पूछते क्या हो यूं लेकर सवाल आंखों में
पढ सको पढ लो मेरा सारा हाल आंखों में
देखना था कि समंदर से क्या निकलता है
बस यही सोच के फेंका था जाल आंखों में
वो मिरे सामने आती है झुकाए पलकें
हया को रखा है उसने संभाल आंखों में
नजर से नब्ज पकडकर इलाज कर भी कर दे
वो लेकर चलती है क्या अस्पताल आंखों में
जो उसका साथ है तो तीरगी से डर कैसा
इश्क में जलने लगती है मशाल आंखों में।। #अतुल
…
Posted on April 27, 2020 at 4:50pm — 1 Comment
विश्व आपदा में ईश्वर से प्रार्थना
हे मनुष्यता के पृतिपालक हे प्रति पालक हे मनुष्यता
क्या भूल हुई क्या गलती है अब क्षमा करो हे परमपिता।
अब राह दिखाओ दुनिया को मुश्किल सबकी आसान करो
हे कायनात के संचालक सारे जग का कल्याण करो।
ये कैसी विपदा है भगवन कैसा ये शोर धरा पर है
जो सदियों से जीवित है अब संकट उस परम्परा पर है।
जग त्राहि माम कर बैठा है नेतृत्व विफल है प्राणनाथ
शाखों के परिंदों को अपने इन्द्रियातीत मत कर…
Posted on April 6, 2020 at 10:30pm
एक करतब दूसरे करतब से भारी देखकर
मुल्क भी हैरान है ऐसा मदारी देखकर,
जिनके चेहरे साफ दिखते हैं मगर दामन नहीं
शक उन्हें भी है तेरी ईमानदारी देखकर,
उम्रभर जो भी कमाया मिल गया सब खाक में
चढ गया फांसी के फंदे पर उधारी देखकर,
मुल्क में हालात कैसे हैं पता चल जाएगा
देखकर कश्मीर या कन्याकुमारी देखकर,
सर्द मौसम है यहां तो धूप भी बिकने लगी
हो रही हैरत तेरी दूकानदारी देखकर,
इस…
ContinuePosted on November 16, 2016 at 5:00pm — 16 Comments
दिल में ठहरा कोई ख्वाब सा रह गया
मैं उसे उम्रभर चाहता रह गया,
उसके जैसा कोई भी दिखा ही नहीं
जिसकी तसवीर मैं देखता रह गया,
शाम होते ही वो याद आने लगा
फिर उसे रातभर सोचता रह गया,
मुझसे मिलने वो आया बहुत दूर से
मैं शहर में उसे ढूंढता रह गया,
उसके बारे में अब याद कुछ भी नहीं
हां मगर याद उसका पता रह गया,
थी वो तकदीर शायद किसी और की
मैं दुआ में जिसे मांगता रह गया।।
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# अतुल…
ContinuePosted on September 2, 2016 at 6:00pm — 3 Comments
ओपन बुक्स परिवार की ओर से आपको जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनायें.
अतुल जी, नमस्कार आपका स्वागत है
sukriya,
आपकी मित्रता का स्वागत है आदरणीय अतुल जी
सादर!
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