For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बसंत नेमा
  • Male
  • Bhopal
  • India
Share on Facebook MySpace

बसंत नेमा's Friends

  • Saarthi Baidyanath
  • Devendra Pandey
  • sanju shabdita
  • केवल प्रसाद 'सत्यम'
  • Dr. Rama Shankar Shukla
  • बृजेश नीरज
  • bhushan singh
  • ram shiromani pathak
  • Sarita Bhatia
  • डॉ. सूर्या बाली "सूरज"
  • Dr.Prachi Singh
  • राज़ नवादवी
  • rajesh kumari
  • Tilak Raj Kapoor
  • Er. Ganesh Jee "Bagi"
 

बसंत नेमा's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
Madhya pradesh
Native Place
Bhopal

बसंत नेमा's Photos

  • Add Photos
  • View All

बसंत नेमा's Blog

हम को भी दे दो वो अधिकार थोडा थोडा

करने लगे है वो भी हमपे ऐतबार थोडा थोडा ।

उनको भी हो गया है हमसे प्यार थोडा थोडा ॥ 

रहते थे जो परदो मे छुप छुप के कल तलक ।

अब होने लगा है उनका भी दीदार थोडा थोडा ॥

कहते थे वो इश्क विश्क बाते है फिजूल की ।

चढने लगा है उनपे भी ये खुमार थोडा थोडा ॥

उडी है नीँद रातो की करार छिन गया दिन का ।

अब रहने लगे है वो भी बेकरार थोडा थोडा ॥

है हक चुमना भंबरो का फूलो को बेधडक ।

हम को भी दे दो वो अधिकार थोडा…

Continue

Posted on April 28, 2014 at 10:00pm — 2 Comments

हर शख्स यहाँ का शौकीन बडा है

मिजाज मेरे शहर का रंगीन बडा है ।

हर मौसम यहाँ का बेहतरीन बडा है ।।

आंखो मे सुरमा मुहँ मे पान रचा है ।

हर शख्स यहाँ का शौकीन बडा है ।1।

शोखिया अदाये वो इठलाती जबानी ।

यहाँ हुस्नो शबाब नाजनीन बडा है ।2।

है झील का किनारा वो लहरो की मस्ती ।

हर नजारा यहाँ दिल नशीन बडा है ।3।

हरसू है बस प्यार मोहब्बत की बाते ।

नफरत  यहाँ जुर्म संगीन बडा है ।4।  

हो इक शहर ऐसा भी इस जहाँ मे कही…

Continue

Posted on February 24, 2014 at 12:30pm — 6 Comments

सूरज को पिघलते देखा है

सूरज को पिघलते देखा है

वक्त के साथ रिश्तो को बदलते देखा है ।

दौलत के लिये अपनो को लडते देखा है ॥

लिये आग चढा था जो सुबह आसँमा पे

शाम उस सूरज को पिघलते देखा है ।।

तैरा था जो लहरो के विपरीत हरदम ।

साहिल पे उस जहाज को डूबते देखा है ।।

हुआ करती थी जहाँ संस्कारो की बाते ।

हाँ आज मैने उन घरो को टूटते देखा है  ॥

बैठा था कल तक जो किस्मत के भरोसे

उस  शख्स को  आज  हाथ मलते…

Continue

Posted on December 19, 2013 at 11:30am — 15 Comments

जिन्दगी जिन्दगी जिन्दगी । गजल (प्रथम प्रयास )

मुतदारिक मुसद्दस सालिम

212 /212/ 212

जिन्दगी  जिन्दगी  जिन्दगी ।

बन्दगी तिश्नगी आशिकी ॥

जिन्दगी जिन्दगी जिन्दगी ।…

Continue

Posted on October 1, 2013 at 4:30pm — 16 Comments

Comment Wall (6 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 12:43pm on September 16, 2013, Devendra Pandey said…

Bahut Bahut Sundarr Hridaysparshi rachna 

At 8:10am on August 15, 2013, D P Mathur said…

रचना पसंद करने के लिए आपका तहेदिल से आभार और धन्यवाद !

At 7:04am on May 10, 2013, Dr. Rama Shankar Shukla said…

bhai basant nema ji, aapka swagat hai.

At 6:55pm on May 4, 2013, केवल प्रसाद 'सत्यम' said…

आ0 बसन्त नेमा जी,    मित्रता अतिपावन कड़ी को जोड़ती है।  आपका सादर अभिनन्दन व हार्दिक स्वागत है।  सादर,

At 11:43am on May 4, 2013,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

बहुत बहुत आभार आदरणीय बसंत नेमा जी । 

At 11:24am on May 4, 2013,
सदस्य कार्यकारिणी
rajesh kumari
said…

आपका स्वागत है 

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मतभेद
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
7 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
Monday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-169

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मन में केवल रामायण हो (,गीत)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बेहतरीन 👌 प्रस्तुति और सार्थक प्रस्तुति हुई है ।हार्दिक बधाई सर "
Monday
Dayaram Methani commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मन में केवल रामायण हो (,गीत)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, अति सुंदर गीत रचा अपने। बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"सही कहा आपने। ऐसा बचपन में हमने भी जिया है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' shared their blog post on Facebook
Sunday
Sushil Sarna posted blog posts
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Saturday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Saturday
Dharmendra Kumar Yadav posted a blog post

ममता का मर्म

माँ के आँचल में छुप जातेहम सुनकर डाँट कभी जिनकी।नव उमंग भर जाती मन मेंचुपके से उनकी वह थपकी । उस पल…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक स्वागत आपका और आपकी इस प्रेरक रचना का आदरणीय सुशील सरना जी। बहुत दिनों बाद आप गोष्ठी में…"
Nov 30

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service