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Prashant Priyadarshi
  • Male
  • Varanasi, U.P.
  • India
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Prashant Priyadarshi's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
Varanasi
Native Place
Bettiah
Profession
Student
About me
I am a student of Linguistics(completed my masters in 2014 from Department of Linguistics, BHU and qualified NET in the same year) and working in field of Computational Linguistics(NLP). Currently I am doing a project as a project fellow with IIT-BHU. I love music, reading and writing. I write poems, ghajals, short as well as long and full fledged stories but I am a new comer/ fresher in this field. I want to develop my writing skill and give some good stuffs for the brains of Hindi readers. I know more than 5 languages and want to learn more. I am here to learn how to write effective and interesting short as well as long stories and what are the points that should be kept in mind when someone goes for writing stories.

Prashant Priyadarshi's Blog

दरकते रिश्तों की हक़ीक़त(कहानी)

‘पूजा, कितनी बार कहा है तुम्हें कि अपने काम और पढ़ाई-लिखाई से मतलब रखा करो, लड़कों से ज्यादा घुला-मिला, ज्यादा हँसी-मज़ाक मत किया करो, ये सही नहीं है, तुम मेरी बात सुनती क्यों नहीं हो?’

‘मैं कहाँ किसी लड़के से ज्यादा हँसी-मज़ाक करती हूँ या घुलती-मिलती हूँ?’

‘मुझे सब दिखता है, अंधी नहीं हूँ मैं. एक सप्ताह से तुम्हारी पढाई-लिखाई बंद है, खाना-पीना तक ठीक से नहीं कर रही हो. 10 दिनों के लिए प्रवीण आया है हमारे घर और तुम अपना सारा…

Continue

Posted on July 30, 2015 at 3:48pm — 4 Comments

मींयाँ (कहानी)

रोज की तरह आज भी मैं उसे पढ़ाने उसके घर पहुँचा और वो भी आदतन पहले ही दरवाज़े के पास खड़ा मेरा ही इंतज़ार कर रहा था. उसने आनन-फ़ानन में दरवाज़ा खोला और बिना दरवाज़ा बंद किए ही पुस्तकें लाने अन्दर की ओर भागा. वो यही कोई 6-7 साल का बहुत ही प्यारा और कुशाग्र बुद्धि का बालक था. उसका नाम दर्शन था. मैं उसे जो भी पढ़ता था, वो सब बड़े गौर से सुनता और सहेज कर रखता था. प्रश्नों की खान था वो बच्चा और उसकी जिज्ञासाएँ कभी शांत नहीं होतीं थीं और यही उसकी सबसे बड़ी ख़ासियत थी कि वो आसानी से संतुष्ट नहीं होता…

Continue

Posted on July 24, 2015 at 9:00pm — 9 Comments

Comment Wall (3 comments)

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At 9:39am on July 13, 2015,
प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर
said…

Dear Prashant jee. I admire your respect for this website, rest assured, I never intended to intimidate you. The grammatical mistake will be rectified.

At 12:30am on July 13, 2015,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

स्वागत अभिनन्दन 

ग़ज़ल सीखने एवं जानकारी के लिए

 ग़ज़ल की कक्षा 

 ग़ज़ल की बातें 

 

भारतीय छंद विधान से सम्बंधित जानकारी  यहाँ उपलब्ध है

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At 12:05am on July 13, 2015,
प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर
said…

Dear Mr Prashant

You better either advise the grammatically correct sentence or just mind your own business and try to learn something from here. By the ways, I am a post graduate in Anthropological Linguistics from Punjabi University (1983). I am also well conversant with more than five languages; Persian, Arabic, German, Russian and Hebrew,  (except Hindi, Punjabi, Seraiki, English, Urdu and Sanskrit).

However, being a lover of poetry, I would like to read your Ghazals.

.
Yograj Prabhakar

Editor in chief 

 
 
 

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