींहै। हाँ, क्षणिका हो सकती थी, जो नहीं हो पाई !"
19 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service