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दोहे (शून्य आकांक्षी)

दोहे 
घुला कुदरती रंग  में, मौसम  का  उल्लास । 
धूप  गुलाबी  टहलती,  हरी - हरी  है  घास ॥1॥ 

हवा  बिखेरे  हर  तरफ, देखो  प्रेम - गुलाल । 
प्रकृति गा रही फाग है, करतीं दिशा धमाल ॥2॥ 

होली   समरसता   तथा,  सद्भावों   का  पर्व । 
सामूहिकता  को  निरख, परम्परा  पर  गर्व ॥3॥ 

नहीं  बुरा  पीछे  भ्रमण, गर कोई नहिं रुष्ट । 
जाएँ  उसी  अतीत  में,  वर्तमान   हो  पुष्ट ॥4॥ 

वैर  और  ईर्ष्या  जले,  पले  हृदय  में प्यार । 
समरसता,  सद्भाव  का,  होली  है   त्यौहार ॥5॥ 

प्रीति  हो  रही  बावली, मन  मुरली की टेर । 
दर्शन के  प्यासे  नयन, कान्हा  करो न देर ॥6॥ 

मन  के  भीतर  ले  रहा, इंद्रधनुष  आकार । 
सात रंग का  स्वप्न अब, होने को  साकार ॥7॥ 

रंग  छा  रहे  मिलन  के, छाई मस्त बहार । 
ढाई आखर  चमकता, मिलते  नयना चार ॥8॥ 

- शून्य आकांक्षी 

अप्रकाशित एवं मौलिक 

होली पर्व पर OBO समूह के सभी सदस्यों और पाठकों को शुभकामनाएँ एवं बधाई । 
- शून्य आकांक्षी 

 

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Comment

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Comment by C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" on February 13, 2019 at 7:35pm

आदरणीय  Saurabh Pandey जी ,
क्षमा कीजिएगा |  मुझे दुःख है कि मैंने आपकी टिप्पणी देर से पढ़ी | 
इन दोहों पर आपकी प्रशंसा पाकर मेरा लेखन धन्य हो गया | सार्थक टिप्पणी के लिए आपका हार्दिक आभार सर | 
क्या " धूप  गुलाबी  टहलती " की जगह " धूप चमकने लग गयी " लिखना ठीक रहेगा | 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 26, 2014 at 8:31pm

इन दोहा छंदों के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय.

आपकी प्रस्तुति पर विलम्ब से आ पाने के लिए खेद है.

धूप  गुलाबी  टहलती - इस चरण के शब्दों का ’कल’ बन पड़े तो एक बार फिर देख लीजियेगा.

सादर

Comment by C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" on March 24, 2014 at 10:36am

श्री Kewal Prasad जी,

दोहे पसंद करने एवं बधाई देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद  |

आपको भी होली पर्व पर सपरिवार इष्ट मित्रों सहित बधाई ......

आपने दोहा संख्या 2, 6, 8 पर गौर करने के लिए कहा है | मुझे बहुत अच्छा लगा यह देखकर कि आपने मेरे दोहों को बहुत ध्यान से पढ़ा है | मैं उन व्यक्तियों में से हूँ जो त्रुटियों को सुधारने की ओर सदा अग्रसर रहता हूँ | खासतौर से रचनाकार को तो हमेशा विद्यार्थी ही रहना चाहिए | मुझे अपनी गलती पकड़ नहीं आ रही है | कृपया इंगित करने का कष्ट करिएगा ताकि इसमें आवश्यक सुधार हो सके | सप्रेम | 

Comment by C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" on March 21, 2014 at 8:12pm

rajesh kumari जी,
आपके द्वारा OBO पर स्वागत देख कर मन गदगद हो गया | आपका किस प्रकार आभार व्यक्त करूँ ? शब्द ही नहीं मिल रहे हैं |

आपका बहुत-बहुत धन्यवाद स्वागत करने के लिए भी और दोहावली पसंद आने के लिए भी ...

Comment by C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" on March 21, 2014 at 7:57pm

दोहे पसंद करने एवं बधाई देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद   बृजेश नीरज जी |

Comment by ram shiromani pathak on March 20, 2014 at 9:39pm

बहुत ही सुन्दर दोहावली आदरणीय।    हार्दिक बधाई आपको 

Comment by C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" on March 20, 2014 at 12:17am

आपको दोहे पसंद आए, यह जानकर अच्छा लगा | बधाई देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद Sarita Bhatia जी |
आपको भी होली पर्व पर सपरवार इष्ट मित्रों सहित बधाई ......

Comment by C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" on March 20, 2014 at 12:14am

दोहे पसंद करने एवं बधाई देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद  Shyam Narain Verma  जी |

आपको भी होली पर्व पर सपरवार इष्ट मित्रों सहित बधाई ......

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 17, 2014 at 10:51pm

बहुत सुंदर दोहावली , बधाई स्वीकारें आदरणीय

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 17, 2014 at 12:56pm

प्रेम भाव के सुन्दर सनातनी दोहे अच्छे लगे भाई श्री शून्य आकांक्षी जी | हार्दिक बधाई एवं पवित्र होली पर्व की हार्दिक शुभ कामनाए 

कृपया ध्यान दे...

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