Comment
आदरणीय Saurabh Pandey जी ,
क्षमा कीजिएगा | मुझे दुःख है कि मैंने आपकी टिप्पणी देर से पढ़ी |
इन दोहों पर आपकी प्रशंसा पाकर मेरा लेखन धन्य हो गया | सार्थक टिप्पणी के लिए आपका हार्दिक आभार सर |
क्या " धूप गुलाबी टहलती " की जगह " धूप चमकने लग गयी " लिखना ठीक रहेगा |
इन दोहा छंदों के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय.
आपकी प्रस्तुति पर विलम्ब से आ पाने के लिए खेद है.
धूप गुलाबी टहलती - इस चरण के शब्दों का ’कल’ बन पड़े तो एक बार फिर देख लीजियेगा.
सादर
श्री Kewal Prasad जी,
दोहे पसंद करने एवं बधाई देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद |
आपको भी होली पर्व पर सपरिवार इष्ट मित्रों सहित बधाई ......
आपने दोहा संख्या 2, 6, 8 पर गौर करने के लिए कहा है | मुझे बहुत अच्छा लगा यह देखकर कि आपने मेरे दोहों को बहुत ध्यान से पढ़ा है | मैं उन व्यक्तियों में से हूँ जो त्रुटियों को सुधारने की ओर सदा अग्रसर रहता हूँ | खासतौर से रचनाकार को तो हमेशा विद्यार्थी ही रहना चाहिए | मुझे अपनी गलती पकड़ नहीं आ रही है | कृपया इंगित करने का कष्ट करिएगा ताकि इसमें आवश्यक सुधार हो सके | सप्रेम |
rajesh kumari जी,
आपके द्वारा OBO पर स्वागत देख कर मन गदगद हो गया | आपका किस प्रकार आभार व्यक्त करूँ ? शब्द ही नहीं मिल रहे हैं |
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद स्वागत करने के लिए भी और दोहावली पसंद आने के लिए भी ...
दोहे पसंद करने एवं बधाई देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद बृजेश नीरज जी |
बहुत ही सुन्दर दोहावली आदरणीय। हार्दिक बधाई आपको
आपको दोहे पसंद आए, यह जानकर अच्छा लगा | बधाई देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद Sarita Bhatia जी |
आपको भी होली पर्व पर सपरवार इष्ट मित्रों सहित बधाई ......
दोहे पसंद करने एवं बधाई देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद Shyam Narain Verma जी |
आपको भी होली पर्व पर सपरवार इष्ट मित्रों सहित बधाई ......
बहुत सुंदर दोहावली , बधाई स्वीकारें आदरणीय
प्रेम भाव के सुन्दर सनातनी दोहे अच्छे लगे भाई श्री शून्य आकांक्षी जी | हार्दिक बधाई एवं पवित्र होली पर्व की हार्दिक शुभ कामनाए
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