For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दोहे 
राजनीति   दलदल   यहाँ, मिट्टी  हुई पलीद।
मजहब  मजहब लड़ रहे, कहाँ  दिवाली ईद।।1।।

कहने   को  करवा  रहे,  ये  रोजा   इफ्तार।
मगर  दृष्टि  में  तैरता, वोटों  का  व्यापार।।2।।

बादल  अब  बरसे वहाँ, जहाँ बहुत सा नीर।
सूखी भू  तरसे  कृषक, बढ़ी  जा  रही  पीर।।3।।

सरकारी घन छा गए, रिमझिम पड़े फुहार।
झुलस रहा  भूखा  उदर, तर  होता  बाजार।।4।।

कर्णधार  सुख  भोगते, भ्रष्टाचार  निहाल।
राजनीति  यह  देखकर, हुई  शर्म से लाल।।5।।
 
"मौलिक और अप्रकाशित"

Views: 622

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" on February 13, 2019 at 7:02pm

दोहों की प्रशंसा करने के लिए आपका हार्दिक आभार  बसंत कुमार शर्मा जी | 

Comment by Samar kabeer on August 8, 2017 at 9:54pm
मेरे कहे को मान देने के लिये धन्यवाद मुहतरम ।
Comment by C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" on August 8, 2017 at 7:11pm

आदरणीय  Samar kabeer साहब,
सादर प्रणाम | 
यह उक्त दोहों की खुशकिस्मती है कि ये आपको पसंद आए | दोहों की प्रशंसा और बधाई देने के लिए आपका हार्दिक आभार | 
आपका सुझाव सिर आँखों पर | तदानुसार दोहे में मैंने संशोधन कर दिया है | इसी प्रकार अपना प्रेम बनाए रखिए और समय समय पर मार्गदर्शन करते रहिएगा | 
सादर | 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 2, 2017 at 8:53am
बहुत ही सुन्दर दोहे सृजित हुए हैं आदरणीय..सादर
Comment by Ashok Kumar Raktale on August 1, 2017 at 8:45pm

आदरणीय सी. एम. उपाध्याय साहब सादर नमस्कार, सभी दोहे सुंदर रचे हैं आपने. आदरणीय समर कबीर साहब का सुझाव भी उत्तम है. सादर.

Comment by Samar kabeer on August 1, 2017 at 6:38pm
जनाब सी.एम. उपाध्याय जी आदाब,बहुत उम्दा दोहे रचे आपने,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।

'कहने को तो दे रहे'ये रोज़ा इफ़्तार'
आपकी जानकारी के लिये बता दूँ कि रोज़ा इफ्तार दिया नहीं जाता,करवाया जाता है,इसे यूँ कर सकते हैं :-
"कहने को करवा रहे,ये रोज़ा इफ़्तार"
Comment by narendrasinh chauhan on August 1, 2017 at 6:04pm

बहुत सुंदर दोहे 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 1, 2017 at 5:09pm

बहुत सुंदर दोहे 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय  निलेश जी अच्छी ग़ज़ल हुई है, सादर बधाई इस ग़ज़ल के लिए।  "
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि शुक्ल भैया,आपका अलग सा लहजा बहुत खूब है, सादर बधाई आपको। अच्छी ग़ज़ल हुई है।"
8 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"ब्रजेश जी, आप जो कह रहें हैं सब ठीक है।    पर मुद्दा "कृष्ण" या…"
Tuesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
Monday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति पर आने में मुझे विलम्ब हुआ है. कारण कि, मेरा निवास ही बदल रहा…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी "
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. अजय गुप्ता जी "
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service