For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Dr.Vijay Prakash Sharma
  • Male
  • Ranchi
  • India
Share on Facebook MySpace

Dr.Vijay Prakash Sharma's Friends

  • Dr. Neelima Thakur
  • Ashok Kumar Singh
  • seemahari sharma
  • डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव
  • लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
  • बृजेश नीरज
  • Tapan Dubey
 

Dr.Vijay Prakash Sharma's Page

Latest Activity

Dr.Vijay Prakash Sharma posted a photo
Feb 25, 2024
Dr.Vijay Prakash Sharma updated their profile
Feb 23, 2024
Dr.Vijay Prakash Sharma left a comment for डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव
Mar 8, 2023
Dr.Vijay Prakash Sharma replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-105
"प्रिय लक्मण धामी जी , हमेशा की तरह आपकी सराहना पाकर धन्य हुआ "
Jul 13, 2019
Dr.Vijay Prakash Sharma replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-105
" प्रिय रचना जी आपका बहुत -बहुत आभार "
Jul 13, 2019
Dr.Vijay Prakash Sharma replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-105
"भाई उस्मानी जी , बहुत बहुत शुक्रिया ​"
Jul 13, 2019
Dr.Vijay Prakash Sharma replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-105
"आदरणीय जवाहरलाल जी  ,बहुत -बहुत आभार "
Jul 13, 2019
Dr.Vijay Prakash Sharma replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-105
"आदरणीय जवाहरलाल जी  ,बहुत -बहुत आभार "
Jul 13, 2019
Dr.Vijay Prakash Sharma replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-105
"आदरणीय समर जी ,बहुत -बहुत आभार "
Jul 13, 2019
Dr.Vijay Prakash Sharma replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-105
"बहुत -बहुत आभार "
Jul 13, 2019
Dr.Vijay Prakash Sharma replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-105
"जी घटा ही होना चाहिए , धन्यवाद "
Jul 13, 2019
Dr.Vijay Prakash Sharma replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-105
"बहुत -बहुत आभार ​"
Jul 13, 2019
Dr.Vijay Prakash Sharma replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-105
"आपका बहुत -बहुत आभार ​"
Jul 13, 2019
Dr.Vijay Prakash Sharma replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-105
"आपका बहुत -बहुत आभार ​"
Jul 12, 2019
Dr.Vijay Prakash Sharma replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-105
"रिमझिम गिरे सावन कारी बदरा बरसो मेरे आँगन हरी हरी चूड़ियां भरी भरी बहियाँ करत ठिठोली मोहसे सखियाँ काटत चिकोटी दे गलबहियां भींगा -भींगा तन-मन रिमझिम गिरे सावन खेलें कजरी आओ सजनी गीत प्रीत के गाओ सजनी रंग गई मैं तो पिया के रंग रिमझिम गिरे…"
Jul 12, 2019

Profile Information

Gender
Male
City State
Ranchi
Native Place
Ranchi
Profession
Professor
About me
डॉ.विजय प्रकाश शर्मा स्नातकोत्तर एवम पी एच. डी (मानवविज्ञान ),

Dr.Vijay Prakash Sharma's Blog

बंटवारा

हमने बाँट ली ज़मीन
फिर आसमान
अब बाँट लिए
चाँद सूरज और तारे
फिर बाँटा
देश-वेश, रहन- सहन
रंग-ढंग, जाति- प्रजाति
ख़ुदग़रज़ई
बढ़ती जा रही है.
अब हमने छुपा दिया है
सदभावना को, भाईचारे को
किसी गहरी खाई में.
हम अब नहीं बाँटना चाहते
सहज स्नेह
आमने- सामने..

.
(मौलिक व अप्रकाशित)

Posted on February 24, 2016 at 8:00am — 4 Comments

आप कैसे देखते है?

आप कैसे देखते है?
उसे कैसे स्वीकारते है
दुलार्ते हैं या नकारते हैं
यह आप पर निर्भर है.
आपके समाज पर निर्भर है.
कैकेई भी, कौशल्या भी,
देवकी और यशोदा भी
वाचाल मंथरा भी.
पुरुष की जननी भी
माता और भगिनी भी.
ज्वाला की अग्नि भी.
आप कैसे देखते है?
आधुनिकसमाज सुधारकों के अनुसार
दलित, शोषित, पीड़ित,उपेक्षित
वंचित, कुचलित भी वही है.
आप कैसे देखते है?

मौलिक व अप्रकाशित

Posted on February 7, 2016 at 4:03pm — 6 Comments

हस्ताक्षर

उकेर दिया है

समय की रेत पर

अपना हस्ताक्षर.

जानता हूँ

ख़त्म हो जाएगा

रेत के बिखराव से

मेरा वज़ूद.

संभावना यह भी

किसी संकुचन क्रियावश

घनीभूत हो रेत

प्रस्तर बन जाय .

तब देख पाओगे

खंडित होने तक

मेरा हस्ताक्षर.

कुच्छ भी तो नहीं है

अनंत.

(विजय प्रकाश)

मौलिक व अप्रकाशित

Posted on September 5, 2015 at 1:30pm — 12 Comments

अंदर का बनिया

हमारे अंदर का बनिया

सब कुच्छ बेचता है,

राम भी, कृष्ण भी,

धर्म और ईमान भी,

तीर और कमान भी.

अब उसके दुकान में

नये- नये समान हैं,

झूठाई, सपनों की मिठाई,

दंभ के साथ बढ़ती ढिठाई

ईन्हे वो रोज नई नई

जगहों पे सजाता है

ज़ोर से आवाज़ लगाता है

हिंदू हो या मुसलमान,

सिख हो या ख्रिस्तान,

उसके लिए सभी बराबर हैं.

वो बड़ी ईमानदारी से

बेईमानी बेचता हैं

दरअसल जो बिकता है

वही टिकता है.

मौलिक वा…

Continue

Posted on April 15, 2015 at 8:00am — 12 Comments

Comment Wall (1 comment)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 8:17pm on September 21, 2014, डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव said…

आपकी मित्रता का स्वागत है आदरणीय !

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
3 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service