होली के शुभ कामनाओं और बधाई सहित
रंग की उमंग में है या है भंग की....... तरंग,
मौसम की चाल में है लहरें...........गज़ब की
सोच कुछ और रहा और कुछ.... .बोल रहा,
सुन कुछ रहा और करे कुछ... ........ढब की
झूम झूम घूम घूम गली गली.... डोल डोल,
घर घर बाँट रहा बातें................बेअदब की
झांझ लिए ढोल लिए मंजीरों का शोर लिए,
नाच रहा भूल पीर सारी .........तब अब की
होली में गुलाल हुए गाल लाल लाल हुए,
देखिये कमाल आज सब एक ......रंग हैं
गोपी लग रहीं गोप, गोप लग रहे. गोपी,
भंग की तरंग में यूँ आखें भी... अपंग हैं
छननन घुँघरू छनक रहे बिन...... बांधे,
बिन हाथों देखो आज बज रहीं.... .चंग हैं
एक भाव बिक रहे राजा-रंक,मूढ़-ज्ञानी,
अजब-गज़ब सब फागुन के.... .... .ढंग हैं
Comment
वाह रंगबिरंगे भाव और खुशनुमा माहौल का सुन्दर संयोजन हुआ है इस घनाक्षरी में.
बहुत-बहुत बधाइयाँ और होली की शुभकामनाएँ.
खेद है, आपके पोस्ट पर विलंब से पहुँच पाया.
अजय जी हार्दिक धन्यवाद
राजेश मृदु जी यह जान कर कि आपको घनाक्षरी ने प्रभावित किया बावजूद इसके कि आप घनाक्षरी पसंद नहीं करते ...सच कहूं मन प्रसन्न हो गया
आदरणीय लक्ष्मण जी आपकी इस स्नेहिल बधाई एवं शुभकामनाओं के लिए प्रणाम ...
पर एक निवेदन आप मुझे आदरणीय मत कहिये :-))
राम शिरोमणि जी एवं केवल प्रसाद जी छंद पसंद करने के लिए आप का हार्दिक आभार
हार्दिक धन्यवाद अशोक जी ..........
झक्कास---- सॉलिड घनाक्षरी । आदरेया, मुझे घनाक्षरी बिल्कुल पसंद नहीं है किंतु आपकी घनाक्षरी ने तो इतने मंजीरे बजाए कि रग-रग झूम उठा, सादर
आदरणीया, सीमा अग्रवाल जी, बहुत - बहुत सुन्दर! आपने मुझे ‘जारे हट नट खट...‘ याद दिला दिया! हार्दिक बधाई स्वीकार करें।
एक भाव बिक रहे राजा-रंक, मूढ़-ग्यानी
सच्चे अर्थों में तो समाजवाद का ही ढंग है |
भूले सारे भेद भाव बजाते डफली और चंग है
झूम झूम गाते रहे सीमा जी के सुन्दर छंद है | - आपको भी होली की प्यार भरी शुभ कामनाएँ एवं बधाई आद सीमा जी
seema ji rang birangi rachana se aapne man bhav bibhor kar diya
आदरेया सीमा जी सादर, बहुत सुन्दर झांकी प्रस्तुत की है होली की. हार्दिक बधाई स्वीकारें.
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