For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक - 29 में प्रस्तुत गीत का सस्वर गायन ..........सीमा 

;

Views: 664

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 5, 2013 at 6:51pm

आदरणीया सीमा जी,

एक बार, दो बार , बार बार इतना सुन्दर भावप्रवण गीत आपकी इतनी मधुर आवाज में सुनकर बस मन मुग्ध है.....बहुत बहुत बढ़िया, पूरे उतार चढ़ाव के साथ भावों को बहुत खूबसूरती से उभारते हुए गाया है आपने...

इस सुन्दर गायन के लिए दिल से बहुत बहुत बधाई..

आप मंच से बीच बीच में गायब हो जाती हैं.... आपकी रचनाओं का बहुत इंतज़ार रहता है. अब तो आपके गायन का भी रहेगा.

सादर.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 5, 2013 at 6:49pm

भाव, शब्द, कथ्य, तथ्य, शिल्प हर विन्दु से संतुलित इस गीत पर काव्य महा-उत्सव आयोजन के दौरान ही बहुत कुछ कहा-सुना जा चुका है.

गीत के सस्वर निवेदन में सीमाजी का स्वर, उनके स्वर की लयात्मकता, उस लय की सधी हुई आवृति तीनों समुच्चय में कर्णप्रिय तो लगे ही हैं, इस संप्रेषण-संसृति में रचनानुरूप भावभरा अपेक्षित ठहराव भी सहज प्रतीत होता है, जो श्रोता की एकाग्रता को थामे रहता है. स्वरांजलि में यह ठहराव मानों एक निर्दोष हठ लिये हुए है, मौन की वाचालता को भावजन्य आयाम देता हुआ. .. शब्द जब थकने लगें मैं तब सुनाऊँगा हृदय की..  ..  तब तक के लिए ..  . तू मौन को जो पढ सके सुन मैं बहुत वाचाल हूँ.. .

सादर

Comment by Meena Pathak on April 5, 2013 at 4:56pm

इतनी मीठी आवाज में गीत सुन के दिल खुश हो गया ... बहुत बहुत बधाई सीमा जी 

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 5, 2013 at 12:58pm

आदरेया सीमा जी सादर, बहुत सुन्दर गीत सुनकर लगा जैसे पहले भी सुना है पुनः देखने पर समझ आया की यह ओबीओ महोत्सव में सुना था. सचमुच सुन्दर गीत यकीन मानिए आपके स्वर ने गीत में जान डाल दी है. बहुत सुन्दर पुनः बधाई. आशा करता हूँ आगे भी आपसे ऐसे ही सुन्दर गीत सस्वर सुनने को मिलते रहेंगे.

सादर.

Comment by ram shiromani pathak on April 5, 2013 at 12:02pm

इस अत्यंत ही मधुर वाणी में मधुर शब्दों का मेल एक सुखद अनुभूति दे गया..!

अद्भुत अद्भुत अद्भुत अद्भुत 

 बधाई स्वीकारें आदरेया सीमा जी।
सुन्दर प्रस्तुति!

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on April 5, 2013 at 3:02am

जी उठा जीवन उड़ा
बेख़ौफ़ पहने
फाग के पर
कुछ पलों को ही सही
पल कट गए संत्रास के

इस अत्यंत ही मधुर वाणी में मधुर शब्दों का मेल एक सुखद अनुभूति दे गया..!

अद्भुत, अद्वितीय, अपूर्व.. सादर शुभकामनाएँ.. आदरणीया..!!

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 4, 2013 at 10:48pm

ग़ज़ब ग़ज़ब ग़ज़ब

आपकी रचना और आपकी आवाज दोनों ही

बहुत बहुत बधाई हो आपको

क्या बात है

बार बार सुन रहा हूँ

सच कहूँ किसी कवियत्री को पहली बार इतना मीठा सुन रहा हूँ .........हमें आप पर गर्व है ..............लाजवाब

Comment by Vindu Babu on April 4, 2013 at 10:38pm
अनोखे रंग मे रंगी फागुई रचना के लिए सादर बधाई स्वीकारें आदरेया सीमा जी।
सुन्दर प्रस्तुति!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Friday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service