For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लिखो किसी भी शिल्प में, मोटा लिखो महीन । 
कलम चले पर इस  तरह, पीड़ित  करे यकीन ॥01॥  
  
रिश्तों   के   पर्वत  किए,  हरियाली   से  हीन । 
चाह   रहा   शीतल  हवा,  कैसा   मूरख  दीन ॥02॥  
 
बंधन   तो  था  जनम  का, हुआ बीच में भंग । 
कैसे   चलता   दूर   तक, धुंध - धूप का  संग ॥03॥   
 
पश्चिम  की आँधी  चली,  भूले  पनघट  गीत । 
गमलों में तरु सज रहे, बट - पीपल  भयभीत ॥04॥
 
- शून्य आकांक्षी   
अप्रकाशित एवं मौलिक 

Views: 752

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" on August 15, 2017 at 12:18am

आदरणीय Shyam Narain Verma जी,
आपको दोहे पसंद आए | मेरा लेखन सफल हुआ | प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद जी | 

Comment by C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" on September 24, 2016 at 12:31am

 डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी,
आपको दोहे अच्छे लगे, यह जानकर प्रसन्नता हुई । आपका हार्दिक धन्यवाद । 

Comment by C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" on October 9, 2014 at 8:23am
आपकी टिप्पणी से मन मुदित हुआ । सुखद अनुभूति हुई । आपका बहुत-बहुत धन्यवाद । 
Comment by Santlal Karun on September 27, 2014 at 8:38pm

आदरणीय उपाध्याय जी,

आप ने अर्थपूर्ण दोहे प्रस्तुत किए हैं, हार्दिक साधुवाद एवं सद्भावनाएँ ---

"पश्चिम  की आँधी  चली,  भूले  पनघट  गीत । 
गमलों में तरु सज रहे, बट - पीपल  भयभीत ॥"

Comment by vijay nikore on September 27, 2014 at 1:40pm

दोहे अच्छे लगे। बधाई।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 27, 2014 at 7:48am

आदरणीय उपाध्याय जी बहुत अच्छी दोहावली है बहुत बहुत बधाई

Comment by रमेश कुमार चौहान on September 26, 2014 at 2:21pm
पश्चिम  की आँधी  चली,  भूले  पनघट  गीत । 
गमलों में तरु सज रहे, बट - पीपल  भयभीत ॥
 बहुत सुंदर बधाई
Comment by Shyam Narain Verma on September 26, 2014 at 10:13am

बहुत सुंदर दोहें हार्दिक बधाई स्वीकार करें .....................

Comment by C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" on September 26, 2014 at 8:10am
आपके स्वागत से मैं बहुत अभिभूत हूँ  rajesh kumari जी ........ आपके द्वारा दोहों पर की गयी प्रशंसात्मक टिप्पणी मेरे लिए बहुत महत्व रखती है । आपका बहुत-बहुत धन्यवाद |

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 25, 2014 at 5:18pm

सर्वप्रथम तो ओबिओ पर आपका हार्दिक स्वागत है आ० सी एम् उपाध्याय जी बहुत अच्छा लगा आपको यहाँ देखकर |

दोहों के लिए तो वाह ,,,वाह....बस  वाह  ....ढेरों बधाई आपको इन शानदार सार्थक दोहों के लिए  

बंधन   तो  था  जनम  का, हुआ बीच में भंग । 
कैसे   चलता   दूर   तक, धुंध - धूप का  संग ॥03॥   
 इस दोहे के लिए तो विशेष बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय  निलेश जी अच्छी ग़ज़ल हुई है, सादर बधाई इस ग़ज़ल के लिए।  "
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि शुक्ल भैया,आपका अलग सा लहजा बहुत खूब है, सादर बधाई आपको। अच्छी ग़ज़ल हुई है।"
23 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"ब्रजेश जी, आप जो कह रहें हैं सब ठीक है।    पर मुद्दा "कृष्ण" या…"
Tuesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
Monday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति पर आने में मुझे विलम्ब हुआ है. कारण कि, मेरा निवास ही बदल रहा…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी "
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. अजय गुप्ता जी "
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service