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आवश्यकता नहीं ‘खबर’ अब
है मनोरंजन
ओढ़ चुनरिया गाँव गाँव
कूल्हे मटकाती
चिंता चिंतन झोंक भाड़ में
मन बहलाती
शर्त मगर
नाचेगी बैरन
बस तब तक ही
पैरों पर जब तक सिक्कों की
है खन खन खन
कुशल अदाकारों के
जैसी रंग बदलती
मौसम जैसा हो वैसे ही
रोती हँसती
धता बताती घोषित कर
कठहुज्जत जिसको
निमिष मात्रा मे ही
करती उसका…
ContinuePosted on May 1, 2015 at 8:00pm — 9 Comments
कोहरे के कागज़ पर
किरणों के गीत लिखें
आओ ना मीत लिखें
सहमी सहमी कलियाँ
सहमी सहमी शाखें
सहमें पत्तों की हैं
सहमी सहमी आँखें
सिहराते झोंकों के
मुरझाए
मौसम पर
फूलों की रीत लिखें
आओ ना मीत लिखें
रातों के ढर्रों में
नीयत है चोरों की
खीसें में दौलत है
सांझों की भोरों की
छलिया अँधियारो से
घबराए,
नीड़ों पर
जुगनू की जीत लिखें
आओ ना मीत…
ContinuePosted on December 13, 2014 at 9:30pm — 14 Comments
होली के शुभ कामनाओं और बधाई सहित
रंग की उमंग में है या है भंग की....... तरंग,
मौसम की चाल में है लहरें...........गज़ब की…
Posted on March 22, 2013 at 7:46pm — 11 Comments
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धन्यवाद सीमा जी
शुभ संध्या सीमा दीदी
आभार
उपासना दीदी की कलम की कृति
औरतें होती है
नदिया सी
तरल पदार्थ की
तरह जन्म से ही
हर सांचे में रम
जाती है ...
सादर
सीमाजी मंद मंद मुस्कान ..............
मधुर आपका गान .............
नमन आपकी लेखनी को.......
रहे यूँ ही आपकी शान ..........
आपने मुझे मित्रता योग्य समझा इसके लिए आपका आभार!
सीमा जी, बहुत धन्यवाद और आभार आपका.......इस समूह से मुझे जोड़ने हेतु
आदरणीय सीमा जी बहुत बहुत आभार आपका उत्साहवर्धन के हेतु !!
धन्यवाद सीमा जी....इस समूह से मेरा परिचय करवाने के लिए...
आपके अपने ओबीओ परिवार में आपका स्वागत है !
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