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आद0 शून्य आकांक्षी जी सादर अभिवादन।
कुछ बातों पर गौर कीजिए। मगर को म+गर या मग+र में किस तरह पढ़ते हैं। इस पर गौर कीजिए। जब आप पढ़ेगी तो देखेगी की मगर को म+गर अर्थात इसकी मापनी 12 हुई। इसी तरह आपको अभी अभ्यास करना है। लेखन के लिए बधाई स्वीकार कीजिये
आ. शून्य आकांक्षी जी,रचना का प्रयास अच्छा है। हार्दिक बधार्ई स्वीकार करें । साथ ही भाई समर जी की बात पर पुनः विचार करें।
मगर की मापनी १२ है इसे 'किन्तु' करके ठीक किया जा सकता है।
भटकना' भी 122 है इसे प्रतिस्थापित करने का प्रयास करें।
सादर..
आदरणीय Samar kabeer साहब
सादर प्रणाम |
आपने मेरी लिखी सरस्वती वंदना पढ़ी, मुझे बहुत प्रसन्नता हुई | आपने मेरे प्रयास को सराहा और बधाई दी | आपका हार्दिक आभार सर |
जनाब शून्य आकांक्षी जी आदाब,रचना का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।
'मगर रचना प्रस्फुटित होती न इस संसार में'
'भटकते कमजोर पीड़ित लेखनी बल दीजिए'
ये पंक्तियाँ दी गई मापनी पर नहीं हैं,देखियेगा ।
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