For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दरकते रिश्तों की हक़ीक़त(कहानी)

‘पूजा, कितनी बार कहा है तुम्हें कि अपने काम और पढ़ाई-लिखाई से मतलब रखा करो, लड़कों से ज्यादा घुला-मिला, ज्यादा हँसी-मज़ाक मत किया करो, ये सही नहीं है, तुम मेरी बात सुनती क्यों नहीं हो?’

‘मैं कहाँ किसी लड़के से ज्यादा हँसी-मज़ाक करती हूँ या घुलती-मिलती हूँ?’

‘मुझे सब दिखता है, अंधी नहीं हूँ मैं. एक सप्ताह से तुम्हारी पढाई-लिखाई बंद है, खाना-पीना तक ठीक से नहीं कर रही हो. 10 दिनों के लिए प्रवीण आया है हमारे घर और तुम अपना सारा काम-धाम छोड़कर हमेशा उसके आगे-पीछे करती रहती हो, उसकी परीक्षा है, उसे पढने दो. परसों तो परीक्षा देकर वो चला ही जाएगा.’

‘आप भी ना माँ!! मैं कहाँ आगे-पीछे करती हूँ, मैं तो थोड़ा-बहुत कंप्यूटर के बारे में और बाकी पढ़ाई-लिखाई के बारे में ही बात करती रहती हूँ, उनकी पकड़ गणित और सामान्य ज्ञान पर बहुत अच्छी है. और वो तो मेरे भैया हैं माँ. क्या-क्या सोचती रहती हैं आप! देखिए ना पापा, माँ कैसे-कैसे बोल रही हैं, पता नहीं क्या-क्या उल्टा-सीधा चलाती रहतीं हैं दिमाग में’

‘ठीक है, जाओ, धोबी आया हुआ है, उसे कपड़े दे दो, टेबल पर नाश्ता लगा हुआ है, कर के पढ़ने बैठ जाओ, तुम्हारी भी परीक्षाएँ तो सिर पे हैं.’

‘अरे, क्यों बिचारी को सुबह-सुबह डाँट पिला दी तुमने? अरे, तुम्हारा भतीजा ही तो है प्रवीण, पूजा का भाई ही तो है, क्यों ये सब सोच कर दिमाग पे बोझ डालती हो? कितना अच्छा बच्चा है प्रवीण, मेहनती है, समझदार है!! तुम फ़ालतू परेशान मत हुआ करो’

‘हाँ, प्रवीण मेरा भतीजा है और मैं जानती हूँ कि वो बहुत अच्छा लड़का है लेकिन मैं कैसे परेशान ना होऊँ? आप अखबार नहीं पढ़ते क्या? आए दिन ख़बरें दिख जातीं हैं इस तरह की. आज के अखबार के मुख्य पृष्ठ पर ही तो है समाचार, पढ़ लीजिए, “चाचा ने की भतीजी से बलात्कार की असफल कोशिश”.

‘अरे मीरा, तुम इतना तनाव मत लिया करो इन समाचारों से. हमारी बेटी बालिग है, समझदार है, और प्रवीण भी तो काफ़ी सुलझा हुआ और शरीफ़ लड़का है. दोनो बच्चों का विकास संस्कारी परिवार में हुआ है, दोनो काफ़ी संस्कारी हैं.’

‘इसीलिए तो और ज्यादा परेशान रहती हूँ कि दोनो बालिग हैं. शारीरिक विकास और मानसिक विकास दोनो अलग-अलग चीजें हैं और हमारी पूजा तो अभी बिल्कुल बच्ची है, क्या हुआ कि वो 20 की हो गई है, आप कभी समझते ही नहीं मेरी बात.’

‘इसमें समझने वाली कौन सी बात है? तुम बिल्कुल बेफ़िक्र रहो. सबसे बड़ी बात ये है कि दोनो बच्चे भाई-बहन हैं, संबंधी हैं.’

‘जवानी पर कोई ज़ोर और वासना का कोई सम्बन्ध नहीं होता. आप संस्कार का चश्मा लगाकर बैठे रहिए, भगवान् रक्षा करें हर बेटी की!!’

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 598

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Prashant Priyadarshi on August 1, 2015 at 8:00pm

आ. गोपाल नारायन सर, ये घटना मेरे सामने की है(मेरे परम मित्र के साथ घटी हुई) इसीलिए मैंने इस पर लिखने का प्रयास किया है. एक प्रयास थी इस संवेदनशील मुद्दे पर लिखने की, काफ़ी कमियाँ रह गई हैं. सुधरा हुआ रूप निकट भविष्य में पुनः आप सभी श्रेष्ठ एवं गुणीजनों के समक्ष प्रस्तुत करूँगा. कहानी पर समय देकर मार्गदर्शन के लिए आपको कोटिशः धन्यवाद. आपके द्वारा इंगित किए गए बिन्दुओं  पर काम करके यह कहानी पुनः पोस्ट करूँगा.

Comment by Prashant Priyadarshi on August 1, 2015 at 7:50pm

धन्यवाद आ. मिथिलेश सर. आपलोगों की हौसला आफ़ज़ाई मुझे हमेशा बेहतर करने की प्रेरणा देती है. कथा पर अपना बहुमूल्य समय देने के लिए धन्यवाद.

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 1, 2015 at 5:45pm

कहानी  बिलकुल अधूरी  है . यह किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुँचती और न कोई सन्देश देती है  i लेखक स्वयं उलझन में है i संवाद और कथोपकथन कथा का तत्व अवश्य  है  पर कथा के अन्य तत्व भी है उन पर विचार आवश्यक है .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 1, 2015 at 4:27pm

बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर...... इस रचना पर गुणीजनों के मार्गदर्शन की प्रतीक्षा है.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
21 hours ago
PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन।सुंदर और समसामयिक लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। प्रदत्त विषय को एक दिलचस्प आयाम देते हुए इस उम्दा कथानक और रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदरणीय शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी टिप्पणी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। शीर्षक लिखना भूल गया जिसके लिए…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"समय _____ "बिना हाथ पाँव धोये अन्दर मत आना। पानी साबुन सब रखा है बाहर और फिर नहा…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service