शब्दों के आगार, भावों के भंडार ,
......... आपकी लेखनी को नमन
शब्दों की उजास ,
नेह के दिए जला देती है ,
कभी बिखरे मन को,
समेटती जाती है ,
मखमली लिबास ओढ़े,
नरम ,नाज़ुक लफ्ज़ ,
उड़ते ,झूमते , थिरकते,गाते,
रूह को छूकर गुज़रते जाते है।
फ़ानी दुनिया का ज़िक्र-फ़िक्र ,
जज़्बातों को शब्दांजलि देता ,
आपका लेखक रूप अप्रतिम ,
आपकी लेखन को नमन।
स्वरचित ,मौलिक..................द्वारा अनुपमा श्रीवास्तव'अनुश्री'
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