For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हाथी हाथ से नहीं ठेला जाता (लघुकथा)

''मिश्रा जी, बेटी का बाप दुनिया का सबसे लाचार इंसान होता है. आपको कोई कमी नहीं, थोड़ी कृपा करें, मेरा उद्धार कर दें. बेटी सबकी होती है.' कहते-कहते दिवाकर जी रूआंसे हो गए । मिश्रा जी का दिल पसीज गया ।

अगले वर्ष घटक द्वार पर आए तो दिवाकर जी कह रहे थे

''अजी लड़के में क्‍या गुण नहीं है, सरकारी नौकर है. ठीक है हमें कुछ नहीं चाहिए, पर स्‍टेटस भी तो मेनटेन करना है. हाथी हाथ से थोड़े ना ठेला जाता है. चलिए 18 लाख में आपके लिए कनसिडर कर देते हैं और बरात का खर्चा-पानी दे दीजिएगा, और क्‍या. बेटी आपकी है जैसे चाहे संवारें या एक जोड़ी कपड़े में विदा कर दें.. हमें कोई आपत्ति नहीं ''

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

राजेश 'मृदु'

Views: 1065

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by MAHIMA SHREE on December 25, 2013 at 7:38pm

हमारे समाज का  चारित्रिक पतन और नारियों का अपमान  दिवाकर जैसे दोहरे चरित्र वाले लोगों ने कर रखा है ... बधाई आपको 

Comment by राजेश 'मृदु' on December 20, 2013 at 4:13pm

कैसा अद्भुत मेल है यह !  एक ही घटना दोनों जगह ! पर उसके बाद आप अधिक खुशकिस्‍मत रहे और मुझे अपने ही भाई की शादी से स्‍वयं को अलग करना पड़ा, शायद मिसफिट होने के कारण और आजतक मिसफिट ही रहा, सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 20, 2013 at 1:50pm

आदरणीय राजेशजी, क्या कह दिया आपने !

मेरा अनुभव भी एक भाई के तौर पर ही अर्जित किया हुआ है. मुट्ठियाँ भींच-भींच कर रहा जाता था तब. लेकिन उस अशक्त छटपटाहट ने मुझे बहुत कुछ नियत-संयत होने की प्रेरणा दी थी. मेरे वृहद परिवार में किसी पुत्र के विवाह में यह घृणित परिपाटी अब नहीं अपनायी जाती. दहेज के नाम पर होने वाला कोई ढंग हमसभी ने एकदम से बन्द कर दिया है. ऐसा मैं किसी गर्व के वशीभूत नहीं, बल्कि हार्दिक नम्रता से निवेदित कर रहा हूँ. 

सादर

Comment by राजेश 'मृदु' on December 20, 2013 at 1:25pm

आपका हार्दिक आभार आदरणीय, वैसे यह यथार्थ एक भाई के रूप में मेरा भी भोगा हुआ है, सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 20, 2013 at 1:21am

यह तो मेरा स्वयं का भोगा हुआ यथार्थ है. मेरे दायरे में दिवाकर जैसों की कमी नहीं है.

बहुत-बहुत बधाई..

Comment by राजेश 'मृदु' on December 19, 2013 at 1:21pm

आदरणीय शुभ्रांशु पांडेय जी एवं अन्‍नपूर्णा जी, आपका हार्दिक आभार, सादर

Comment by annapurna bajpai on December 17, 2013 at 10:49pm

आ0 राजेश जी सुंदर लघु कथा , अक्सर देखने मे आता है कि जब बेटी ब्याहनी होती है तब व्यक्ति का रवैया दूसरा होता है और जब बेटे कि बारी आती  है तेवर ही बदल जाते है । इस लघु कथा हेतु बधाई आपको । 

Comment by Shubhranshu Pandey on December 17, 2013 at 9:20pm

आदरणीय राजेश जी, 

दरअसल यह लघुकथा मेरी आंखों देखी हकीकत है, इसे कहानी के तौर पर बस प्रस्‍तुत करने का प्रयास भर मैंने किया है


अब आगे क्या कहा जाये? आपने व्यक्ति के दोनो रुपों को बहुत पास से देखा है..

सादर.

Comment by राजेश 'मृदु' on December 17, 2013 at 4:17pm

दरअसल यह लघुकथा मेरी आंखों देखी हकीकत है, इसे कहानी के तौर पर बस प्रस्‍तुत करने का प्रयास भर मैंने किया है

Comment by राजेश 'मृदु' on December 17, 2013 at 4:15pm

आप सबका हार्दिक आभार । लघुकथा पर यह मेरा प्रथम प्रयास था, अगली बार आप सबके द्वारा सुझाए गए तथ्‍यों को ध्‍यान में रख प्रस्‍तुति देने का प्रयास करूंगा, सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई लक्ष्मण सिंह 'मुसाफिर' साहब! हार्दिक बधाई आपको !"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय मिथिलेश भाई, रचनाओं पर आपकी आमद रचनाकर्म के प्रति आश्वस्त करती है.  लिखा-कहा समीचीन और…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service