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Tilak Raj Kapoor
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Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"कभी-कभी परस्पर विश्वास में बात खुलकर रखने का साहस मिल जाता है और यहॉं जो सीखने-सिखाने की परंपरा रही है वह उस साहस को और बढ़ा देती है। मुझे आशा है कि मेरे कहे से कोई आहत नहीं हुआ होगा, फिर भी जाने-अनजाने हुई किसी भी धृष्टता के उत्तरदायित्व का भाव…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आपकी सहजता और सौम्यता सम्माननीय है।"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
" "था, बस तुम्हारा नाम था" रदीफ़ रखते हुए। 😊"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"हासिल-ए-मुशायरा ग़ज़ल से सहमत। "
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"वो दवा के साथ ज़िक्र-ए-यार भी करते रहे चारा-गर मेरे मुझे बीमार भी करते रहे। इस खूबसूरत शेर पर एक शेर कहने का मन हो रहा है: टीस बढ़ती ही गयी, ज्यूँ ज्यूँ दवा लेता गया उस दवा का नाम क्या बस वो तुम्हारा नाम था। बेबसी देकर मुझे, मिस्मार भी करते रहे…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"वो तो है ही, इसी शेर में एक अतिरिक्त बिन्दु भी मिल गया तो लगा कि इस पर भी बात हो जाये। व्यवहारिक रूप से शहर ही सामान्य प्रयोग में है। आप किसी को यह कहते नहीं सुनेंगे कि ''शह्र जा रहा हूँ'', व्यवहार में सभी कहते हैं…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"ज़हीर साहब के संदर्भित शेर मैंने ने देखा है कि गांवों से शहर आने के बाद लोग अपनी सोच का विस्तार भी करते रहे। की प्रथम पंक्ति के अंत में आया शब्द "बाद" देखें तो उसमें "द" अतिरिक्त लगता है। इस संदर्भ में यह समझना आवश्यक है कि अंत…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"शानदार हुई है ग़ज़ल। गिरह का शेर भी खूबसूरती से बंधा है। बधाई स्वीकार करें। अभी मोबाइल पर हूं। फिर लौटता हूं।"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"सहमत हूँ। "
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"अभी तो समय है। 5 शेर कहना भी र्पाप्त होगा।"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"जब 'अहिल्या का किसी' कहा जाये तो अर्थ सांदर्भिक अहिल्या विशेष से हटकर एक प्रतीक भर रह जाता है अत: यह प्रयोग उचित प्रतीत होता है। "
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"चर्चा पर विराम के उपरॉंत मेरा कुछ कहना उचित नहीं, बस एक बात जिस पर सबकी सहमति होगी, यह है कि छल-कपट से देव भी व्यभिचार तो करते रहे वे अहिल्या का वहीं उद्धार भी करते रहे.   में व्यभिचार के बाद आंशक रदीफ़ आने से तकाबुले रदीफ़ैन दोष पर…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय सौरभ भाई, ग़ज़ल पर चर्चा होती हैं तो सामान्यत: अरूज़ के दोष तक सीमित रह जाती हैं। मेरा मानना है कि वाक्य-रचना के जो  नियम गद्य पर लागू होते हैं वही पद्य में भी यथावत् लागू होते हैं।  उनका पालन न होने पर वाक्य भिन्न अर्थ भी ले सकते…"
Saturday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"व्याकरण की दृष्टि से कुछ विचार प्रस्तुत हैं। अकेले में घृणित उदगार भी करते रहे जो दुकाने खोल सबसे प्यार भी करते रहे। (यहॉं व्यक्त के अभाव में उद्गार का प्रयोग उचित नहीं है, उद्गार अपने आप में क्रिया रूप नहीं है अत: करते रहे इसके साथ नहीं आयेगा।…"
Saturday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आपकी ग़ज़ल अच्छी है फिर भी कुछ विचार प्रस्तुत हैं। राष्ट्र-निष्ठा के प्रकट उद्गार भी करते रहे सारे नेता मिल के भ्रष्टाचार भी करते रहे (जब मिला अवसर तो भ्रष्टाचार भी करते रहे) वो बहाने के लिए सिंगार भी करते रहे (बात वही लेकिन ‘यूँ दिखाने के…"
Saturday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"वक्त बदला तो उसे स्वीकार भी करते रहे जिन्दगी में प्यार का व्यवहार भी करते रहे इसमें दोनों पंक्तियॉं परस्पर बदल लेने से शेर अधिक प्रभावशाली हो जायेगा।   बोझ अपना और अपनों का उठाने के लिए सब मुसीबत में हमें सहकार भी करते रहे (सहकार का अर्थ सहयोग…"
Saturday

Profile Information

Gender
Male
City State
Bhopal, MP
Native Place
Bhopal
Profession
State Govt. Service

Comment Wall (36 comments)

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At 1:02pm on July 26, 2015, Santlal Karun said…

आदरणीय, सादर अभिवादन ! जन्म-दिन पर सहृदय शुभ कामनाएँ !

At 1:30am on July 26, 2015,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें....

At 12:42pm on July 20, 2015, Ravi Shukla said…

आदरणीय तिलक जी

सादर प्रणाम

ग्रजल की कक्षा में आपके लेख पढ़ रहा हूॅं बहुत सी जानकारी मिली आभार

10 आलेख के बाद मुझे और पोस्‍ट दिखाई नही दी

क्‍या वे कक्षा में उपलब्‍ध है या नही

और भी जानकारी चाहता हॅूं क्‍योंकि बह्र के बारे में अभी भी मैं मुतमईन नहीं हूँ इसकी मुझे और जानने की जरूरत है  । साथ ही कुछ आलेख में आपने जुज आदि का भी जिक्र किया था उसके बारे में भी जानना है । आशा है मार्ग दर्शन मिलेगा तो शौक को सहारा मिलेगा ।

सादर ।

At 7:43pm on January 11, 2015, Rahul Dangi Panchal said…
आदरणीय तिलक राज जी आप वे जानकारी मुझे भी भेजने का कष्ट करें तो बडी मेहरबानी होगी जो जानकारी आपने आदरणीय मिथिलेश जी को भेजने की बात की है! सादर!
मेरी ई मेल आई डी है
" panchal92rahul@gmail.com"
आपने कहा था!
"मिथिलेश जी
आप अपना ई-मेल आई डी मुझे भेज दें। मैं आपको एकजाई सभी बह्र और उनकी मुज़ाहिफ़ शक्‍लें भेज देता हूँ। "
At 9:21pm on July 26, 2014,
सदस्य टीम प्रबंधन
Rana Pratap Singh
said…


At 7:33pm on April 24, 2014, Sushil Sarna said…

आदरणीय तिलक राज जी , नमस्कार -ये आपसे मेरे प्रथम परिचय है - सर ग़ज़ल विधा में मात्राओं का वर्गीकरण मेरी समझ में नहीं आ रहा - ग़ज़ल लिखता हूँ लेकिन मात्रा भार में पिछड़ जाता हूँ - हिन्दी में लघु और गुरु समझ में आती है लेकिन ग़ज़ल में ?? आपसे अनुरोध है की मेरी प्रेषित ग़ज़ल जो निम्न प्रकार से है उसकी मात्रा/अरकान से समझा देंगे तो आपकी कृपा होगी -

आबाद हैं तन्हाईयाँ ..तेरी यादों की महक से
वो गयी न ज़बीं से .मैंने देखा बहुत बहक के
कब तलक रोकें भला बेशर्मी बहते अश्कों की
छुप सके न तीरगी में अक्स उनकी महक के
सुर्ख आँखें कह रही हैं ....बेकरारी इंतज़ार की
लो आरिज़ों पे रुक गए ..छुपे दर्द यूँ पलक के
ज़िंदा हैं हम अब तलक..... आप ही के वास्ते
रूह वरना जानती है ......सब रास्ते फलक के
बस गया है नफ़स में ....अहसास वो आपका
देखा न एक बार भी ......आपने हमें पलट के
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

At 8:50am on October 7, 2013, Abhinav Arun said…

हार्दिक स्वागत और सादर प्रणाम आदरणीय ! स्नेह और आशीर्वाद प्राप्त हो यही कामना है !!

At 9:03am on July 26, 2013, लक्ष्मण रामानुज लडीवाला said…

जन्म दिन की हार्दिक शुभ कामनाए | प्रभु आपको नए आयाम स्थापित करने दिनोदिन प्रगति का 

मार्ग प्रशस्त करने में सक्षमता प्रदान करे |

At 3:30pm on June 29, 2013, Dr Babban Jee said…

परम आदरणीय निकोर एवं कपूर साहेब ........दरअसल आपने मुझे अपने अनुगृहीत किया अपनी जमात में जगह देकर / आपका आशीर्वाद बना रहे , यही एक छोटी सी चाहत है/ श्रधा के साथ

At 3:12pm on June 29, 2013, Dr Babban Jee said…

परम आदरणीय निकोर एवं कपूर साहेब ........दरअसल आपने मुझे अपने अनुगृहीत किया अपनी जमात में जगह देकर / आपका आशीर्वाद बना रहे , यही एक छोटी सी चाहत है/ श्रधा के साथ

 
 
 

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