For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

savitamishra
  • Female
Share on Facebook MySpace

Savitamishra's Friends

  • सतविन्द्र कुमार राणा
  • S.S Dipu
  • Nisha
  • Hari Prakash Dubey
  • seemahari sharma
  • harivallabh sharma
  • Dr. Vijai Shanker
  • narendrasinh chauhan
  • atul kushwah
  • डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव
  • DR. HIRDESH CHAUDHARY
  • गिरिराज भंडारी
  • जितेन्द्र पस्टारिया
  • annapurna bajpai
  • कल्पना रामानी
 

savitamishra's Page

Profile Information

Gender
Female
City State
agra up
Native Place
alahabad
Profession
house wife
About me
कुछ भी असंभव नहीं

Comment Wall (13 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 6:16pm on July 9, 2015, kanta roy said…
स्वागत है बहिनी बडी प्रेम से हमारे दिल दिमगवा के दुनिया में तोहका । तोहार दोस्ती तोहरे जैसे ही अनमोल ॥ स्वागत
At 3:39pm on September 25, 2014, विजय मिश्र said…
सविता बहन ! देखिए , आपका लिखा जैसा-का -तैसा ही मेरे पास आ गया |अभिप्राय कि आपके जवाब देने का तरीका एकदम सही है |इसके लिए यहाँ दो प्रकार की व्यवस्था दियी है मंच ने |एक तो आपने इस्तेमाल किया [CPMMENT BACK ],इसमें आपका संवाद या वार्तालाप सार्वजनिक होगा और दुसरी सुविधा है कि आप [ MESSAGE BOX ] का प्रयोग कर किसी भी सदस्य से व्यक्तिगत संवाद कर सकतीं हैं |वैसे शहर सिखाए कोतवाली |शनैः शनैः-शनैः स्वेम ही सुभ्यस्त हो जाएँगी ,आश्वस्त करता हूँ |विजया , नवरात्र की अनेकानेक शुभकामनाएँ आपके साथ सभी स्नेही भाई-बहनों को भी |
At 6:39pm on September 10, 2014, Dr. Gopal Krishna Bhatt 'Aakul' said…

बधाई हो सविताजी। 

At 2:40pm on September 10, 2014, विजय मिश्र said…
सविता बहन , अनन्य शुभकामनाएँ , ढ़ेरों बधाईयाँ गत मास के सक्रिय भागिनी बनने के लिए | मेरी शुभेच्छा शीघ्र ही फलित हुई ,आनन्ददायी है |आप उत्तरोत्तर और मान-सम्मान के अधिकारी बनें और आदर पायें ,शुभ आकाँक्षा ||
At 11:33am on September 10, 2014, Dr. Vijai Shanker said…
आदरणीय सविता जी , बहुत बहुत बधाई.
At 11:25am on September 10, 2014, डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव said…

आदरणीया सविता जी

आपकी सक्रियता ने आपको पुरस्कार से नवाजा i  आपकी यह उर्जा बनी रहे i मै आपको बधाई देता हूँ i सादर i

At 7:01pm on September 9, 2014, Santlal Karun said…

आदरणीया सविता मिश्रा जी,

"महीने का सक्रिय सदस्य (Active Member of the Month)" के चयन पर हार्दिक बधाई !

At 11:25pm on September 8, 2014,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

आदरणीया सविता मिश्रा जी,
सादर अभिवादन,


यह बताते हुए मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है कि ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार में आपकी सक्रियता को देखते हुए OBO प्रबंधन ने आपको "महीने का सक्रिय सदस्य" (Active Member of the Month) घोषित किया है, बधाई स्वीकार करें | प्रशस्ति पत्र उपलब्ध कराने हेतु कृपया अपना पता एडमिन ओ बी ओ को उनके इ मेल admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध करा दें | ध्यान रहे मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई है |
हम सभी उम्मीद करते है कि आपका सहयोग इसी तरह से पूरे OBO परिवार को सदैव मिलता रहेगा |


सादर ।
आपका
गणेश जी "बागी"
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक
ओपन बुक्स ऑनलाइन

At 10:26am on August 22, 2014, विजय मिश्र said…
अनेक शुभकामनाएँ , मंच पर आप्पकी रचनाओं को आदर मिले और आपको सम्मान प्राप्त हो |ईश्वर प्रसन्न रखें |शुभेच्छा सविता बहन |
At 10:26am on August 22, 2014, विजय मिश्र said…
अनेक शुभकामनाएँ , मंच पर आप्पकी रचनाओं को आदर मिले और आपको सम्मान प्राप्त हो |ईश्वर प्रसन्न रखें |शुभेच्छा सविता बहन |

Savitamishra's Blog

मूल्य -(लघुकथा)

छुट्टी की बड़ी समस्या है दीदी, पापा अस्पताल में नर्सो के सहारे हैं! भाई से फोनवार्ता होते ही सुमी तुरन्त अटैची तैयार कर बनारस से दिल्ली चल दी|

अस्पताल पहुँचते ही देखा कि पापा बेहोशी के हालत में बड़बड़ा रहें थे| उसने झट से उनका हाथ अपने हाथों में लेकर, अहसास दिला दिया कि कोई है, उनका अपना |

हाथ का स्पर्श पाकर जैसे उनके मृतप्राय शरीर में जान सी आ गयी हो |

वार्तालाप घर-परिवार से शुरू हो न जाने कब जीवन बिताने के मुद्दे पर आकर अटक गयी |

एक अनुभवी स्वर प्रश्न बन उभरा, तो दूसरा…

Continue

Posted on October 22, 2016 at 9:30am — 14 Comments

श्वास

"अरे मुंगेरी, खाना खाने भी चलेगा, या मगन रहेगा यहीं |" मुंगेरी को दीवार से बात करता हुआ देख चाचा ने कहा |

बहुमंजिला इमारत में प्लास्टर होने के साथ बिजली का भी काम चल रहा था | दोपहर में भोजन करने सब नीचे जाने लगे थे | मुंगेरी भी चाचा के साथ नीचे आकर जल्दी-जल्दी खाना ख़त्म करने लगा | तभी अचानक इमारत धू-धूकर जलने लगी | जैसे ही आग मुंगेरी के बनाये मंजिल पर पहुँची, मुंगेरी फफक कर रो पड़ा | सारे मजदूर महज हो-हल्ला मचा रहे थे | लेकिन मुंगेरी ऐसे रो रहा था जैसे उसकी अपनी कमाई जल…

Continue

Posted on October 15, 2016 at 8:00pm — 2 Comments

गुर (बस दो मिनट में )





दो मिनट में


नहीं लिख दी जाती

कोई कविता

जैसे नहीं बनती सब्जी

दो मिनट में बढ़िया

दो मिनट में तो

बनती है बस मैगी

जो सिर्फ पेट भरती हैं |



अपनी संतुष्टि के लिए

भले लिख दो

मिनट, दो मिनट में

कुछ भी…

Continue

Posted on October 1, 2016 at 11:43am — 17 Comments

जीवन की पाठशाला (लघुकथा)

आगरा से लखनऊ का छ-सात घंटे का सफ़र | ट्रेन खचाखच भरी हुई थी, पर भला हो उस दलाल का,जिसने सौ रूपये ज्यादा लेकर सीट कन्फर्म करा दी थी | वरना सिविल सेवा परीक्षा देने जाना बड़ा भारी लग रहा था | दोनों ही सहेलियों ने गेट से लगी सीट पर धम्म से बैठ कब्ज़ा जमा लिया था | सामने फर्श पर सामान्य कद-काठी का शरीरधारी, किसी दूसरे ग्रह का प्राणी लग रहा था | मैला-कुचैला सा कम्बल अपने शरीर के चारो तरफ लपेटे बैठा था | रह-रह सुमी उसे हिकारत…

Continue

Posted on November 21, 2015 at 10:00am — 11 Comments

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। यह गजल भी बहुत सुंदर हुई है। हार्दिक बधाई।"
2 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"आदरणीय नीलेश भाई,  आपकी इस प्रस्तुति के भी शेर अत्यंत प्रभावी बन पड़े हैं. हार्दिक बधाइयाँ…"
18 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"साथियों से मिले सुझावों के मद्दे-नज़र ग़ज़ल में परिवर्तन किया है। कृपया देखिएगा।  बड़े अनोखे…"
18 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. अजय जी ...जिस्म और रूह के सम्बन्ध में रूह को किसलिए तैयार किया जाता है यह ज़रा सा फ़लसफ़ा…"
18 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"मुशायरे की ही भाँति अच्छी ग़ज़ल हुई है भाई नीलेश जी। मतला बहुत अच्छा लगा। अन्य शेर भी शानदार हुए…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post उस मुसाफिर के पाँव मत बाँधो - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति के लिए धन्यवाद और बधाइयाँ.  वैसे, कुछ मिसरों को लेकर…"
19 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"हार्दिक आभार आदरणीय रवि शुक्ला जी। आपकी और नीलेश जी की बातों का संज्ञान लेकर ग़ज़ल में सुधार का…"
19 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"ग़ज़ल पर आने और अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए आभार भाई नीलेश जी"
19 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)
"अपने प्रेरक शब्दों से उत्साहवर्धन करने के लिए आभार आदरणीय सौरभ जी। आप ने न केवल समालोचनात्मक…"
19 hours ago
Jaihind Raipuri is now a member of Open Books Online
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ashok Kumar Raktale's blog post ठहरा यह जीवन
"आदरणीय अशोक भाईजी,आपकी गीत-प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाइयाँ  एक एकाकी-जीवन का बहुत ही मार्मिक…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. रवि जी "
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service