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काश हम हवा होते

कुछ तो बात है इन हवाओं में जो तुम्हें छूकर आ रही हैं ,
बताती हैं वो कशिश जो तुमसे मिलकर महसूस होती है,
तुम्हारी तड़प और बेचैनी का भी हाल बयान करती हैं,
अब तो ऐसा हाल है की कुछ जलन सी होने लगी है इन हवाओँ से ,
अगर हम हवा होते तो बस कभी भी इन ज़ुल्फों को फहराकर छुप जाते ,
इस चेहरे की चमक बन जाते ,
इन आँखों की नमी बन कभी कभी छलक जाते ,
इन होठों की मुस्कान बन खिल ही जाते,
कानों के झुमकों को थोड़ा-सा हिलाकर ख़ूब ख़ुश हो जाते ,
हाथों की चूड़ियों को आपस में टकरा देते और उस खनक का आनंद उठाते ,
बस हम हवा होते तो हमेशा आपके पास होते, आपके साथ होते ,आपके लिए होते ................

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Comment by C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" on November 15, 2021 at 12:55am

'काश हम हवा होते ' कोमल भावनाओं से परिपूर्ण अच्छी रचना | बधाई प्रतिभा पाण्डे जी | 

कृपया ध्यान दे...

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