For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi"'s Blog (11)

मुक्तक

(1222 1222 1222 1222  - हजज मुसम्मन सालिम)

न देखा है कभी उनको हुई पर प्रीत क्या कहने.

न जाना ही न पहचाना बने मनमीत क्या कहने. 

कहें सब जाल दुनिया यह सभी सुर ताल आभासी,

लिखे ऋतु गीत उपवन के बजे संगीत क्या कहने.

- शून्य…

Continue

Added by C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" on June 11, 2022 at 7:00pm — No Comments

दोहे

देना दाता वर यही, ऐसी हो पहचान | 
हिन्दू मुस्लिम सिक्ख सब, बोलें यह इंसान ||
कभी धूप कुहरा घना, कभी दुखी मुस्कान | 
खेल खेलती जिंदगी, कभी मान अपमान ||…
Continue

Added by C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" on May 6, 2021 at 4:00pm — 4 Comments

सरस्वती वंदना

(2122 2122 2122 212 )
.
वाग्देवी माँ हमें अपनी शरण में लीजिए | 
ज्ञान के जलने लगें माता हृदय में अब दिए ||  
 …
Continue

Added by C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" on November 19, 2019 at 11:00pm — 4 Comments

मुक्तक

ललालाला ललालाला ललालाला ललालाला

.

न मंदिर में मिले ईश्वर,  गुफाओं में न जाने से .

न भूखे  पेट रहने से, न गंगा ही नहाने से .

उसे पाना अगर सच में, हृदय में झाँक कर देखो ,

मिले रैदास, मीरा - प्रेम की बगिया खिलाने से .

.

कभी है धूप जीवन में, कभी मिलते यहाँ साए.

सहारे को नहीं ढूँढ़ो, मिले या फिर न मिल पाए. 

गिराती शाख कैसे फल, धरा पर सीख लो…

Continue

Added by C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" on August 3, 2019 at 2:00pm — 2 Comments

दुर्मिल सवैया

सलगा सलगा सलगा सलगा सलगा सलगा सलगा सलगा 
----------
जबसे वह जीत चुनाव लिए, तब से नित रौब जमावत हैं | 
उनके चमचे घर आकर के,…
Continue

Added by C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" on July 17, 2019 at 7:30pm — 3 Comments

आएँगे जी आएँगे, अच्छे दिन यूँ आएँगे ...गीत / शून्य आकांक्षी

आएँगे  जी   आएँगे, अच्छे  दिन  यूँ  आएँगे |
जाएँगे  जी  जाएँगे, भद्दे  दिन  भग  जाएँगे || 
 
योगासन    प्रारम्भ    करो | 
आँख, कान, मुँह बन्द करो | 
पेट   भींचकर   भीतर   को ,
साँसों   को   पाबन्द   करो | 
 
उदर-पीठ दोनों हों एक, तब उनको हम भाएँगे | 
आएँगे  जी   आएँगे, अच्छे  दिन  यूँ  आएँगे || 
 
क्यों  मेहनत तुम करते हो | 
दिन - भर  खटते रहते  हो…
Continue

Added by C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" on August 11, 2017 at 1:00am — 8 Comments

दोहे

दोहे 
राजनीति   दलदल   यहाँ, मिट्टी  हुई पलीद।

मजहब  मजहब लड़ रहे, कहाँ  दिवाली ईद।।1।।



कहने   को  करवा  रहे,  ये  रोजा   इफ्तार।

मगर  दृष्टि  में  तैरता, वोटों  का  व्यापार।।2।।



बादल  अब  बरसे वहाँ, जहाँ बहुत सा नीर।

सूखी भू  तरसे  कृषक, बढ़ी  जा  रही  पीर।।3।।



सरकारी घन छा गए, रिमझिम पड़े…
Continue

Added by C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" on August 1, 2017 at 1:00pm — 8 Comments

ग़ज़ल

उजाड़े हैं हमारे घर, चले शकुनी के पासे हैं . 
तुम्हारे हाथ में हंटर, हुकुम हम तो बजाते  हैं . 
 
हमारी बेटियाँ, बहिनें तुम्हें जायदाद लगती हैं,
हमारा लुट रहा सब कुछ, मगर हम ही लजाते हैं . 
 
इधर जयघोष शंकर का, उधर अल्लाह-ओ-अकबर,
सुना दोनों तरफ दागी, तुम्हारी ही कृपा से  हैं . 
 
अँधेरा हँस रहा रौशन अनाचारी, दुराचारी,
निशा उपभोग करते हैं, दिवस जी भर सताते  हैं…
Continue

Added by C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" on September 23, 2016 at 11:30pm — 2 Comments

दोहे

लिखो किसी भी शिल्प में, मोटा लिखो महीन । 
कलम चले पर इस  तरह, पीड़ित  करे यकीन ॥01॥  
  
रिश्तों   के   पर्वत  किए,  हरियाली   से  हीन । 
चाह   रहा   शीतल  हवा,  कैसा   मूरख  दीन ॥02॥  
 
बंधन   तो  था  जनम  का, हुआ बीच में भंग । 
कैसे   चलता   दूर   तक, धुंध - धूप का  संग ॥03॥   
 
पश्चिम  की आँधी  चली,  भूले  पनघट  गीत । 
गमलों…
Continue

Added by C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" on September 24, 2014 at 9:00pm — 12 Comments

दोहे (शून्य आकांक्षी)

दोहे 
घुला कुदरती रंग  में, मौसम  का  उल्लास । 

धूप  गुलाबी  टहलती,  हरी - हरी  है  घास ॥1॥ 



हवा  बिखेरे  हर  तरफ, देखो  प्रेम - गुलाल । 

प्रकृति गा रही फाग है, करतीं दिशा धमाल ॥2॥ 



होली   समरसता   तथा,  सद्भावों   का  पर्व । 

सामूहिकता  को  निरख, परम्परा  पर  गर्व ॥3॥ 



नहीं  बुरा  पीछे  भ्रमण, गर कोई नहिं रुष्ट । 

जाएँ  उसी  अतीत  में,  वर्तमान   हो  पुष्ट ॥4॥ 



वैर  और  ईर्ष्या  जले,  पले  हृदय…
Continue

Added by C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" on March 13, 2014 at 11:30pm — 15 Comments

कुण्डलिया छन्द

(1)
झेला   हमने   इसलिए,  हर  काँटे   का  दंश । 
ताकि चमन में खिल सकें, फूलों के सब वंश ॥ 
फूलों  के   सब   वंश,  महक   वे   सारे  पाएँ । 
गुलशन का हर द्वार, प्यार से जो  खटकाएँ ॥ 
कहें  'शून्य' कविराय, लगे खुशियों का मेला । 
पाएँ  सब  आनंद,  कष्ट  इस  कारण  झेला ॥ 
 
(2)
सपनों  में  यह  गगन भी, तभी बजाए शंख । 
दीप  जला  हो  आस का, हों  साहस के पंख ॥
हों…
Continue

Added by C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" on February 2, 2014 at 11:00pm — 13 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"आदरणीय नीलेश भाई,  आपकी इस प्रस्तुति के भी शेर अत्यंत प्रभावी बन पड़े हैं. हार्दिक बधाइयाँ…"
53 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"साथियों से मिले सुझावों के मद्दे-नज़र ग़ज़ल में परिवर्तन किया है। कृपया देखिएगा।  बड़े अनोखे…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. अजय जी ...जिस्म और रूह के सम्बन्ध में रूह को किसलिए तैयार किया जाता है यह ज़रा सा फ़लसफ़ा…"
1 hour ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"मुशायरे की ही भाँति अच्छी ग़ज़ल हुई है भाई नीलेश जी। मतला बहुत अच्छा लगा। अन्य शेर भी शानदार हुए…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post उस मुसाफिर के पाँव मत बाँधो - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति के लिए धन्यवाद और बधाइयाँ.  वैसे, कुछ मिसरों को लेकर…"
2 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"हार्दिक आभार आदरणीय रवि शुक्ला जी। आपकी और नीलेश जी की बातों का संज्ञान लेकर ग़ज़ल में सुधार का…"
2 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"ग़ज़ल पर आने और अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए आभार भाई नीलेश जी"
2 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)
"अपने प्रेरक शब्दों से उत्साहवर्धन करने के लिए आभार आदरणीय सौरभ जी। आप ने न केवल समालोचनात्मक…"
2 hours ago
Jaihind Raipuri is now a member of Open Books Online
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ashok Kumar Raktale's blog post ठहरा यह जीवन
"आदरणीय अशोक भाईजी,आपकी गीत-प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाइयाँ  एक एकाकी-जीवन का बहुत ही मार्मिक…"
20 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. रवि जी "
21 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"स्वागत है आ. रवि जी "
21 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service