फूलों में नाज़ुकी कहाँ है अब
थी कभी ताज़गी कहाँ है अब
आज कल इश्क़ तो दिखावा है
आशिक़ी आशिक़ी कहाँ है अब
शक्ल-सूरत तो पहले जैसी है
आदमी आदमी कहाँ है अब
अब नुमाइश है सिर्फ चेह्रों की
हुस्न में सादगी कहाँ है अब
चाँद अब दूधिया नहीं दिखता
रात भी शबनमी कहाँ है अब
लोग बाहर से मुस्कुराते हैं
यार सच्ची हँसी कहाँ है अब
जो समंदर को ढूंढ़ने निकले
ऐसी अल्हड़ नदी कहाँ है अब
छाँव भी बदली बदली लगती है
धूप भी धूप सी कहाँ है…
Posted on March 8, 2018 at 11:56am — 3 Comments
ख़बर तो कागज़ों की कश्तियाँ दे जाएँगी मुझको
ये लहरें ही तुम्हारी चिठ्ठियाँ दे जाएँगी मुझको
लिखे थे जो दरख्तों पर अभी तक नाम हैं कायम
ख़बर ये भी कभी पुरवाईयाँ दे जाएँगी मुझको
कभी तो बात मेरी मान जाया कर दिले-नादां
तेरी नादानियाँ दुश्वारियाँ दे जाएँगी मुझको
बिछुड़ जाने का डर मुझको नहीं डर है तो ये डर है
न जाने क्या न क्या रुस्वाईयां दे जाएँगी मुझको
तुम्हीं को भूल जाऊं मैं अजी ये हो नहीं सकता
तुम्हारी यादें आकर हिचकियाँ दे जाएँगी…
ContinuePosted on March 8, 2018 at 11:51am — 12 Comments
दोस्त कोई न मेह्रबाँ कोई
काश मिल जाए राज़दाँ कोई /१
दिल की हालत कुछ आज ऐसी है
जैसे लूट जाए कारवाँ कोई /२
एक ही बार इश्क़ होता है
रोज होता नहीं जवाँ कोई /३
तुम को वो सल्तनत मुबारक हो
जिसकी धरती न आसमाँ कोई /४
सारथी कह सके जिसे अपना
सारथी के सिवा कहाँ कोई /५
...........................................
सर्वथा मौलिक व अप्रकाशित
अरकान: २१२२ १२१२ २२
Posted on December 14, 2015 at 3:14pm — 9 Comments
तलाशी ले रहीं आँखें हमारी
न आँखें रोक दें साँसें हमारी /१
गुजर तो जाता है दिन जैसे तैसे
मगर कटती नहीं रातें हमारी /२
न जाने लग रहा है बारहा क्यूँ
उन्हें मालूम हैं बातें हमारी /३
जो कहना है सो कह दो कौन जाने
दुबारा हों मुलाकातें हमारी /४
अगर तुम जा रहे हो याद रखना
कि पल पल तरसेंगी बाँहें हमारी /५
...........................................
सर्वथा मौलिक व अप्रकाशित
अरकान: १२२२ १२२२ १२२
Posted on December 14, 2015 at 3:00pm — 5 Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |