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मनहरण घनाक्षरी /होली

होली के शुभ कामनाओं और बधाई सहित 

रंग की उमंग में है या है भंग की....... तरंग,
मौसम की चाल में है लहरें...........गज़ब की
सोच कुछ और रहा और कुछ.... .बोल रहा, 
सुन कुछ रहा और करे कुछ... ........ढब की 
झूम झूम घूम घूम गली गली.... डोल डोल, 
घर घर बाँट रहा बातें................बेअदब की 
झांझ लिए ढोल लिए मंजीरों का शोर लिए,
नाच रहा भूल पीर सारी .........तब अब की 

होली में गुलाल हुए गाल लाल लाल हुए,

देखिये कमाल आज सब एक ......रंग हैं
गोपी लग रहीं गोप, गोप लग रहे. गोपी, 
भंग की तरंग में यूँ आखें भी... अपंग हैं 
छननन घुँघरू छनक रहे बिन...... बांधे, 
बिन हाथों देखो आज बज रहीं.... .चंग हैं
एक भाव बिक रहे राजा-रंक,मूढ़-ज्ञानी,
अजब-गज़ब सब फागुन के.... .... .ढंग हैं 

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Comment by Saurabh Pandey on March 30, 2013 at 11:00pm

वाह रंगबिरंगे भाव और खुशनुमा माहौल का सुन्दर संयोजन हुआ है इस घनाक्षरी में.

बहुत-बहुत बधाइयाँ और होली की शुभकामनाएँ.

खेद है, आपके पोस्ट पर विलंब से पहुँच पाया.

Comment by seema agrawal on March 30, 2013 at 10:37pm

अजय जी  हार्दिक धन्यवाद
राजेश मृदु जी यह जान कर कि आपको घनाक्षरी ने प्रभावित किया बावजूद इसके कि आप घनाक्षरी पसंद नहीं करते ...सच कहूं मन प्रसन्न  हो गया 

Comment by seema agrawal on March 30, 2013 at 10:33pm

आदरणीय लक्ष्मण जी आपकी  इस स्नेहिल बधाई एवं शुभकामनाओं के लिए प्रणाम ...
पर एक निवेदन आप मुझे आदरणीय मत कहिये :-))

Comment by seema agrawal on March 30, 2013 at 10:31pm

राम शिरोमणि जी एवं केवल प्रसाद जी छंद पसंद  करने के लिए आप का हार्दिक आभार 

Comment by seema agrawal on March 30, 2013 at 10:28pm

हार्दिक धन्यवाद अशोक जी ..........

Comment by राजेश 'मृदु' on March 25, 2013 at 12:34pm

झक्‍कास---- सॉलिड घनाक्षरी । आदरेया, मुझे घनाक्षरी बिल्‍कुल पसंद नहीं है किंतु आपकी घनाक्षरी ने तो इतने मंजीरे बजाए कि रग-रग झूम उठा, सादर

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 24, 2013 at 12:47pm

आदरणीया,  सीमा अग्रवाल जी,  बहुत - बहुत सुन्दर! आपने मुझे  ‘जारे हट नट खट...‘ याद दिला दिया!   हार्दिक बधाई स्वीकार करें।

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 23, 2013 at 3:39pm

एक भाव बिक रहे राजा-रंक, मूढ़-ग्यानी 

सच्चे अर्थों में तो समाजवाद का ही ढंग है |

भूले सारे भेद भाव बजाते डफली और चंग है 

झूम झूम गाते रहे सीमा जी के सुन्दर छंद है | - आपको भी होली की प्यार भरी शुभ कामनाएँ एवं बधाई आद सीमा जी 

Comment by Dr.Ajay Khare on March 23, 2013 at 12:26pm

seema ji rang birangi rachana se aapne man bhav bibhor kar diya 

Comment by ram shiromani pathak on March 23, 2013 at 12:15pm

आदरेया सीमा जी सादर, बहुत सुन्दर झांकी प्रस्तुत की है होली की. हार्दिक बधाई स्वीकारें.

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